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Agra: साइबर ठगी के लिए खुलवाते बैंक खाते, पुलिस ने दो एजेंटों को दबोचा; 18 खातों से हुआ करोड़ों का घपला

Cyber Crime
– फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

उत्तर प्रदेश के आगरा में साइबर अपराधी ग्रामीण अंचल के लोगों को बातों में फंसाकर किराये के बैंक खाते खुलवाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। थाना जगदीशपुरा पुलिस ने खाते खुलवाने वाले दो एजेंट को गिरफ्तार किया है। वह एक खाता खुलवाने पर खाताधारक को 10 हजार रुपये देते थे। एजेंट को खातों में जमा और निकासी होने वाली रकम का डेढ़ फीसदी तक हिस्सा दिया जाता था। पुलिस अब साइबर गैंग के सरगना अल्फ्रेड और उसके दो साथियों की तलाश कर रही है।

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डीसीपी सूरज कुमार राय ने बताया कि पकड़े गए एजेंट गांव अमरपुरा, जगदीशपुरा थाना क्षेत्र निवासी अमित शाक्य और अर्पित हैं। उन्होंने पूछताछ में बताया कि 4 माह पहले इंस्टाग्राम पर उनका संपर्क अल्फ्रेड नाम के व्यक्ति से हुआ। उसने घर पर बैठे कमाई करने का प्रस्ताव दिया। अल्फ्रेड ने दोनों से कहा कि उन्हें लोगों के बैंक खाते खुलवाने हैं। खाताधारक को 10 हजार रुपये मिलेंगे। 

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डीसीपी ने बताया कि अमित और अर्पित अब तक 18 बैंक खाते खुलवा चुके हैं। खाताधारक के नाम से सिम यूपीआई आइडी बनाने के लिए ले लेते थे। सिम वापस करते समय खाताधारक के मोबाइल में अल्फ्रेड की ओर से उपलब्ध कराया गया लिंक अपलोड कर देते थे। इससे खाताधारक के पास आने वाले ओटीपी और मैसेज अल्फ्रेड तक पहुंच जाते थे। पुलिस की ओर से 18 खातों की छानबीन में करोड़ों रुपये का लेनदेन सामने आया है। आरोपियों के पास से एक टैबलेट, दो मोबाइल व अन्य चीजें बरामद की हैं।

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आरोपी फर्जी आधार कार्ड का कर रहे थे प्रयोग

अमित और अर्पित ने बताया कि वह खाताधारकों से अपनी पहचान छिपाने के लिए फर्जी आधार कार्ड का प्रयोग करते थे। इससे कि धोखाधड़ी का मामला पुलिस तक पहुंचने पर वह पकड़ में नहीं आएं। पुलिस को आरोपियों के मोबाइल से अल्फ्रेड के साथ इंस्टाग्राम, टेलीग्राफ और वाट्सएप की चैट मिली है। इसमें खाताधारकों की पूरी जानकारी है।

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एक खाता का इस्तेमाल महज 5 दिन

दोनों एजेंट ने पुलिस को बताया कि वह अल्फ्रेड एक का खाते का उपयोग 5 दिन से अधिक नहीं करता था। एक दिन में खाते से 15 लाख रुपये की जमा-निकासी करता था। अधिक लेनदेन के चलते खाताधारक को जानकारी होने पर वह शिकायत कर देता। खाता सीज कर दिया जाता था। पांच दिन में 70 से 80 लाख रुपये रकम जमा करा निकाली जाती थी।