झारखंड समेत तीन राज्यों में 20 सितंबर से फिर रेल टेक रोको आंदोलन करेगा कुड़मी समाज : शीतल – Lagatar – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

झारखंड समेत तीन राज्यों में 20 सितंबर से फिर रेल टेक रोको आंदोलन करेगा कुड़मी समाज : शीतल – Lagatar

राज्य में मुरी, गोमो, नीमडीह व घाघरा रेलवे स्टेशनों पर रेल सेवा पर पड़ेगा असर
20 सितंबर 2022 व पांच अप्रैल 2023 को पांच दिवसीय रेल रोको आंदोलन कर चुका है मोर्चा

Ranchi : कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर एक साल में तीसरी बार कुड़मी विकास मोर्चा 20 सितंबर से रेल टेक रोको आंदोलन करेगा. मालूम हो कि इससे पहले कुड़मी समाज 20 सितंबर 2022 व पांच अप्रैल 2023 को पांच दिवसीय रेल रोको आंदोलन कर चुका है. आंदोलन को सफल बनाने के लिए सोमवार को होटल गंगा आश्रम में प्रेस वार्ता की गयी. मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि कुड़मी, महतो को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने एवं कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 20 सितंबर को झारखंड में मुरी, गोमो, नीमडीह व घाघरा रेलवे स्टेशनों तथा पश्चिम बंगाल के खेमासुली व कुस्तौर रेलवे स्टेशन तथा ओड़िशा में हरिचंदनपुर, जराइकेला व धनपुर रेलवे स्टेशनों अनिश्चितकालीन रेल टेका आंदोलन शुरू किया जाएगा.

इसी सत्र में लाया जाये बिल

उन्होंने कहा कि संसद के इसी सत्र में कुड़मियो को एसटी में शामिल करने का बिल लाया जाए, नहीं तो इस बार जब तक केंद्र सरकार द्वारा लिखित नहीं दिया जाएगा, तब तक नहीं हटेंगे रेलवे ट्रैक से कुड़मी समाज के लोग. रेलवे में सफर कर रहे यात्रियों से भी अपील की है कि वे इस आंदोलन का समर्थन करें. यात्रियों को आने वाली परेशानियों के लिए कुरमी विकास मोर्चा की तरफ से माफी भी मांगी है.

ज्ञापन में हेमंत सोरेन का भी हस्ताक्षर था

शीतल ओहदार ने कहा कि कुड़मी समाज ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को भी ज्ञापन सौंपा था. झारखंड में जब रघुवर दास मुख्यमंत्री थे, उन्हें 42 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपा गया था. उसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी हस्ताक्षर शामिल था.

अर्जुन मुंडा कुड़मी समाज के साथ धोखाधड़ी कर रहे

ओहदार ने कहा कि केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा कुड़मी समाज के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री रहते 2004 में कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को कर चुके हैं. देशभर की 16 जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिया, जिनका कभी जनजातीय इतिहास ही नहीं रहा. उनके पक्षपातपूर्ण रवैया को अब कुड़मी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा. प्रेस वार्ता में हरमोहन महतो, रामपदो महतो, सुषमा देवी, दानी सिंह महतो, सखी चंद महतो, दीपक महतो सोनालाल महतो, दीपक चौधरी व संदीप महतो मौजूद थे.

73 वर्ष हो गए, गलती को सुधारा नहीं गया

कहा कि 1913 तक मुंडा, मुंडारी, संथाली आदि के साथ कुड़मी भी आदिम जनजाति (प्रीमिटिव ट्राइब्स) की सूची में शामिल थी. 6 सितंबर 1950 को जब लोकसभा में जनजाति की सूची प्रस्तुत की गई, तो उसमें कुड़मी नहीं था. इसका लोकसभा में उपस्थित 15 सांसदों ने विरोध भी किया था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व गृह मंत्री बूटा सिंह रांची आए थे, तो उन्हें भी ज्ञापन देकर इस ओर ध्यान दिलाया गया था. बता दें कि झारखंड विषयक समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि कुड़मी समाज की जीवनशैली अनुसूचित जनजाति जैसी है. इसलिए इस पर विचार किया जाए. लेकिन 73 वर्ष हो गए, गलती को सुधारा नहीं गया है.

कु़ड़मी सांसद सदन में उठाएं हमारी मांग

उन्होंने कहा कि 18 से 22 सितंबर तक चलने वाली संसद का विशेष सत्र में कुड़मी महतो को केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे. कुड़मी समाज के सांसदों को भी कहा कि कुड़मी महतो को एसटी की सूची में शामिल करने की मांग को जोरदार तरीके से विशेष सत्र में उठाएं. उन्होंने कहा कि सारे दस्तावेज होने के बावजूद कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति के सूची से बाहर रखा गया है. जिसके कारण आज यह जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार शिक्षा के साथ-साथ राजनैतिक भागीदारी में अंतिम पायदान पर चला गया है. आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी आदिकाल से आदिवासी था, है और आगे भी रहेगा.