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भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा से एनआईए कर रही पूछताछ

Ranchi : भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा से एनआईए पूछताछ कर रही है. एनआईए ब्रांच रांची प्रमोद मिश्रा को एक सप्ताह के लिए रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. बिहार पुलिस ने झारखंड बिहार का कुख्यात नक्सली पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा को उसके दो अन्‍य साथियों के साथ बीते नौ अगस्त को गिरफ्तार किया था. रितेश विद्यार्थी के भाई रोहित विद्यार्थी को गिरफ्तार किया था. रोहित से पूछताछ के बाद बिहार पुलिस को प्रमोद मिश्रा के बारे में जानकारी मिली थी. इस दौरान बिहार पुलिस को जानकारी मिली कि प्रमोद मिश्रा गया जिला का लुटुआ गांव आने वाला है. पुलिस ने पोलित ब्यूरो सदस्य और एनआरबी (उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो) के प्रभारी प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तार कर लिया था. प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस ने हथियार, गोला-बारूद और एक बंदूक फैक्ट्री का उद्भेदन किया था. जिससे बिहार और यूपी में हथियारों की सप्लाई करने और देशी हथियारों को इकट्ठा करने के लिए स्थापित किया गया था.

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प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने में जुटा था

एनआईए जांच से संकेत मिले हैं कि कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंगों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से कैडरों को प्रेरित करने,भर्ती करने और माओवादी की विचारधारा का प्रचार करने का काम सौंपा गया था. वे इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की साजिश रच रहे थे. जांच से यह भी पता चला है कि प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में माओवादी के कैडरों और समर्थकों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेतृत्व कर रहे थे.

झारखंड-बिहार बॉर्डर पर माओवादियों को कर रहा था मजबूत

प्रमोद मिश्रा मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज थाना क्षेत्र के कासमा गांव का रहने वाला है. उसका लंबे समय तक सारंडा में कार्यक्षेत्र रहा है. गिरफ्तारी से पहले वह झारखंड-बिहार सीमा पर छकरबंधा में माओवादियों को मजबूत करने में जुटा था. प्रमोद मिश्रा को नक्सली संगठन में वर्ष 2004 में केंद्रीय समिति सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. वर्ष 2007 में पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया था. वह 11 मई, 2008 को धनबाद जिला के विनोद नगर से गिरफ्तार हुआ था. उसे न्यायालय ने सबूत के अभाव में वर्ष 2017 में रिहा कर दिया था. इसके बाद से ही वह क्षेत्र में फिर सक्रिय हो गया था. उस पर पुलिस पर हमले व कई नरसंहार का मास्टरमाइंड माना जाता है.
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