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Ghazipur की बिटिया ने कर दिया कमाल, 4 साल तक लंदन में करेंगी शोध, British सरकार से मिली ढाई करोड़ की स्कॉलरशिप

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के भांवरकोल ब्लॉक के कुंडेसर गांव की रहने वाली तृप्ति अब यूके में शोधार्थी के तौर स्कॉलरशिप के तहत जाएंगी। इस स्कॉलरशिप के तहत पर ढाई करोड़ से ज्यादा की रकम ब्रिटेन की सरकार खर्च करेगी। वह अगले चार सालों तक सतत विकास (Sustainable development) के क्षेत्र में शोध करने के लिए यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन में रहेंगी। उनकी उपलब्धि पर उनके परिजन के साथ गांव के लोगों में भी हर्ष व्याप्त है।

तृप्ति ने एनबीटी ऑनलाइन को दिए खास इंटरव्यू में बताया कि उनके परिवार में पढ़ाई लिखाई का बचपन से ही उन्हें माहौल मिला। लखनऊ से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा कॉलेज में बीए ऑनर्स, समाजशास्त्र पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। यहां से ग्रेजुएट होने के बाद वह मुंबई यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री में दाखिला लेने गई। उसके बाद लंबे समय तक देश के प्रतिष्ठित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में वह 7 सालों तक सीनियर रिसर्चर के तौर पर जुड़ी रहीं।

इस दौरान उन्होंने पानी, अर्बन प्लानिंग, सैनिटेशन, क्लाइमेट चेंज आदि क्षेत्रों में काम किया। 2022 में यूनिसेफ और केंद्र सरकार के अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के संयुक्त कार्यक्रम में वह रिसर्चर के तौर पर जुड़ गई। यह भी वह शोधार्थी की तौर पर अलग-अलग विषयों पर काम कर रही थी। इस दौरान उन्हें यूनाइटेड किंगडम के प्रतिष्ठित वार्विक यूनिवर्सिटी में फूल फंडेड स्कॉलरशिप के तहत पीएचडी करने का आवेदन किया।

इस प्रतिष्ठित स्कॉलरशिप के लिए उनका चयन हो गया है। तृप्ति के भाई वरुण ने बताया कि उनकी बहन तृप्ति अक्टूबर में यूनाइटेड किंगडम के लिए रवाना हो जाएंगी। तृप्ति ग्लोबल सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर लंदन की वार्विक यूनिवर्सिटी में शोध करेंगी। 4 साल तक ग्रेट ब्रिटेन में रहेंगे स्कॉलरशिप के तहत उनके सारे खर्चों को यूनाइटेड किंगडम की सरकार वहन करेगी।

पतृप्ति ने बताया कि समाजशास्त्र के क्षेत्र में करियर बनाने और एक रिसर्चर या शोधार्थी बनने की प्रेरणा उनको अपने बुआ से मिली। तृप्ति ने बताया कि उनकी बुआ वर्ल्ड बैंक में सोशल डेवलपमेंट विंग में काम करती थी। बचपन में वह अपनी बुआ से उनके कामकाज के बारे में जानकारी हासिल करती थी। तभी से वह अपना कैरियर समाजशास्त्र के क्षेत्र में ही बनना चाहती थी। अब जब तृप्ति को 4 साल की स्कॉलरशिप पर विदेश में शोध करने का अवसर मिल रहा है। तो उनके परिजन और जानने वालों में खुशी व्याप्त है। 4 साल के उनके शोध के दौरान ब्रिटिश सरकार उनके रिसर्च पर होने वाले सारे खर्च वहन करेगी।