Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

शुभम संदेश एक्सक्लूसिव: रांची विवि में गोलमाल

खास बातें

कुलपति बनते ही डॉ अजीत सिन्हा ने बदल दिया परीक्षा पैटर्न
दागी एजेंसी को दे दी परीक्षा की जिम्मेवारी
ऐजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए 200 रुपये बढ़ा दिया परीक्षा शुल्क
छात्रों से 12.88 करोड़ शुल्क वसूल कर एजेंसी को किया जा रहा भुगतान

Amit Singh 

Ranchi: रांची विवि अपने तरह-तरह के कारनामे की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहता है. नया मामला परीक्षा शुल्क को लेकर है. विवि के विभिन्न संकायों में फिलहाल 1.61 लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं. सभी स्टूडेंट् से विवि प्रशासन परीक्षा शुल्क के नाम पर सालाना 800 रुपये की वसूली करता है. साल भर में परीक्षा शुल्क के नाम पर 1.61 लाख छात्रों से 12.88 करोड़ रुपये आते हैं. पहले परीक्षा का आयोजन रांची विवि के परीक्षा विभाग खुद किया करता था. लेकिन जबसे रांची विवि के कुलपति की कुर्सी पर डॉ अजीत कुमार सिन्हा बैठे हैं, परीक्षा का पैटर्न ही बदल गया है. कुलपति ने परीक्षा आयोजन की जिम्मेवारी एजेंसी को सौैंप दी है. जिस एजेंसी को जिम्मेवारी सौंपी, वह भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ) है. 2016 में हाईकोर्ट ने जेपीएससी मामले की सुनवाई करते हुए इस एजेंसी के क्रियाकलापों पोर सवाल खड़े किए थे. वहीं सीबीआई ने जांच में एजेंसी को दोषी पाया था.

एजेंसी चयन के साथ छात्रों पर बढ़ा वित्तीय बोझ, कुलपति ने बढ़ाया परीक्षा शुल्क

रांची विवि और एनसीसीएफ के बीच अक्टूबर 2022 में समझौता हुआ. समझौते के तहत रांची विवि द्वारा एजेंसी को प्रति छात्र 315 रुपये का भुगतान किया जाना है.अबतक एजेंसी कई परीक्षाओं का आयोजन कर चुकी है. एक साल में एजेंसी को करोड़ों का भुगतान होना है. एजेंसी चयन के बाद रांची विवि पर वित्तीय बोझ बढ़ गया, जिसका खामियाजा सीधे छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. रांची विवि के कुलपति डॉ सिन्हा ने वित्तीय बोझ कम करने के लिए परीक्षा शुल्क ही बढा दिया. एजेंसी नियुक्त होने के पूर्व छात्रों से परीक्षा शुल्क के नाम पर सलाना 600 रुपये कराये जाते थे, लेकिन एजेंसी आने के बाद छात्रों से परीक्षा शुल्क के नाम पर सलाना 800 रुपये वसूला जा रहा है. छात्रों से बढ़ी हुई राशि की वसूली सिर्फ इसलिए की जा रही है, ताकि एजेंसी को शत-प्रतिशत राशि का भुगतान संभव हो सके.

पहुंच की बदाैलत एनसीसीएफ का कंसलटेंट बन बैठे हैं धीरज

रांची विवि में एनसीसीएफ को लाने वाले कंसलटेंट का नाम है धीरज कुमार. बताया जाता है कि धीरज कुमार कुलपति के बेहद करीबी हैं. झारखंड के विवि और कॉलेजों में उनकी उपर तक पहुंच है. अपनी पहुंच और पैरवी की बदौलत धीरज कुमार सरकारी एजेंसी एनसीसीएफ का कंसलटेंट बने हुए हैं. कंसलटेंट के रूप में ही इन्होंने रांची विवि के साथ समझौता किया है. विवि में एजेंसी के सारे काम धीरज ही देखते हैं. रांची विवि के साथ एकरारनामा भी उन्होंने ने ही कराया है.

पैसे लेकर अंक में हेराफेरी की, केस भी दर्ज हुआ

ये वहीं धीरज कुमार हैं, जिन पर जेपीएससी के छात्रों की मार्क्सशीट छेड़छाड़ करने सहित कई गंभीर आरोप लगे थे. 2007 में झारखंड राज्य के आवासीय विद्यालयों के लिए 235 मैट्रिक स्केल शिक्षकों की भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था. परीक्षा का आयोजन एनसीसीएफ के सहयोग से जेपीएससी ने किया था. शिक्षकों की भर्ती की जांच सीबीआई द्वारा की गयी थी. सीबीआई जांच में पता चला था क धीरज कुमार ने पैसे लेकर परीक्षार्थियों के अंक में छेड़छाड़ की थी. इसके बाद धीरज कुमार के खिलाफ केस दर्ज कर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 468, 471 के तहत कार्रवाई शुरू हुई थी.

परीक्षा में फेल, पर बढ़े अंक से मेरिट सूची में नाम

सीबीआई जांच में खुलासा हुआ था कि सफल अभ्यर्थियों की केवल 301 ओएमआर उत्तर पुस्तिकाएं ही उपलब्ध हैं. 301 ओएमआर शीट की जांच से पता चला कि 13 अभ्यर्थियों ने कम संख्या में प्रश्न हल किए थे, लेकिन मेरिट में उन्हें अधिक अंक दिए गए. सभी 13 उम्मीदवार किसी भी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं थे. मेरिट सूची में उन्हें आवंटित बढ़े हुए अंकों के आधार पर चयनित किया गया. सजिश के लिए धीरज कुमार को आरोपी बनाया गया था.

कहीं नैक मूल्यांकन में पिछड़ न जाए रांची विवि

रांची विवि अगर अपने स्तर से गोपनीय प्रक्रिया के अंतर्गत परीक्षा का संचालन और परीक्षाफल का प्रकाशन करता, तो नैक मूल्यांकन में बेहतर अंक मिलता. लेकिन अब यह मौका रांची विवि के हाथों से निकल गया है, जिसका नुकसान सीधे छात्रों को होगा. केंद्र सरकार ने व्यक्तिगत डाटा को गोपनीय और सुरक्षित रखने के लिए डाटा प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया है. वर्तमान में लाखों छात्रों का व्यक्तिगत डाटा एनसीसीएफ के जिम्मे है. जानकारी के अनुसार रांची विवि में डाटा प्रोटक्शन एक्ट का पालन नहीं हो रहा है. एनसीसीएफ के कंसलटेंट के आने से लाखों छात्रों से संबंधित डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

राज्य का सबसे पुराना विवि है आरयू. 1,61 लाख स्टूडेंट

ज्य का सबसे पुराना विवि है रांची विवि. इसकी स्थापना 12 जुलाई 1960 को हुई थी. विवि के अंतर्गत 10 पीजी, एक अंगीभूत कॉलेज और 20 एफिलिएटेड कॉलेज थे. वर्तमान में विवि के अंतर्गत दो दर्जन पीजी विभाग, 15 अंगीभूत कॉलेज और करीब 60 एफिलिएटेड कॉलेज हैं. इसके अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट संस्थान, लीगल स्टडीज सेंटर, निजी रेडियो संस्थान आदि संचालित हैं. रांची विवि के तहत करीब 1.61 लाख विद्यार्थी विभिन्न विषयों की पढाई कर रहे हैं.

जेपीएससी में गड़बड़ी की, मुझे पता नहीं

रांची विवि और एनसीसीएफ के बीच समझौता हुआ है. समझौते के तहत परीक्षा आयोजित करने के लिए एक छात्र पर 315 रुपये का भुगतान रांची विवि द्वारा किया जाता है. धीरज कुमार रांची के रहनेवाले हैं. एनसीसीएफ के कंसलटेंट हैं. जेपीएससी में उनके द्वारा गड़बड़ी की गयी है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. मैंने 15 दिन पहले ही रांची शाखा का पदभार संभाला है. रांची विवि सहित झारखंड में कई शिक्षण संस्थानों का काम धीरज कुमार ही देखते हैं.