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Railway HOG Technology से चला रहा ये 2 ट्रेनें, मिलेगा यह फायदा

भारतीय रेलवे के नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) जोन द्वारा हेड ऑन जनरेशन (Head On Generation) टेक्नोलॉजी यानी HOG Technology के जरिए 2 ट्रेनों का सफलतापूर्वक संचालन शुरू कर दिया गया है। ये दो ट्रेनें, 05956 दिल्ली – डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र मेल स्पेशल और 02502 नई दिल्ली – अगरतला राजधानी स्पेशल है, जो HOG Technology के साथ न्यू जलपाईगुड़ी तक संचालित की जा रही हैं। लौटने के दौरान की यात्रा के लिए भी इन दोनों ही ट्रेनों में HOG Technology का इस्तेमाल किया गया है।

अब, दोनों ही ट्रेनों के जनरेटर कार (Generator Cars) दिल्ली से न्यू जलपाईगुड़ी और लौटने के दौरान शटडाउन कंडीशन में रहेंगे। एसी, लाइट्स, पंखों सहित अन्य इलेक्ट्रिकल उपरकरणों का पूरा इलेक्ट्रिकल लोड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के चलित इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर आएगा, इसके परिणामस्वरुप यात्रा के दौरान बहुत सारा डीजल बचाया जा सकेगा।

नई HOG Technology 6 रुपए प्रति युनिट में उपलब्ध होगी, फिलहाल अभी EOG सिस्टम में 22 रुपए प्रति युनिट का खर्च आता है।

NFR की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि ‘नई टेक्नोलॉजी से न सिर्फ चल रही ट्रेनों की पॉवर कॉस्ट कम होगी बल्कि यह आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देने में भी मददगार साबित होगी। इन दो ट्रेनों से ही सालाना लगभग 1132 किलो लीटर की बचत होने की उम्मीद की जा रही है, जिसकी कीमत लगभग 7.16 करोड़ सालाना है।’

वर्तमान में जो LHB (Linke Hofmann Busch) कोच हैं उन्हें End of Generation (EOG) सिस्टम के हिसाब से डिजाइन किया गया है, जिसमें दोनों तरफ दो पॉवर कार्स और दो डीजी सेट्स रहते हैं। उन्हें HOG टेक्नोलॉजी के हिसाब से चलाने के लिए मॉडिफाई किया जा रहा है।

वर्तमान में रेलवे द्वारा जिन पॉवर जनरेशन कार्स का इ्स्तेमाल किया जा रहा है, उनमें हर घंटे लगभग 100 lts डीजल लगता है, ऐसे में बहुत ज्यादा आवाज के साथ ही रेलवे पर खर्च का बड़ा बोझ भी पड़ता है, इसके साथ ही ट्रेनों के संचालन के दौरान धुएं का उत्सर्जन भी होता है।

नई HOG टेक्नोलॉजी से कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस का शून्य उत्सर्जन होता है। इसके अलावा ट्रेन संचालन के दौरान इसमें आवाज भी नहीं होती है।

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