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भू माफिया हावी, सरकारी सिस्टम हाईजैक

गोड्डा के महगामा अंचल का हाल
रोक के बावजूद सरकारी जमीन की खरीद- बिक्री

Pravin Singh/Amit Singh

Ranchi : गोड्डा जिले में भूमाफियाओं का सिस्टम काम कर रहा है. सरकारी सिस्टम फेल है. सरकार से वेतन लेने वाले अफसर व कर्मचारी, भू -माफियाओं के सिस्टम में फिट नहीं बैठते हैं, तो समय से पहले ही तबादला हो जाता है. गोड्डा के महागामा अंचल में सरकारी सिस्टम को भूमाफियाओं ने हाईजैक कर लिया है. भूमाफिया जो चाहते हैं, वह करवाते हैं. एसपीटी एक्ट के अनुसार, संथालपरगना क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती है. महागामा अंचल के बसुआ सहित अन्य कई मौजा में जमीन की खरीद- बिक्री पर रोक के बावजूद भूमाफिया न सिर्फ जमीन खरीद रहे हैं, बल्कि बेच भी रहे हैं और फर्जी जमाबंदी भी करा रहे हैं.

जमीन के गोरखधंधे में राजनेता से लेकर अफसर तक शामिल

गोड्डा जिले के महागामा अंचल के बसुआ सहित अन्य मौजा में एसपीटी एक्ट का पालन नहीं हो रहा है. फर्जी जमाबंदीवाली जमीन की धड़ल्ले से खरीद-बिक्री का खेल चल रहा है. इस खेल में राजनेता से लेकर अफसर तक शामिल हैं. 2017 से लेकर अबतक 208 जमाबंदी बसुआ मौजा में करायी गयी है. इसका मतलब है सरकारी रोक के बाद भी बसुआ मौजा में सरकारी जमीन की खरीद-ब्रिकी जारी है. जमीन खरीदने वालों में राजनेता, सरकारी अफसर और कर्मचारी भी शामिल हैं.

भू-माफिया जो चाहते हैं, वह करा लेते हैं

सरकारी प्रावधान के अनुसार बंदोबस्ती वाली जमीन की किसी भी कीमत पर खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती है. अहस्तांतरणीय शर्त पर ही यह भूमिहीन को दी जाती है. बंदोबस्त जमीन की अधितकम सीमा पांच एकड़ है. पांच एकड़ से ज्यादा जमीन की बंदोबस्ती नहीं होती है. मगर गोड्डा के महगामा अंचल कार्यालय में भूमाफियाओं का नियम प्रभावी है. भूमाफियाओं ने एक ही व्यक्ति के नाम पर पांच एकड़ से ज्यादा जमीन की बंदोबस्ती कराई है. इतना ही नहीं, पांच एकड़ जमीन लेनेवाले व्यक्ति का नाम बदलकर, परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम पर भी जमीन की बंदोबस्ती करा दी है.

जमाबंदी के लिए नाम और जाति भी बदल दिया

बसुआ मौजा में गोविंद प्रसाद, पिता देवी प्रसाद टिबड़ेवाल के नाम पर सबसे पहले 2 बीघा 9 कट्ठा जमीन की बंदोबस्ती पंजी टू में दर्ज की गयी. इसके बाद गोविंद प्रसाद मारवाड़ी, पिता देवी प्रसाद मारवाड़ी के नाम पर क्रमशः1 बीघा 15 कट्ठा, 16 धुर और 15 कट्ठा 1 धुर जमीन की बंदोबस्ती कराई गयी है. फिर गोविंद प्रसाद ने गोविंद प्रसाद राम (पिता देवी राम) बनकर भी तीन बीघा 14 कट्ठा जमीन की फर्जी तरीके से बंदोबस्ती करायी. इसके बाद गोविंद प्रसाद के पिता देवी राम मारवाड़ी के नाम पर 6 बीघा 12 कट्ठा 13 धुर और देवी राम मारवाड़ी पिता महादेव राम मारवाड़ी की मां के नाम पर भी 15 कट्ठा जमीन की जमाबंदी करायी गयी है. इतना ही नहीं, महादेव राम मारवाड़ी परिवार के अन्य लोग, जिनमें मोइनराम मारवाड़ी पिता द्वारिका प्रसाद मारवाड़ी के नाम पर 15 कट्ठा एक धुर, लोकनाथ मारवाड़ी पिता रामौतार राम और भागीरथ देवी पिता/ पति बृजमोहन राम के नाम पर एक बीघा 15 कट्ठा एक धुर, भागीरथी देवी पिता/ पति बबू बृजमोहन राम के नाम पर 15 बीघा 17 कट्ठा 10 धुर सरकारी परती कदीम जमीन की फर्जी तरीके से बंदोबस्ती कर पंजी टू में दर्ज कर दी गयी.

फर्जी रजिस्ट्री अनेक, मगर फार्मेट एक
फर्जी जमीन की खरीद- बिक्री के लिए रजिस्ट्री पेपर में लिखने के लिए भूमाफियाओं ने एक फार्मेट तैयार किया है. उस फार्मेट में नाम और पता बदल कर जमीन की रजिस्ट्री करा दी जाती है. शुभम संदेश को महागामा अंचल के बसुआ मौजा के दर्जनों रजिस्ट्री पेपर और शपथ पत्र उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें एक ही बात लिखी हुई है. महगामा अंचल के बसुआ मौजा अंतर्गत 2 कट्टा 7 धुर जमीन की बिक्री मुखलाल अंसारी ने की है. मुखलाल अंसारी ने अपनी जमीन अशोक उपाध्याय को दी है. रजिस्ट्री पेपर के पहले व्यान में जमीन की जानकारी है. दूसरे नंबर के पारा में लिखा है कि कैसे जमीन मिली है.
तीसरा पारा सबसे मजेदार है. इसमें मुखलाल अंसारी ने लिखा है कि यदा-कदा व्यापार के क्रम में गांव मड़पा, थाना बलवड्डा आया -जाया करता था. इसी दौरान उनकी दोस्ती आनंद उपाध्याय से हुई. उनसे कहा गया कि वे भी आपके गांव के निकट ही महागामा उर्जानगर में रहते हैं. ईसीएल ललमटिया राजमहल परियोजना में कार्यरत हूं. इतनी निकटता होने की वजह से हम दोनों की दोस्ती में अधिक प्रगाढ़ता आ गई. वे मुझे असाध्य रोगों का इलाज कराने के लिए आर्थिक सहायता भी करने लगे.
चौथे पारा में लिखा है कि एक दिन आनंद उपाध्याय ने मित्रता वश यह प्रस्ताव रखा कि उन्हें परिवार सहित महागामा में रहने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अत: क्यों नहीं आप मुझे या मेरी पत्नी रीमती रीता उपाध्याय के नाम से दो कट्ठा 7 धुर जमीन मित्रतावश दान के रूप में बसने के लिए दें. हमने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. जमीन से संबंधित पंचनामा बनाकर दे दिया. एक शपत्र पत्र भी आनंद उपाध्याय की पत्नी के नाम से तैयार कर लिखा कि उसे जमीन का दे रहा हूं, ताकि वे लोग परिवार सहित उस जमीन पर मकान बनाकर शांतिपूर्वक निवास कर सकें.
पांचवें पारा में लिखा है उक्त जमीन पर मेरे आद औलाद या किसी भी मेरे संबंधियों का काई अधिकार नहीं रहा और भविष्य में भी मैं मेरा कोई भी उक्त जमीन पर दावा पेश नहीं करेगा. ऐसा करने पर न्यायालय द़वारा पायबंद होंगे.
छठे पारा में लिखा है कि रीता उपाध्याय जमीन का नामांतरण सरकारी सिरिस्ते में करवा कर मालगुजारी रसीद प्राप्त कर सकती हैं, इसमें मुझे कोई एतराज नहीं है.