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जिंदगी तो छोड़िए…इस अस्‍पताल में मरीजों को मौत भी नहीं नसीब, मुर्दे कर दिए जाते रेफर, डॉक्‍टर दिखते लाचार

जामताड़ा के सदर अस्पताल की पोल वज्रपात से एक परिवार के तीन सदस्‍यों की मौत ने खोल दिया है। पहले तो एम्‍बुलेंस तक नसीब नहीं हुआ फिर कागजी प्रक्रिया के नाम पर घंटों इंतजार कराया गया। इसके बाद मरने की पुष्टि तक करने के लिए मुर्दों को दूसरे अस्‍पताल में रेफर किया गया। विधायक इरफान अंसारी इस पूरे मामले में डॉक्‍टरों की भूमिका पर भड़क गए हैं।

जामताड़ा : झारखंड के इकलौते डाॅक्टर विधायक इरफान अंसारी का क्षेत्र है जामताड़ा का नारायणपुर। लेकिन यहां के अस्पताल में डाॅक्टर व दवा तो दूर मौत भी मांगने पर लोगों को नसीब नहीं हो पाती।

मौत की पुष्टि तक नहीं कर पाए डॉक्‍टर

रविवार को नारायणपुर के चंदाडीह लखनपुर गांव में वज्रपात की चपेट में आए तीन बच्चों और पत्नी को लेकर पहुंचे धनु चौधरी को यहां इलाज लिए आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा। मौत की पुष्टि करने को भी कहने पर डाॅक्टरों ने तकरीबन आधे घंटे तक कागजी प्रक्रिया के नाम पर एंबुलेंस में ही शवों को लदवाए रखा। इंतहां तो यह कि यहां ड्यूटी पर तैनात आयुष डाॅक्टर इलाज करना तो दूर, मौत की पुष्टि कर पाने में भी असमर्थ रहे।

डॉक्‍टरों ने मुर्दों को कर दिया रेफर

वज्रपात की चपेट में आया एक पूरा परिवार मुर्दा कहलाने के ही इंतजार में एंबुलेंस पर पड़ा रहा और मृत होने की पुष्टि को जामताड़ा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। जब प्रभारी चिकित्सक श्रीकृष्ण गुप्ता की मौजूदगी की बात आई, तो पता चला वह धनबाद में रहते हैं और ड्यूटी नारायणपुर में करते हैं। नारायणपुर के प्रभारी चिकित्सक श्रीकृष्ण गुप्ता पर इससे पहले भी अस्पताल में ना रहने के आरोप लग चुके हैं। गुप्ता को पिछले दिनों जामताड़ा डीसी ने अपने अस्पताल परिभ्रमण के दौरान दोपहर बाद अस्पताल से गायब पाया था। उन्हें शोकाज भी किया गया, लेकिन उनकी कुर्सी बरकरार रही और यहां अस्पताल में लगातार लापरवाही का आलम भी अब तक बरकरार है।

विधायक बोले- मैं बेबस, हमारी ही सरकार फेल साबित हो रही

पूरे प्रकरण पर जामताड़ा विधायक डाॅक्टर इरफान अंसारी ने कहा कि यहां की चिकित्सा व्यवस्था को देख वह खुद को बेबस महसूस करते हैं। सही मायनों में कहें तो मेरी ही सरकार में पूरा स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य सेवाएं दे पाने में पूरी तरह से फेल साबित हो रहा। विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि पूरे स्वास्थ्य विभाग का तंत्र भ्रष्टाचार में लिप्त है। आउसोर्सिंग के जरिए बहाली कर इस लूट-खसोट को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले के सीएस लेकर स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी कहते हैं कि वह पैसे देकर आए हैं और पूरी उगाही करने के बाद ही अपनी कुर्सी छोड़ेंगे। उनकी ही पार्टी के स्वास्थ्य मंत्री होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह जानकार व्यक्ति मालूम पड़ते हैं, लेकिन उन्हें जमशेदपुर से बाहर निकलकर भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानना चाहिए। उन्‍होंने कहा वह पूरे प्रकरण को सीएम हेमंत सोरेन के सामने रखेंगे ताकि प्रदेश व जामताड़ा की जनता का कुछ भला हो सके।

मौत के बाद भी स्ट्रेचर नसीब नहीं

जामताड़ा के सदर अस्पताल में जब वज्रपात के शिकार मासूमों को एंबुलेंस से लाया गया, तो उन्हें यहां एक स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हुआ। मजबूरी में एंबुलेंस की ही एक सीट पर दो मासूमों की लाश लेकर स्टाफ अस्पताल के अंदर पहुंचे। मौत के बाद भी अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिल सका, यह है यहां के अस्पतालों को सचl 

पूरा मामला मेरे संज्ञान में है। संबंधित प्रभारी डाक्टर को शो-काज किया गया है। जरूरत पड़ी तो विभाग को लिखा जाएगा। ऐसे अमानवीय कृत और लापरवाही के लिए किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा- शशिभूषण मेहरा, डीसी, जामताड़ा।