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पीएम मोदी का वाराणसी दौरा: मातृशक्ति ने पुष्प वर्षा से किया स्वागत, स्टेडियम के शिलान्यास में दिखे पूर्व क्रिकेटर

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प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी शनिवार को 31वीं बार वाराणसी पहुंचे। उत्तरप्रदेश और काशी की जनता को 1566 करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात दी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया। साथ ही काशी सहित प्रदेश के 16 मंडलों में बने अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण किया। महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद पहली बार काशी आए मोदी ने तीन अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को काशी आए और छह घंटे में तीन कार्यक्रमों में शामिल हुए।

अपने संसदीय क्षेत्र काशी आए प्रधानमंत्री खुली जीप से गंजारी स्थित जनसभा स्थल के मंच तक गए। यहां महिलाओं ने उनका स्वागत किया। पीएम ने गंजारी में 451 करोड़ की लागत से बन रहे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया। यह स्टेडियम दिसंबर 2025 तक बनकर तैयार होगा। यह देश का पहला स्टेडियम है, जिसकी थीम धर्म है। महादेव को समर्पित थीम में त्रिशूल आकर की फ्लड लाइटें लगेंगी। डमरू आकार में लाउंज व मीडिया गैलरी होगी।

गंजारी में दिग्गज क्रिकेटरों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने भोजपुरी में जनता से संवाद स्थापित किया। कहा कि आज फिर से बनारस आवे क मौका मिलल हौ। जउन आनंद बनारस में मिलला ओकर व्याख्या असंभव हौ। अब देश का मिजाज है। जो खेलेगा, वही खिलेगा। राष्ट्र के विकास के लिए खेल के बुनियादी ढांचे का विस्तार जरूरी है। युवाओं को भी तलाशने और तराशने की जरूरत है। 

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पीएम ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद पहली बार काशी माताओं का आशीर्वाद लेने आया हूं। जब चंद्रमा के शिवशक्ति प्वाइंट तक पहुंचने का भारत का एक महीना पूरा हो रहा है, तब काशी आने का मौका मिला है। शिवशक्ति यानी वो स्थान, जहां बीते महीने की 23 तारीख को हमारा चंद्रयान लैंड हुआ था। एक शिवशक्ति का स्थान चंद्रमा पर है। दूसरा शिवशक्ति का स्थान ये मेरी काशी में है। 

पीएम मोदी ने कहा कि आज शिवशक्ति के इस स्थान से, शिवशक्ति के उस स्थान पर भारत की विजय की मैं, फिर से बधाई देता हूं। गोरखपुर में स्पोर्ट्स स्टेडियम का विस्तार किया जा रहा है। काशी के सिगरा स्टेडियम में खेल सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब माता-पिता बच्चों को डांटते थे कि खेलते ही रहोगे क्या, पढ़ाई-वढ़ाई करोगे की नहीं, अब माता-पिता भी खेलों को लेकर गंभीर हुए हैं।