साहब, हम वापस दूसरे राज्य में नहीं जाना चाहते। कम वेतन में अपने जिले में, परिवार के पास रह कर कमाना चाहते हैं। कोरोना संकट और लाॅकडाउन के दौरान तमाम प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हुए वापस लौटे प्रवासी मजदूरों का दर्द बुधवार को रोजगार शिविर में कुछ इस तरह से फूटा। जिले के कुनकुरी और कांसाबेल तहसील में जिला प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इसका आयोजन किया था। शिविर में मजदूरों को स्थानीय उद्यमियों और दुकान संचालकों की मदद से रोजगार उपलब्ध कराया गया।
श्रमिकों ने भी स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त करने में खूब रूचि दिखाई। कुनकुरी में आयोजित शिविर में दो सौ से अधिक मजदूर शामिल हुए थे। बेलघुटरी निवासी समूलराम चौहान ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वह महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक लौहा उद्योग में वेल्डर का काम किया करते थे।
लॉकडाउन की वजह से इंडस्ट्रीज के बंद हो जाने से उसके साथ इस इलाके से गए सारे लोग बेरोजगार हो गए। तकरीबन डेढ़ माह तक घरों में कैद रहने के बाद सरकार की अनुमति मिलने पर वह एक बस से गांव पहुंचे थे।
कुनकुरी के शिविर में पहुंचे समलुराम को स्थानीय लोहा दुकान में वेल्डर का काम मिलने पर प्रसन्नता जाहिर की। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में ओवर टाइम मिलाकर महिने में लगभग 30 हजार रूपए मिल जाया करता था, लेकिन कुनकुरी में 10 से 15 हजार रूपए भी मिलता है तो वे घर में ही रह कर रोजगार करना पसंद करेगें।
ढौरापानी गांव के निवासी महिमा लकड़ा ने बताया कि वह भी महाराष्ट्र से वापस लौटे हैं। वे महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के खालपुरा में वेल्डर का काम किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बावजूद वापस नहीं लौटना चाहते हैं। शिविर में पहुंचे कलेक्टर महादेव कावरे ने मजदूरों का आश्वस्त किया कि जिन मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाया है, उन्हें कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षिण की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
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