Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

गोड्डा के महगामा अंचल में सरकारी दस्तावेज में छे

वर्ष 2017 तक बसुआ मौजा में 76 लोग जमीन पर कब्जा कर चुके थे
2023 में कब्जाधारियों की संख्या बढ़ कर 208 तक पहुंच गयी

Praveen Kumar/Amit Singh

Ranchi :  गोड्डा जिला के महगामा अंचल के बसुआ मौजा की 169 बीघा जमीन कब्जा ली गयी है. इस जमीन का किसी भी तरह का जमींदारी रिटर्न सरकार के पास नहीं है. जमींदारी उन्मूलन के समय यह जमीन जमींदार द्वारा बंदोबस्त की गयी है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है. ऐसे में किस आधार पर करोड़ों की जमीन बंदोबस्त कर दी गयी, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. फर्जी तरीके से कैलाश टिबड़ेवाल परिवार ने बसुआ मौजा की जमीन पर दावा किया है. पूर्ववर्ती जमींदारों द्वारा फर्जी हुकुमनामा के आधार पर बसुआ मौजा में वर्ष 2017 तक 76 लोग जमीन पर कब्जा कर चुके थे. 2023 में कब्जाधारियों की संख्या बढ़कर 208 तक पहुंच गयी. जिला प्रशासन द्वारा अवैध जमाबंदी करानेवालों को लगातार चिह्नित कर आगे की कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा है. अवैध जमाबंदी करानेवालों को नोटिस भी भेजा जा रहा है, लेकिन यह सब सिर्प कादजी कार्रवाई तक ही सिमट कर रह गया है. भू-माफिया, अफसर-कर्मचारी व सफेदपोशों के गंठजोड़ ने सैंकड़ो बीघा सरकारी जमीन की अवैध जमाबंदी कराने के बाद खरीद-बिक्री से करोड़ों रुपये की कमाई कर आपस में बांट लिए हैं.

जिला प्रशासन की रिपोर्ट- सुनियोजित घोटाला हुआ है

जिला प्रशासन ने गलत तरीक से लगान रसीश निर्गत करने और फर्जी तरीके से जमाबंदी किए जाने को अपनी जांच रिपोर्ट में प्रथम द्ष्टया एक सुनियोजित घोटाला माना है. इस जमीन घोटाले की विस्तृत जांच कराने की सिफारिश भी जांच रिपोर्ट में की गयी है. वर्तमान परिस्थिति में बसुआ मौजा की जमीन का मामला काफी गंभीर होता जा रहा है. वहीं सरकारी जमीन की फर्जी तरीके से पूर्वजों के नाम से बंदोबस्त करायी गयी है. उसी जमीन की कैलाश टिबड़ेवाल ने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट को दरकिनार कर सादा पट्टा के माध्यम से खरीद- बिक्री की है. सरकारी जमीन पर कब्जा कर बिक्री किए जाने का जिक्र सरकारी रिपोर्ट में साक्ष्य के साथ है. पूरे मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी गयी है.

टिबड़ेवाल किनके वंशज हैं, नहीं दे पाए साक्ष्य

जांच रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश टिवड़ेवाल व टिबड़ेवाल परिवार ने न केवल सरकारी जमीन हड़पी और बेची है, बल्कि महागामा के कुछ मौजा में निजी रैयतों की भी जमीन हड़प ली है. जहां वे कानून से नहीं पार पाते हैं, वहां दादागीरी पर भी उतारू हो जाते हैं. ऐसा एक मामला महागामा अंचल के लीलवारी में जमाबंदी नं 27 का भी है. यहां कैलाश टिवड़ेवाल ने अपने मुंशी के माध्यम से आवेदन दिलवाकर इस जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने को नोटिस लगवा दिया था. प्रशासन ने पूरे मामले की विस्तृत जांच करायी, जिसमें अनुमंडल पदाधिकारी महागामा ने पत्रांक 2001/सा दिनांक 22/7/21 को इनके दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि पर्चा में दर्ज रैयत किनके वंशज हैं, इिसका साक्ष्य नहीं दे पाये और रैयत द्वारिका प्रसाद ढांढनिया के वंशज नवीन कुमार ढांढनिया के पक्ष में फैसला दिया.

You may have missed