रवि योग में नागदेवता की पूजा आराधना करने से कर्ज मुक्ति, स्वास्थ्य और सर्जरी के कार्य का बेहतर लाभ मिलता है। साथ ही विभिन्न प्रकार के दोष अपने आप ही खत्म हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य एचसी जैन के अनुसार इस बार श्रावण शुक्ल पंचमी शनिवार को है, साथ ही चंद्रमा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से पूरे समय रहेगा। इसके चलते रवियोग का निर्माण हो रहा है। जिसकी कुंडली में राहु, केतु के साथ सूर्य बैठा हो, अथवा ग्रहण योग, कर्ज योग आदि होते हैं तो वह नागपंचमी पर रवियोग में पूजा आराधना कर नाग नागिन के जोड़े को जंगल में सपेरों से मुक्त कराए।
गोशाला में गायों के लिए चारा दान करें। इससे जातक की कुडंली में राहु, केतु की पीड़ा, ग्रहण दोष, कर्ज मुक्ति आदि परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।
सनातनधर्म में सांपों का भगवानों से गहरा नाता बताया गया है। भगवान शिव के गले की नागदेवता शोभा बढ़ाते हैं तो भगवान विष्णु की शेषशैया भी नाग देवता की है। सावन मास के देवता भगवान शिव माने जाते हैं। इस समय वर्षा के कारण जमीन के अंदर बिलों में रहने वाले सांप भी निकलकर बाहर आ जाते हैं।
बाहर निकलकर आने वाले नाग किसी का अहित नहीं करें अथवा इंसानों द्वारा नागों का अहित नहीं हो, इसके लिए भी नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन आमजन नागदेवता की पूजा आराधना करते हैं, जिससे उनके मन भी नागों के प्रति भक्तिभाव जागृत होता है।
नागपंचमी में धार्मिक और सामाजिक महत्व के साथ ही ज्योतिष में भी नागपंचमी का महत्व है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ दोषों को भी देखा जाता है। इसमें कालसर्प दोष बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कालसर्प दोष के साथ ग्रहण दोष, श्राप दोष, राहु, केतु की पीड़ा के लिए भी ज्योतिषाचार्य हमेशा नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा के साथ दान दक्षिणा का सर्वाधिक महत्व मानते हैं।
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