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औषधीय फसलों में नवाचार कर विशिष्ट पहचान बनाई कमलाशंकर ने

आयुष विभाग की देवारण्य योजना से मिली प्रेरणा

भोपाल : 09/ 09/ 2023

मध्यप्रदेश में औषधीय खेती के रकबे को बढ़ाने के लिये आयुष विभाग ने देवारण्य योजना शुरू की है। इससे प्रेरित होकर अनेक किसानों ने अपने खेतों में औषधीय पौधों की पैदावार शुरू की है। नीमच जिले की मनासा तहसील के गाँव भाटखेड़ी के प्रगतिशील किसान श्री कमलाशंकर ने इस क्षेत्र में नवाचार कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

श्री कमलाशंकर विश्वकर्मा औषधीय फसलों की खेती के साथ जैव-विविधता के क्षेत्र में भी नये प्रयोग करने में सफल हुए हैं। उन्होंने पहले वर्ष में सह-फसल के रूप में अश्वगंधा और शतावरी की औषधीय फसल लगाकर मुनाफा कमाया है। इसके लिये उन्हें 25 हजार रूपये का प्रथम पुरस्कार भी दिया जा चुका है। किसान कमला शंकर बताते हैं कि अब उनके खेत में प्रोफेशनल फोटोग्राफर शूटिंग भी कर रहे हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

राष्ट्रीय बाँस मिशन में किसान कमलाशंकर ने अपने खेत में बाँस के 1100 पौधे लगा रखे हैं। यह सब देखने के लिये आसपास के क्षेत्र के किसान उनके खेत पहुँचते हैं। उन्होंने खेत में 30 से 40 प्रकार की औषधियों को प्राकृतिक रूप से संरक्षित करने का कार्य भी किया है। उनके खेत में कौंच बीज, वराहीकंद, गिलोय, नीली एवं सफेद अपराजिता, घृतकुमारी, कंटकारी, हड़जोड़, हरसिंगार, गुड़हल, नागदौन, अपामार्ग, धतूरा, कनेर, कडुनाय, शिवलिंगी, किंकोडा, विधारा की बेल, छोटी एवं बड़ी दूधी, शतावरी, मूषपर्णी, बहुफली, अतिबला, गोखरू, घमरा, कचनार, पलाश, मेहंदी, बेशर्म बेल/बेहया, खैर, अश्वगंधा, आँवला, बहेड़ा, अरंडी, ईमली, नीम, सीताफल आदि औषधियों के पौधे लगे हुए हैं।