जिले में एक माह पहले से सोयाबीन की बोवनी हुई थी। इसके बाद बारिश नहीं होने से फसल मुरझाने लग गई है और ग्रोथ भी रुक गई है। यदि एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो पथरीली जमीन की फसल खराब होने का अंदेशा है। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। जिले में सोयाबीन की बोवनी शुजालपुर और कालापीपल में एक माह पहले हो चुकी है। जबकि शहर और मोहन बड़ोदिया में 20 दिन हो चुके हैं। बारिश नहीं होने से इस बार भी फसलों पर खतरा मंडरा रहा है। पर्याप्त पानी नहीं मिलने से फसलों में रोग भी पैदा हो सकते हैं। शहर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक द्वारा मोबाइल फोन और मैसेज के माध्यम से किसानों को फसल बचाने के उपाय बताए जा रहे हैं। इस बार कृषि विभाग के अनुसार जिले में 2 लाख 75000 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई है। कृषि विभाग के अनुसार अगर सब कुछ ठीक रहा तो इतने रकबे में इतनी फसल का उत्पादन होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। भदोही के किसान शिव नारायण सिंह बताते हैं कि उन्होंने करीब बीस दिन पहले 16 बीघा में बोवनी की है। अब खेतों की नमी खत्म हो चुकी है और अगर एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो फसल नष्ट हो जाएगी। काशीराम बताते हैं कि तीन सप्ताह पहले 23 बीघा में सोयाबीन की बोवनी की, तेज गर्मी और उमस के कारण फूल नष्ट होने लगे हैं। खरपतवार नष्ट करके वह फसल को जैसे तैसे बचा रहे हैं। टुकराल के ओंकार मोदी तथा दुपाड़ा के सुरेश पचौरी बताते हैं कि बोवनी किए 25 दिन से ज्यादा हो गए। अगर बारिश नहीं हुई तो आधी से ज्यादा फसल नष्ट हो जाएगी। कृषि उपसंचालक आर.पी.एस. नायक ने बताया कि इस बार जिले में 2.75 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की जा चुकी है। बारिश समय पर हुई और ठीक हुई तो इस बार का लक्ष्य 41 लाख 25 हजार क्विंटल सोयाबीन के उत्पादन का है।
किसानों को सलाह कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एसएस धाकड़ ने बताया कि सोयाबीन की बढ़त रुकी हुई है। खेत की नमी बनाए रखने हेतु डोरा कुलफा चलाना, पलवार लगाना आदि करें। 10-15 दिन से अधिक समय तक सूखे की स्थिति होने पर सिंचाई का प्रबंध करें। कुछ क्षेत्रों में पीला मोजेक के प्रकोप की सूचना है। ऐसे लक्षण दिखते ही वायरस ग्रस्त पौधों को निकाल दें। सफेद मक्खी के प्रकोप से निपटने के लिए पूर्व मिश्रित रसायन जैसे बीटासायप्लुथ्रिन-एमीडाक्लोप्रिड या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम-लेम्बडा सायहलोथ्रीन का छिड़काव करें।
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