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बिहार और असम में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है 110 की मौत, 70 लाख लोग प्रभावित

बिहार के 8 जिलों में सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं. वहीं, असम में 2633 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. लोगों को बिना बिजली और पीने के पानी के 24 घंटे सांप और खतरनाक जानवरों के बीच रहना पड़ रहा है.

बिहार और असम में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. यहां लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. बाढ़ में डूबे गांवों के लोगों को इसका कोई अंदाजा नहीं है कि बाढ़ का पानी कब तक उतरेगा. इन लोगों को रोज सांप बिच्छू जैसे जहरीले जानवरों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही पानी जम जाने से बीमारी पनपने का भी डर है. बिहार और असम में बाढ़ आई तो बीमार होने पर अस्पताल जाने के लिए नाव ही सहारा है. आलम ये है कि लोगों को पीने का साफ पानी तक नहीं मिल रहा है.

असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने बताया कि असम में 70 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा, ‘असम में बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों और जानवरों को निकाला जा रहा है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.’

गोपालगंज में गंडक नदी तबाही लेकर आई है. यहां पक्के मकान डूब गए, झोपड़ियां बह गई हैं. यहां सदर और मांझागढ़ प्रखंड के कई गांवों में लोग पीने के पानी और दवा को तरस रहे हैं. खगड़िया के किसानों की मेहनत पानी में बह गई. खून-पसीने की कमाई आंखों के सामने डूबने लगी. धान और मूंग की फसल जलमग्न हो गई. कोसी नदी ने सबकुछ चौपट कर दिया.

बिहार के 8 जिलों में तबाही

सुपौल में कोसी नदी के साथ-साथ नेपाल से बहकर आनेवाली तिलयुगा नदी भी आखें दिखाने लगी है. सड़कें पानी में बह गई हैं. सैलाब से बिहार के 8 जिलों में तबाही मची है. दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी, मुंगेर, छपरा, मधुबनी, मधेपुरा और मुज़फ्फरपुर में सबकुछ जलमग्न है.

मानसून आते ही बिहार की नदियां अपनी सीमाएं तोड़ने लगती है क्योंकि इनको सीमा में रखने के लिए प्रशासन का इंतजाम कभी होता ही नहीं. नेपाल में भारी बारिश की वजह से दरभंगा में बागमती नदी उफान पर है. बाढ़ के पानी से दरभंगा का कुशेश्वर स्थान का इलाका समंदर बन गया. वहीं कमला बलान नदी भी रौद्र रूप दिखा रही है.

बिजली गिरने से 160 से ज्यादा मौतें

बिहार में रविवार को बिजली के गिरने से पूर्णिया जिले में 3, बेगूसराय में 2 तथा पटना, सहरसा, पूर्वी चम्पारण, मधेपुरा एवं दरभंगा में 1-1 व्यक्ति की मौत हो गई. बीते तीन हफ्ते में बिजली गिरने के कारण राज्य में 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

असम में इस वर्ष बाढ़ और भूस्खलन से 110 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 84 लोगों की मौत बाढ़ संबंधी घटनाओं और 26 लोगों की मौत भूस्खलनों के कारण हुई. राज्य में बाढ़ के हालात के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से फोन पर बात की. कई स्थानों पर मकान, फसलें, सड़क एवं पुल तबाह हो गए. असम में बाढ़ ने लोगों के घर बार छीन लिए हैं. जहां सड़कें होती थीं, वहां नाव चल रही है.

विभाग ने बताया कि असम तथा मेघालय में अगले 3 दिन में तथा बिहार में अगले 24 घंटे में भारी बारिश हो सकती है. असम में ब्रह्मपुत्र नदी ने प्रलयंकारी रूप ले लिया है. राज्य के ज्यादातर हिस्सों में बाढ़ का पानी जिंदगी के लिए आफत बना हुआ है. हालाद बद से बदतर हो रहे हैं. असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 70 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.

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2633 गांव बाढ़ की चपेट में

बाढ़ से अब तक 84 लोगों की मौत हो चुकी है, 2633 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिसके चलते 1.14 लाख हेक्टेयर खेत पानी में डूब चुके हैं. असम में 47000 से ज्यादा लोग 287 रिलीफ कैंप में जीवन गुजारने पर मजबूर हैं. असम में इस साल की बाढ़ में 202 तटबंध और 167 ब्रिज को नुकसान पहुंचा है.

25 जिले बाढ़ से प्रभावित

असम के 25 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिन जिलों में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है, वो हैं, ढेमाजी, लखीमपुर, नलबाड़ी, बारपेटा, बोंगाईगांव, कोकराझार, धुबरी, गोपाल पारा, कामरूप, मोरीगांव, नागांव, गोलाघाट, जोरहाट, माजुली, शिवसागर, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया. कांजीरंगा नेशनल पार्क से निकलकर हाथी और गैंडे हाईवे पर आ गए.

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10 गैंडों की मौतदरअसल कांजीरंगा पार्क में बाढ़ का पानी भर गया है. पार्क का करीब 90 फीसदी हिस्सा डूब चुका है. यही वजह है कि पार्क के तमाम जानवर जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों का रुख कर रहे हैं. बाढ़ के पानी में डूबने से अब तक 10 गैंडों की मौत हो चुकी है.

कांजीरंगा पार्क में अब तक 108 जानवरों की मौत हो चुकी है, जबकि 136 को बचा लिया गया है. बचाए गए जानवरों में गैंडे के दो बच्चे, चार बाघ और 103 हॉग हिरन शामिल हैं. धुबरी जिले में 100 से ज्यादा गांव जलमग्न हैं. राहत सामग्री के लिए यहां के लोग यहां-वहां भटक रहे हैं.