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राममंदिर का एतिहासिक भूमि-पूजन 5 Aug को PM करेंगे, आडवाणी को बुलाने की तैयारी

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि-पूजन करेंगे। इस दौरान वह तीन घंटे वहीं रहेंगे। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में लाल कृष्ण आडवाणी को भी बुलाने की तैयारी की जा रही है। इस ऐतिहासिक आयोजन के काशी के संत और विद्वतजन भी साक्षी बनेंगे। श्रीराम जन्म भूमि पर प्रस्तावित भव्य-दिव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन श्रीकाशी विद्वत परिषद की देखरेख में होगा। आयोजक मंडल की ओर से भूमि पूजन में शामिल होने के लिए तीन सदस्यों को आमंत्रित किया गया है।

इसके साथ ही नाम चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। हालांकि, इसमें अभी दो नामों पर ही सहमति बन पाई है। मंत्री डा. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि सोमवार सुबह तक तीनों नाम तय कर इसकी सूचना आयोजकों को दे दी जाएगी। इसमें अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती व सतुआ बाबा आश्रम के महंत महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा शामिल हैं। त्रिपुरा के बड़े संत महामंडलेश्वर विष्णु पुरी के उत्तराधिकारी चैतन्य पुरी महाराज भी अयोध्या जाएंगे। हालांकि उनका नाम त्रिपुरा कोटे से है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की शनिवार को बैठक के बाद घोषणा की गई है कि रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर पूर्व निर्धारित 128 फीट के बजाय 161 फीट ऊंचा होगा। इसमें अब तीन की बजाय पांच शिखर होंगे। लिहाजा, अब राममंदिर के मुख्य शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा संशोधित लक्ष्य के अनुरूप मंदिर निर्माण की तैयारियों में जुट गए हैं।

सोमपुरा के अनुसार, संशोधित लक्ष्य मिलने के बावजूद मंदिर की लंबाई-चौड़ाई पूर्व निर्धारित माप के अनुरूप 268 गुणे 140 फीट होगी। हालांकि, ऊंचाई में वृद्धि को देखते हुए अब यह दो नहीं, बल्कि तीन मंजिला होगा।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक तल पर पूर्व की तरह 106 स्तंभ लगेंगे और तीन तल का होने की वजह से मंदिर में लगने वाले स्तंभों की संख्या 212 से बढ़कर 318 होगी। स्तंभों की ऊंचाई 14 फीट 6 इंच होगी। हर खंभे में 16 मूर्तिंयां तराशी जाएंगी।

राममंदिर के साथ सहेजी जाएगी अयोध्या की साझी विरासत

रघुवरशरणसप्त मोक्षदायिनी पुरियों में अग्रणी अयोध्या भगवान राम के साथ सांस्कृतिक-आध्यात्मिक क्षितिज की जिन अन्य परंपराओं से रोशन है, उनमें प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव भी शामिल हैं। जैन परंपरा इन्हें भगवान राम से भी पूर्व का मानती है। ऋषभदेव का अयोध्या में जन्म हुआ और वह अयोध्या के राजा भी बने। रामनगरी के रायगंज स्थित भगवान ऋषभदेव के मंदिर से यह विरासत आज भी प्रवाहमान है। शनिवार को सर्किट हाउस में बैठक के बाद तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ऋषभदेव जैन मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने इन संभावनाओं को भी बल दिया कि राम मंदिर के साथ ही अयोध्या की अन्य साझी विरासत भी सहेजी जाएगी। डॉ. कृष्णगोपाल के साथ ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा सहित जिम्मेदार लोगों का अमला भी था।

जैन मंदिर के प्रबंधक मनोज कुमार जैन के अनुसार डॉ. कृष्णगोपाल और उनके साथ के लोगों का आगमन यह संकेत देने वाला है कि संपूर्ण रामनगरी की सांस्कृतिक विरासत को भव्यता देने की तैयारी चल रही है। जहां तक जैन मंदिर का सवाल है तो इस संबंध में अंतिम निर्णय श्रीदिगंबर जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष स्वामी रवींद्रकीर्ति को करना है।

फिलहाल, स्वामी रवींद्रकीर्ति अयोध्या से बाहर हैं। डॉ. कृष्णगोपाल ट्रस्ट से जुड़े लोगों के साथ पहले ही प्रथम, नवम एवं दशम सिख गुरुओं के आगमन से गौरवांवित गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड का जायजा लेकर इस धरोहर की विकास की संभावनाएं परख चुके हैं।