रायपुर में हर साल जिस गणेशोत्सव पर्व पर राजधानी में धूम मचती थी और झांकियों को देखने के लिए प्रदेश भर से हजारों लोग आते थे, अब इस साल कोरोना महामारी के चलते वैसा नजारा दिखाई नहीं देगा। न तो झांकियां निकलेंगी और न ही पंडाल में एक साथ 20 से ज्यादा लोग दर्शन कर पाएंगे।
इतना ही नहीं, स्वयं प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं को भी प्रशासन ने कोरोना नियमों से बांध दिया है। पंडालों में चार फीट से बड़ी प्रतिमा की स्थापना नहीं होगी, प्रतिमाओं का विसर्जन भी सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले करना होगा। जो पंडाल समितियां सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था नहीं कर पाएंगी वे गणेश प्रतिमाओं को विराजित भी नहीं कर सकेंगी। बीमारी फैलती है तो इसके जिम्मेदार समिति के सदस्य होंगे।
समितियों को नियम मंजूर नहीं
अपर कलेक्टर एवं अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विनीत नंदनवार ने अगले माह अगस्त से शुरू होने वाले गणेशोत्सव पर्व के संबंध में बुधवार को दिशा-निर्देश जारी किए। इसे लेकर गणेशोत्सव समिति के सदस्यों में हलचल मच गई है। कई समितियों के सदस्यों ने बताया कि प्रशासन के नए नियमों को देखते हुए शायद ही कोई समिति गणेशोत्सव पर्व आयोजित करे। कई नियम ठीक है, लेकिन सीसीटीवी कैमरा लगाने और कोरोना संक्रमित पाए जाने पर समिति पर कार्रवाई करने के नियम कठोर हैं और इसके लिए कोई समिति आयोजन करने पर राजी नहीं होगी।
मूर्तिकारों के चेहरों पर लौटी रौनक
राजधानी के अनेक मूर्तिकार गणेशोत्सव पर्व आयोजित करने के आदेश से खुश हैं। मूर्तिकार रामनारायण यादव, परम, शशिकांत यादव का कहना है कि इससे छोटे-बड़े सभी मूर्तिकारों को रोजगार मिलेगा। पिछले कई माह से कमाई शून्य है, लेकिन अब उम्मीद है कि मूर्तियां बिकने से माली हालत में सुधार आएगा।
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