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रांचीः एक्यूट विल्सन क्राइसिस से पीड़ित बच्चे की

Ranchi: राज अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ रविश रंजन (गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट) और डॉ. अविनाश कुमार दुबे (किडनी रोग विशेषज्ञ) ने प्लाज्मा थेरेपी के द्वारा एक 9  वर्षीय बच्चे की जान बचाई. बच्चा चतरा जिले का रहने वाला है और लम्बे समय से इस बीमारी से पीड़ित था. विगत कुछ दिनों से बच्चे का इलाज शहर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में हो रहा था. जहां चिकित्सकों ने पाया की बच्चा एक्यूट विल्सन क्राइसिस की  अवस्था में था, जिसमे मरीज का लीवर काम करना बंद कर देता है और अगर लीवर प्रत्यारोपण नहीं किया गया तो 90% से ज्यादा केसेस में मरीज की जान नहीं बचती है. बच्चे की बीमारी की गंभीरता को देखते हुए , व्यापक उपचार के लिए बच्चे को डॉ रविश रंजन के पास रेफर कर दिया. डॉ रविश रंजन एवं डॉ. अविनाश कुमार दुबे ने प्लाज्मा थेरेपी की मदद से बच्चे का इलाज कर उसकी जान बचाई.

डॉ रविश रंजन ने बताया की विल्सन रोग एक वंशानुगत स्थिति है, जिसके कारण शरीर में अतिरिक्त तांबा जमा हो जाता है. पीड़ित मरीज का लीवर पित्त में तांबा नहीं छोड़ता जैसा उसे छोड़ना चाहिए. जैसे ही तांबा लीवर में जमा होता है, यह उसे नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है और लीवर काम करना बंद कर देता है. पर्याप्त क्षति के बाद, लीवर तांबे को सीधे रक्तप्रवाह में छोड़ता है, जो तांबे को पूरे शरीर में ले जाता है. तांबे के जमा होने से गुर्दे, मस्तिष्क और आंखों को नुकसान होता है. यदि उपचार न किया जाए, तो विल्सन रोग गंभीर मस्तिष्क क्षति, यकृत विफलता और आकस्मिक मृत्यु का कारण बन सकता है.

इस वंशानुगत बीमारी की वजह से बच्चे का बड़ा भाई पहले ही अपनी जान गवां चुका है. मरीज जब आज से 10 दिन पहले राज अस्पताल में आया था. उस समय उसके शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा 58 mg/dl थी और INR 12.5sec था. गुदे से रक्तस्त्राव हो रहा था, मेलेना की स्थिति थी, मरीज सेप्सिस में था और BP भी कम थी और मरीज स्टेज 3 लिवर फेलियर की अवस्था में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था. मरीज की ऐसी अवस्था में डॉ. रविश रंजन ने डॉ. अविनाश कुमार दुबे की मदद से अपनी देख- रेख में बच्चे की प्लाज्मा थेरेपी की, जिसमें उन्होने मरीज को प्लाज्मा थेरेपी के चार सत्र दिये.

डॉ रविश रंजन ने बताया की प्लाज्मा थेरेपी में मशीन की सहायता से मरीज के खून से प्लाज्मा को निकाल कर नयी प्लाज्मा डाल दी जाती है. जिससे की उसके शरीर में तांबा जमाव एवं संक्रमण कम हो जाता है और मरीज की जान बच जाती है. इलाज के दौरान राज अस्पताल के गहन चिकित्सा विभाग की टीम और विभाग के मुख्य चिकित्सक डॉ. मोहिब अहमद का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा. राज अस्पताल, रांची में पहले से ही प्लाज्मा थेरेपी की मदद से अल्कोहल के सेवन से होने वाले एक्यूट क्रोनिक लीवर फेलियर की अवस्था में भी मरीजों की जान बचाई जा रही है.