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Chin से हालिया तनाव के बाद LAC पर राफेल तैनात करने की तैयारी

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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ हालिया तनावपूर्ण रिश्तों के बीच भारत ने चीन सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है। किसी भी हालात से निपटने के लिए सैनाएं तैयार हैं और हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी लेह का दौरा किया है। इस बीच खबर है कि जल्द भारत आ रहे एडवास फायटर जेट राफेल को भारत सरकार चीन सीमा पर तैनात कर सकता है। देश की वायु सुरक्षा व्यवस्था की गहराई से समीक्षा करने के लिए बुधवार से शुरू हो रहे वायु सेना के शीर्ष कमांडरों की कांफ्रेंस में राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख में तैनात करने पर फैसला किया जा सकता है। इस महीने के अंत तक फ्रांस से राफेल विमानों की पहली खेप मिलने वाली है।

भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष कमांडरों की 22 जुलाई से तीन दिवसीय कांफ्रेंस शुरू हो रही है। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया की अध्यक्षता में होने वाली इस कांफ्रेंस में उनके सभी सात कमांडर-इन-चीफ भी शामिल होंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस कांफ्रेंस को संबोधित कर सकते हैं।

कांफ्रेंस के मुख्य एजेंडे में पूर्वी लद्दाख के हालात पर चर्चा तो है ही, चीन से लगती अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड की सीमा के साथ वायु सेना की ताकत को मजबूत करने के उपायों पर भी व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा। एलएसी चीन से लगती वह सीमा है जिसका अभी तक सटीक निर्धारण नहीं किया जा सका है।

सूत्रों ने बताया कि अगले महीने के शुरू तक लद्दाख सेक्टर में पहली खेप में लगभग छह राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात किया जा सकता है। ये विमान इस महीने के आखिर तक भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे।

वायु सेना ने अपने आधुनिक बेड़े के मिराज 2000, सुखोई-30, और मिग-29 लड़ाकू विमानों को पहले ही लद्दाख में अग्रिम बेस पर तैनात किया है। चीन की सीमा से लगते अग्र्रिम बेस पर अत्याधुनिक अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर को भी किया जा चुका है। ये विमान वहां लगातार निगरानी का काम भी कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों की बैठक में फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान को प्राप्त करने की तैयारियों पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि राफेल के पहले स्क्वाड्रन को अंबाला एयर बेस पर तैनात किया जाएगा, जो रणनीतिक रूप से वायु सेना का बहुत ही अहम बेस है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया है। अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से युक्त राफेल विमानों के शामिल होने से वायु सेना की ताकत बहुत बढ़ जाएगी। इस आधुनिक लड़ाकू विमान के साथ ही हवा से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल मेटोर के मिलने से चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत नहीं करेंगे। वायु सेना फ्रांस से मिलने वाले राफेल को रूसी लड़ाकू विमानों के बेड़े के साथ तैनात करने पर काम कर रही है। राफेल के दो स्क्वाड्रन से न सिर्फ वायु सेना में लड़ाकू विमानों की कम होती संख्या पर रोक लगेगी, बल्कि इससे लंबी दूरी तक हमला करने की उसकी क्षमता भी बढ़ जाएगी। एक स्क्वाड्रन में 15 से 18 विमान होते हैं।