तेलगांना राज्य से छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी को 2,200 करोड़ रुपये पुराना बकाया लेना है। पिछले छह माह से तकनीकी खराबी के चलते जिले के मड़वा प्लांट से एक हजार की जगह 400 मेगावाट बिजली दी जा रही है। अब 500 मेगावाट की एक यूूनिट में सुधार कार्य हो गया है, इसके बाद भी कंपनी पिछला बकाया के कारण अनुबंध के अनुरूप बिजली नहीं दे रही है।
वर्ष 2016 में राज्य विद्युत कंपनी के 1,000 मेगावाट अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह मड़वा प्रोजेक्ट शुरू होने के साथ ही यहां की पूरी बिजली तेलगांना राज्य को देने का 10 साल का अनुबंध हुआ। चार रुपये यूनिट के हिसाब से प्रति घंटे 40 लाख रुपये बिजली की दर से तेलगांना को प्रदान करना था, लेकिन चार साल के अंदर शार्ट पेमेंट के कारण बकाया बढ़कर 2,200 करोड़ रुपये जा पहुंचा। छत्तीसगढ़ सरकार इस बकाया राशि की वसूली का प्रयास कर रही थी। इसी बीच मड़वा की 500 मेगावाट की इकाई में बड़ी खराबी आ गई। पिछले छह माह से केवल 400 मेगावाट बिजली तेलगांना को दी जा रही।
गुरुवार को मड़वा प्रोजेक्ट पूरी क्षमता से उत्पादन पर आ गया। उसके बाद भी तेलगांना को अनुबंध के अनुरूप बिजली नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके पीछे की वजह पिछला बकाया बिल को माना जा रहा। राज्य सरकार पहले भी तेलगांना सरकार को बकाया राशि का भुगतान करने कई बार पत्र लिख चुकी है।
ऐसे बढ़ता गया बिल
तेलगांना राज्य ने प्रति माह एक हजार मेगावाट का पूरा भुगतान करने की जगह हर माह करीब 30 लाख रुपये कम भुगतान किया। इसके साथ 12 फीसद ब्याज व सरचार्ज की राशि भी बढ़ती गई। राशि बढ़ गई, तब छत्तीसगढ़ सरकार की चिंता बढ़ी। तेलगांना का कहना है कि एक साथ इतनी बड़ी राशि नहीं दे सकते। केंद्र सरकार से लोन लेकर अदा करेंगे।
तेलगांना सरकार को बिजली की बकाया राशि जमा कराने राज्य स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। कई बार स्मरण पत्र भेजा जा चुका है। एक हजार मेगावाट का अनुबंध हुआ है, लेकिन अभी चार सौ मेगावाट बिजली आपूर्ति की जा रही।
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