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गोलबाजार में दुकानों की रजिस्ट्री की खबर के बाद बाजार के ऐसे कारोबारियों में हड़कंप मच गया है

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जिन्होंने बाजार के पुराने काबिज लोगों से दुकानें 35-40 लाख रुपए में खरीद ली है। दुकानों की खरीदी-बिक्री आपसी सहमति और भाईचारे में हुई है। निगम के रिकार्ड में दुकानें अभी भी उन लोगों के नाम हैं, जिन्हें आवंटित हुई थी। 
निगम अब इन दुकानों की रजिस्ट्री पुराने कारोबारियों के नाम पर होगी, क्योंकि रिकार्ड में उन्हीं का नाम है। ऐसे में वे दुकानदार फंस गए हैं, जिन्होंने पैसे देकर दुकानें खरीदी है। अब उन्हें दुकानों का नामांतरण अपने नाम पर कराना होगा और उसके बाद उन्हीं दुकानों को निगम से खरीदना होगा। नगर निगम के रिकार्ड में 960 कारोबारियों का ही नाम है, जिन्हें दुकानें अाबंटित की गई है। जिनके नाम निगम रिकार्ड में है उन कारोबारियों ने सालों पहले अपनी दुकान रिश्तेदार, दोस्त या किसी परिचितों को बेच दी है। निगम ने इन दुकानों का मालिकाना हक दुकानदार को नहीं दिया था, इसलिए कारोबारी अपनी दुकानें एक नंबर पर नहीं बेच सकते। इसलिए जिन्हें दुकानें बेचनी थी उन्होंने आपसी सहमति से खरीदी-बिक्री कर ली। 
यानी रिकार्ड में नाम भले ही पुराने व्यापारी का रहेगा, लेकिन दुकान क दूसरा चलाता रहेगा। लगभग 50 फीसदी दुकानें इसी तरह से खरीदी बेची जा चुकी हैं। कुछ दुकानों की बिक्री तो दो-दो, तीन-तीन बार हो चुकी है। अब निगम इन दुकानों की रजिस्ट्री करना चाह रहा है, इसलिए एेसे कारोबारी फंस गए हैं, जिन्होंने दुकानें खरीदी हैं। बताया जा रहा है कि 960 में से 25 से 40 फीसदी दुकानदारों ने अपनी दुकानें बेच दी है। जिन्होंने दुकानें खरीदी है वे अब मंत्री से लेकर विधायकों तक दौड़ लगा रहे हैं कि पहले दुकानों का नामांतरण करा लिया जाए। इससे रिकार्ड में दुकान उन लोगों के नाम पर चढ़ जाएगी जिन्होंने खरीदा है। नामांतरण होने के बाद वे दुकानदार निगम से दोबारा दुकान खरीदेंगे, इससे उन्हें दोहरा नुकसान होगा। जानकारों का मानना है कि यह आसान नहीं है। जब कारोबारियों को दुकान बेचने का अधिकार ही नहीं है और उन्होंने कानूनी तरीके से दुकानें नहीं बेची है तो दुकानों का नामांतरण कैसे हो सकता है? 

तीन-चार मंजिला बिल्डिंग बना ली
नगर पालिक निगम नियमावली के मुताबिक बाजार विभाग ने गोलबाजार में कारोबारियों को दुकान सिर्फ उपयोग के लिए दी है। कारोबारियों ने यहां पर दोमंजिला-तीन मंजिला बिल्डिंग खड़ी कर ली है। कुछ लोगों ने यह सहमति लेकर बिल्डिंग बनाई है कि निगम को जब जरूरत पड़ेगी वह दुकान खाली करने के लिए तैयार हैं। यह तय नहीं है कि निगम यहां दुकानों की रजिस्ट्री जमीन के आधार पर करेगा या फिर दुकान के निर्माण सहित बाजार मूल्य पर करेगा। 
“निगम के रिकार्ड में 960 कारोबारियों का नाम है। दुकानों की रजिस्ट्री उनके ही नाम पर की जाएगी। निगम के रिकार्ड में जिनके नाम नहीं है उन्हें दुकानें कैसे बेची जा सकती है।”
-आरके डोंगरे, उपायुक्त बाजार