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सुदेश फिर चुने गए आजसू पार्टी के अध्यक्ष

आजसू महाधिवेशन का समापन: मिशन 2024 के लिए खेला झारखंडी अस्मिता का कार्ड
हेमंत सोरेन और खुद के आदिवासी दर्शन की व्याख्या किया, सीएम को लिया निशाने पर
एक बार फिर से वृहद झारखंड का किया आलाप, सरना धर्म कोड का भी उठाया मुद्दा

Ranchi: सुदेश कुमार महतो के फिर से अध्यक्ष चुने के साथ आजसू पार्टी का तीन दिवसीय महाधिवेशन का समापन रविवार को मोरहाबादी मैदान में हो गया. सुदेश महतो और पार्टी ने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पूर्व एक बार फिर से झारखंडी अस्मिता का कार्ड खेला है. पार्टी ने सरना धर्म कोड से लेकर वृहद झारखंड देने का संकल्प लिया है. इसके साथ ही आदिवासी, दलित, ओबीसी और अलपसंख्यक कार्ड खेलते हुए इन्हें अपनी ओर फिर से आकर्षित करने का जाल फेंकने का पूरा-पूरा प्रयास किया है. एक ओर सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशाने पर लेते हुए उन्हेंं छद्म आदिवासी सीएम करार दिया, वहीं हेमंत सोरेन के आदिवासी दर्शन की व्याख्या कर डाली. सुदेश ने कहा कि हेमंत सोरेन का आदिवासी दर्शन क्या है. हेमंत सोरेन ने आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ों को छला है. आदिवासी समाज के वीरों के सपनों को हाशिए पर छोड़ा है. सोरेन का आदिवासी दर्शन यही है कि सत्ता के भागीदारों को पांच किलो चावल और धोती-साड़ी देकर उन्हें हाशिए पर रखना है. जबकि सुदेश महतो का आदिवासी दर्शन क्रांतकारी सिदो- कान्हू, वीर बिरसा, बुधू भगत, जयपाल सिंह, टाना भगत हैं.

शासन कमजोर और बेलगाम हो तो सुशासन की बात बेमानी

अध्यक्ष चुने जाने के बाद सुदेश ने कहा कि शासन कमजोर, गैरजवाबदेह, भ्रष्टाचार में संलिप्त हो और बेलगाम प्रशासन के हाथों में खेलता हो. आम आदमी, पंच, गांव की चौपाल की सत्ता में भागीदारी नहीं हो, तो वहां सुशासन की बात बेमानी होगी. हेमंत सोरेन की सरकार में झारखंड की यही तस्वीर उभऱी है. सुशासन और स्वशासन में आम सहमति, जवाबदेही महत्वपूर्ण होती है. हम और हमारी पार्टी ने नवनिर्माण के नौ संकल्पों के साथ स्वशासन से सुशासन का लक्ष्य रखा है. इसमें झारखंडी हक और अधिकार सुनिश्चित किये जाएंगे. राज्य के सपनों को जगाने के लिए आजसू पार्टी आगे बढ़ चुकी है. अपने संबोधन में सुदेश कुमार महतो ने कहा कि सुशासन से मेरा मतलब झारखंडी विचारों, विषयों, आम सहमति, जवाबदेही, उत्तरदायी का अनुसरण और आम आदमी को सत्ता का भागीदार बनाना होगा.

सुदेश महतो बनेंगे राज्य के मुख्यमंत्री

आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा कि जिस दिन हम हर गांव को और राज्य की अंतिम कड़ी को पार्टी से जोड़ लेंगे, तब आजसू की सरकार बनेगी और सुदेश महतो राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने आरक्षण के नाम पर दिग्भ्रमित किया है. ओबीसी आरक्षण को नगर निकाय चुनावों में खत्म कर दिया. हमें अधिकार लड़कर लेना होगा.विधायक डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि झारखंड राज्य का नवनिर्माण का संकल्प इस महाधिवेशन में हम सभी ने लिया है. सरकार जल, जंगल जमीन को लूटने में लगी है. कार्यक्रम में पूर्व मंत्री उमाकांत रजक, रामचंद्र सहिस, विधायक सुनीता चौधरी, अकील अख्तर, रोशन लाल चौधरी,डॉ देवशरण भगत, हसन अंसारी, राधेश्याम, माधावचंद्र महतो, तरुण गुप्ता, यशोदा देवी, तिवारी महतो, भरत कांशी, कुशवाहा शिवपूजन मेहता, नजमूल हसन हाशमी आदि ने भी संबोधित किया.

राजनीतिक प्रस्ताव पारित

-पार्टी चाहती है कि झारखंड में समता मूलक शोषण विहीन समाज की स्थापना हो.

-झारखंडी जनसमुदाय का सांस्कृतिक पहचान एवं आत्मनिर्णय का अधिकार मिले.

-झारखंड में भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था की बहाली हो.

-वृहत झारखंड राज्य की स्थापना के लिए आजसू पहल तथा आंदोलन करेगी.

– ओडिशा और बंगाल के जिलों को झारखंड में शामिल किए जाने तक इनके सांस्कृति, भाषा, अस्मिता एवं पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इन दोनों क्षेत्रों में स्वायत्त परिषद का गठन किया जाए.

-झारखंड की भोगौलिक स्थिति तथा बढ़ी हुई आबादी के कारण सीटों की संख्या में बढोत्तरी आवश्यक लगती है.अतः झारखंड राज्य की विधानसभा के लिए कुल सीटों की संख्या 162 की जाए.

-विशेषज्ञों, अनुभवी लोगों का सीधा राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में विधान परिषद का गठन किया जाए.

– आंदोलनकारियों के सूचीकरण, मुकदमा वापसी, पुर्नवास, रोजगार, एवं सम्मान प्रदान करने के लिए कार्रवाई की जाए.

-पार्टी महसूस करती है कि अल्पसंख्यक समुदाय के समूचित आर्थिक – सामाजिक विकास की दिशा में सही कदम उठाए जाने की जरूरत है.

-महिलाओं को राज्य और देश स्तर पर राजनीति में भागीदारी सुनिश्चित करना है. औद्योगिक इकाइयों में महिलाओं के लिए रोजगार में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था हो.

-आरक्षण नीति में संशोधन करते हुए अनुसूचित जनजाति को 26 प्रतिशत बढ़ाकर 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत तथा पिछड़ी जाति को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए.

– इस नीति में ऐसा प्रावधान किया जाए कि राज्य/जिला स्तरीय नियुक्तियों में शत् प्रतिशत नियुक्ति वैसे लोगों की ही हो जिनका राज्य/जिला के अंदर अपने या अपने पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत, आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राईट में दर्ज हो.

-कर्मचारी चयन आयोग, झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न पदों के लिए अपनाई जाने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में विशेष रूप से क्षेत्रीय एवं जनजातिय भाषाओं के पर्याप्त ज्ञान को महत्व देते हुए लिखित परीक्षा के साथ साथ साक्षात्कार में अंक निर्धारित किया जाए.

-जिला स्तर पर किए जाने वाले नियुक्ति में केवल उस जिले में प्रचलित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में साक्षात्कार का प्रावधान हो.

-सरकारी/गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में वैसे लोगों के लिए प्राथमिकता का प्रावधान हो जिनका राज्य के अंदर अपने या अपने पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत, आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राईट में दर्ज हो.

-ग्राम सभा, पंचायत और जिला परिषद को सशक्त किया जाए और ग्राम गणराज्य के सोच को धरातल पर लाया जाए.

-सरना धर्म कोड लागू किया जाए.