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यूं ही नहीं कहते धरती पर भगवान का रूप होते हैं डॉक्टर, मनोज की कहानी जान हो जाएगा यकीन

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बांदा: अपने पिता और परिवार का एक मात्र सहारा 30 वर्षीय मनोज प्रवासी मजदूर है। टीवी की बीमारी से चलते अचानक उसके दोनों पैर खराब हो गए। इससे घर में खाने के लाले पड़ गए। अब वह प्रमाण पत्र बनवाना चाहता था। तभी उसकी जिंदगी में यूपी के बांदा जनपद में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के डॉ. अरविंद झा भगवान बनकर आए। एक सफल ऑपरेशन करके उसे दोनों पैरों पर खड़ा कर दिया। यह सुनने में तो अजीब लगता है, लेकिन यह सच है। डॉक्टर ने उसके दोनों पर लौटा दिए हैं।

महोबा जनपद के रिवाई सुनेचा गांव का रहने वाला मनोज (30) पुत्र लच्छू प्रवासी मजदूर है। मनोज दिल्ली में मजदूरी करके अपने बूढ़े पिता लच्छू, पत्नी सुनीता और पांच वर्ष की पुत्री दिव्यांशी का पालन पोषण करता था। अचानक एक दिन उसे बुखार आ गया, इलाज के दौरान टी बी का भी मर्ज हो गया।

टीबी का इलाज कराने के बाद अचानक एक दिन मनोज के दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया। उसने देश के कई जनपदों में इलाज कराया, वैधों को दिखाया लेकिन कोई मनोज को चला नहीं सका। मनोज के दोनों पैर खराब होने की वजह से घर की हालत खराब हो गई।

मनोज की पत्नी सुनीता ने बताया कि कर्ज लेकर और रिश्तेदारों की मदद से घर का खर्च चलाना पड़ रहा था। इधर मनोज इलाज से मायूस होकर विकलांग प्रमाणपत्र बनवाने के लिए भटक रहा था। तभी किसी ने मनोज को बांदा के रानीदुर्गावती मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जन डाक्टर अरविंद कुमार झा के बारे में बताया। मनोज दस दिन पहले डाक्टर अरविंद झा से मिला।

डॉक्टर अरविंद ने मनोज को आपरेशन कराने की सलाह दी, मनोज तैयार हो गया। डाक्टर अरविंद और उनकी टीम ने पिछले हफ्ते मनोज की रीढ़ की मोटी नस जिसमे गांठ थी। जिसकी वजह से मनोज के दोनों पैर काम नहीं कर रहे थे। आपरेशन करके गांठ निकाल दी, गांठ निकलने के बाद धीरे धीरे मनोज अपने दोनों पैरों में खड़ा हो गया। मनोज के दोनों पैर ठीक होते ही उसके परिवार की खुशियाँ लौट आईं।