अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल को खोदने और कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए जनहित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया गया है. साथ ही दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल को खोदने और कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए जनहित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया गया है. साथ ही दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को तुच्छ कहा है.
जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को कहा कि वो जनहित में ये याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं. अदालत ने एक महीने में जुर्माना जमा करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि रामजन्मभूमि स्थल के समतलीकरण के दौरान कई अवशेष मिले थे. इसके बाद बिहार से आये दो बौद्ध मतावलंबियों ने राम जन्मभूमि पर अपना दावा बताया था.
भंते बुद्धशरण केसरिया ने कहा था कि अयोध्या में बन रहे राममंदिर निर्माण के लिए हुए समतलीकरण के दौरान बौद्ध संस्कृति से जुड़ी बहुत सारी मूर्तियां, अशोक धम्म चक्र, कमल का फूल एवं अन्य अवशेष मिलने से स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान अयोध्या बोधिसत्व लोमश ऋषि की बुद्ध नगरी साकेत है.
उन्होंने कहा था, ‘अयोध्या मसले पर हिंदु मुस्लिम और बौद्ध तीनों पक्षों ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी लेकिन सारे सबूतों को दरकिनार कर एकतरफा फैसला हिंदुओं के पक्ष में राम जन्मभूमि के लिए दे दिया गया. इसके लिए हमारे संगठन ने राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट समेत कई संस्थाओं को पत्र लिखकर वास्तविक स्थिति से अवगत कराया है.’
इसके बाद दो याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि स्थल को खोदने और कलाकृतियों यानी अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए जनहित याचिका दायर की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए याचिका को खारिज कर दिया और जुर्माना भी लगाया.
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