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अदालत से ऊपर विश्वविद्यालय

सीयूजे कैंपस में रोक के बावजूद निर्माण जारी, मुआवजा के लिए भटक रहे विस्थापितअदालत से ऊपर विश्वविद्यालय

Ranchi: झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी, रांची स्थापना काल से ही विवादों में रहा. विवि के जिम्मेवार अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उन्हीं जिम्मेवारों ने मिलकर पहले अरबों के निर्माण घोटाले को अंजाम दिया. उसके नियम विरुद्ध जाकर अपनों को नौकरी पर रख लिया. सीबीआई निर्माण और नियुक्ति, दोनों घोटाले की जांच कर रही है. विवि कैंपस के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया. किसानों की कृषि योग्य भूमि जबरन अधिगृहित कर ली गई. वर्षों हो गए विस्तापितों को अबतक मुआवजा राशि नहीं मिला है. निर्माण घोटाला, नियुक्ति में अनियमितता और मुआवजा राशि का ममला(संख्या2528/2020) अदालत में चल रहा है. अदालत ने 2021 में ही आदेश दिया था कि जबतक विवि प्रशासन मुआवजा राशि का भुगतान नहीं करता है, तबतक किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जाएगा. अदालत के आदेश की अनदेखी कर विवि प्रशासन सड़क और चहारदिवारी आदि का निर्माण करा रहा है. अदालत से भी ऊपर विश्विवद्याल प्रशासन हो गया है. मुआवजा मांगने वाले सीधे-साधे ग्रामीणों पर झूठा मुकदमा भी दर्ज करा रहा है.

रांची रिंग रोड़ के चेरी, मनातू और सुकुरहुटू में 139.17 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण किया हुआ था. अधिग्रहण से लगभग 200 परिवार प्रभावित हो गए है, जिसमें 70 परिवार घर से विस्सथापित हो गए है. मुआवजा राशि के लिए ग्रामीण आवाज उठाते-उठाते थक गए, तब 2020 में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. राज्य सरकार से गुहार लगाई. अदालत के बाद विधानसभा में मंत्री जोबा मांझी ने भी कहा था कि जबतक विस्थापितों को मुआवजा नहीं मिल जाता, तबतक विवि प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का निर्माण नहीं कराया जाएगा. विस्थापितों को मुआवजा तो नहीं मिला, मगर विवि के जिम्मेवार निर्माण कार्य कराकर करोड़ों के वारे-न्यारे करने में लगे हुए है. विस्थापितों का डर है कि अगर निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा, तो किसानों को हक नहीं मिल पाएगा.

विवि ग्रामीणों पर लगा रहा गंभीर आरोप

सीयूजे के सुरक्षा अधिकारी तरूण कुमार ने 20 फरवरी 2023 को कांके थाने में प्राथमिकी दर्ज कराया है. जिसमें बताया है कि विवि परिसर में छात्राओं के साथ स्थानीय अज्ञात मनतलों द्वारा अभद्रतापूर्वक व्यवहार किया जाता है. वे छेड़-छाड़ करते है. रास्ता रोककर तंग करते है. सामान की छीना झपटी करते है. इतना ही नहीं, कॉलेज आने जाने का रास्ता स्थानीय मनचले लोगों द्वारा काट दिया जाता है.गाली गलौज देकर रास्ता रोका जाता है. जिससे पठन-पाठन, सरकारी काम में बाधा पहुंचाया जा रहा है. विवि जिम्मेवार ऐसी कई शिकायतें कर चुके हैं. दूसरी तरफ ग्रामीणों का कहना है कि विवि प्रशासन हमेशा से ऐसा करते आ रहा है. झूठे मामलें में फंसा कर गरीब किसानों को परेशान करके, उनकी आवाज को दबाने का काम कर रहा है.

कई किसानों का झूठे केस में फंसया

मुआवजा राशि के लिए आवाज उठाने वाले किसानों को विवि प्रशासन हमेशा से दबाते आ रहा है. अबतक कई ग्रामीणों पर झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए गए है. ऐसा हम नहीं, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन मंत्रालय और झारखंड सरकार को लिखे पत्र में विस्थापितों ने कहा है. विस्थापितों के लिए आवाज उठाने वाले अमृत कुमार ने बताया कि चेरी एवं मनातू के किसानों की कृषि योग्य भूमि जबरन अधिगृहित कर ली गई. मुआवजा नहीं मिला, तब मजबूर होकर किसानों का समूह अदालत में न्याय के लिए गया. अदालत ने मुआवजा भुगतान का आदेश देते हुए जब तक मुआवजा नहीं उन्हें मिल जाता है तब तक कोई भी निर्माण गलत होगा. लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा बिना मुआवजे के भुगतान किए निर्माण कार्य कराया जा रहा है. स्थानीय किसानों को फर्जी मुक़द्दमे में फसाने का घृणित कार्य भी किया जा रहा है. किसानों एवं उनके बच्चों को संज्ञेय अपराध में फंसाने की कवायद भी चल रहा है. दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के कार्य समिति पर सवाल खड़ा करने वाली याचिका (4502/2017)भी अदालत में विचाराधीन है.