प्राची चौधरी।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
यह इवेंट मेरी जिदंगी के लिए अभी तक का सबसे महत्वपूर्ण पल था। ट्रैक पर उतरते ही सबसे पहले ट्रैक को चूमा, जिससे जोश और जज्बा बना रहे। जब दूसरी एथलीट मेरी तरफ बैटन देने के लिए बढ़ रही थी तब दिल की धड़कन भी तेज हो गई। उस वक्त कुछ नहीं सूझा, तभी दिलो-दिमाग में राष्ट्रगान आया। मैंने वहीं पर खड़े होकर मन ही मन में जन गण मन गुनगुनाया और इसके बाद जोश के साथ हाथ में बैटन लेकर दौड़ पड़ी।
यह वीडियो/विज्ञापन हटाएं
राष्ट्रगान और मां से किए गए पदक के वादे से मेरे अंदर अलग ही ताकत थी। बस लक्ष्य था कि हर हाल में पदक जीतना है। यह कहना है कि सहारनपुर के झबीरण गांव की बेटी प्राची चौधरी का। जिसने हांगझोऊ में चल रहे एशियाड खेलों में 400 मीटर रिले दौड़ टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतकर नाम रोशन किया। अमर उजाला से फोन पर हुई बातचीत में प्राची ने इंवेंट के दौरान के अनुभव को खुलकर सांझा किया।
More Stories
बैंक में 32 लोगों की रिकॉर्डिंग दर्ज
ईसा पूर्व पर भारी पड़े वोट: बिंद्रानवागढ़ में सबसे ज्यादा 81.19% वोट, क्षेत्र में चुनाव में समर्थकों का भारी वोट
जॉनी इरावन आज रोड शो से प्रोमोशनल सुपरमार्केट