Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

आडवाणी-जोशी के सारथी रहे मोदी तारिख 5 को कृष्ण की भूमिका में

02 aug 2020

आडवाणी के सारथी नरेन्द्र मोदी कृष्ण की भूमिका में

सत्यमेव जयते : राम जन्म भूमि आंदोलन  का शंखनाद करने वाली लालकृष्ण आडवाणी  की रथ यात्रा जारी थी, जो अब तीस साल बाद ५ अगस्त २०२० को अपनी मंजि़ल पर पंहुचेगी।

पांच अगस्त 2020 बुधवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर का शिलान्यास करते हुए भूमि पूजन करेंगे. हिंदू संस्कृति के इतिहात में पांच अगस्त 2020 की तारीख भी स्वर्णाक्षरों से लिखी जायेगी.

महाभारत युद्ध 18 दिन में समाप्त हो गया था, लेकिन राम जन्मभूमि के धर्म युद्ध को पांच सौ वर्ष के अर्से के बाद सफलता हासिल हुई.

कहा जा सकता है कि भगवान कृष्ण के अवतार में मोदी अप्रत्यक्ष रूप से ना सिर्फ गीता का उपदेश दे रहे थे बल्कि तीन दशक भगवान कृष्ण द्वारा दिये गए गीता के उपदेश का पालन भी कर रहे थे.

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,

मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि..

यह खुशी की बात है कि पीएम मोदी द्वारा किये जाने वाले भूमि पूजन के कार्यक्रम मेें वयोवृद्ध  लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल होंगे।

5 तारिख भारत के प्राचीनतम गौरवशाली इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा जायेगा। २९ साल ११ महीने के बाद ५ अगस्त आ रही है वो घड़ी जब २५ सितंबर १९९० को ली गई शपथ कि रामलला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे जहॉ अयोध्या में जन्म लिये थे प्रभु श्रीराम ।

25 सितंबर, 1990 को आडवाणी सोमनाथ पहुंचते, उससे पहले एक टोयोटा ट्रक को भगवा रंग के एक रथ में तब्दील किया जा चुका था। 25 सितंबर को सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद आडवाणी ने यात्रा शुरू कर दी। उस दिन ईद का त्योहार होने के कारण छुट्टी थी। इस मौके पर इतनी भीड़ जुटी कि पूरे वातावरण में उनके नारे ही गूंजने लगे।

यह एक रामद्रोहियों को सबक सिखाने का ही सुखद ऐतिहासिक संयोग है :  11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। पंंडित नेहरू ने इसका विरोध किया था। पंडित नेहरू ने इसका विरोध यह कहकर किया था कि यह धर्म निरपेक्षता के विरूद्ध है। इसी प्रकार से अभी भी ५ अगस्त को पीएम मोदी अयोध्या राम मंदिर निर्माण भूमिपूजन के लिये जा रहे हैं तो उसे भी कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी नेता सांप्रदायिक मानते हैं। इसकी चर्चा इस संपादकीय के नीचे भी अलग से की गई है।

जोशी के सारथी मोदी कृष्ण की भूमिका में

एकता यात्रा को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी राष्ट्रीय एकीकरण के लिये और चरमपंथ से लडऩे के लिये ११ दिसंबर १९९१ को कन्याकुमारी से निकाली थी।

मोदी यात्रा के प्रभारी थे और उन्होंने २६ जनवरी १९९२ को लाल चौक पर भारतीय ध्वज फहराया।

उक्त एकता यात्रा में लोकशक्ति के कार्यकारी संपादक राजेश अग्रवाल भी शामिल हुए थे और उस अवसर पर  हमने एक पुस्तक ‘राष्ट्रीय एकताÓ प्रकाशित की थी। उसका दूसरा संस्करण भी प्रकाशित हो चुका है। इस किताब को गूगल में नीचे की लींक से पढ़ा जा सकता है:

book link – link – bit.ly/2BsFnpO
अगस्त ०५ २०१९

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले की घोषणा की, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया, भाजपा महासचिव राम माधव ने ट्विटर पर यह सुझाव दिया कि यह कदम पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है।  राम माधव ने ट्विटर पर एक पुरानी तस्वीर पोस्ट की जिसमें दिखाया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 370 को रद्द करने के विरोध में बैठे हैं और “वादा पूरा हुआ”।

*///

राम मंदिर आंदोलन.

25 सितंबर, 1990 को आडवाणी सोमनाथ पहुंचते, उससे पहले एक टोयोटा ट्रक को भगवा रंग के एक रथ में तब्दील किया जा चुका था। 25 सितंबर को सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद आडवाणी ने यात्रा शुरू कर दी। उस दिन ईद का त्योहार होने के कारण छुट्टी थी। इस मौके पर इतनी भीड़ जुटी कि पूरे वातावरण में उनके नारे ही गूंजने लगे।

महिलाएं अपने हाथों से सोने के कंगन उतार कर दान में देनें लगीं। पुरुष आडवाणी को तलवार, छड़ी के साथ तरह-तरह के सामान भेंट करने लगे। रथ आगे बढ़ा तो आडवाणी के अगल-बगल जो दो लोग तैनात दिखे, उनमें एक थे प्रमोद महाजन  और दूसरे गुजरात बीजेपी के तत्कालीन सांगठनिक सचिव नरेंद्र मोदी  ।

नवभारत टाईस में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार

तब से करीब-करीब 29 साल 11 महीने बाद नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री राम मंदिर भूमि पूजन   करने वाले हैं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण  2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। स्वाभाविक है कि इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री ही करेंगे। संभव है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर उद्घाटन  का भव्य समारोह आयोजित किया जाए।

2009 में मोदी ने अयोध्या से सटे फैजाबाद में चुना प्रचार करने गए थे। तब लोकसभा चुनाव में आडवाणी बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे। मोदी मतदाताओं को रिझाने में सफल नहीं हो पाए थे और अयोध्या/फैजाबाद की सीट कांग्रेस ने जीत ली थी।

2014 में फैजाबाद में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के पीछे तीर-धनुष लिए भगवान राम की विशाल तस्वीर लगी हुई थी। मोदी ने अपने भाषण में राम राज्य  की बात की, राम मंदिर पर कुछ नहीं बोले।

2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी फिर फैजाबाद पहुंचे। उन्होंने अयोध्या में एक भी रैली नहीं की। प्रधानमंत्री के तौर पर अयोध्या इलाके में उनकी पहली सभा मई 2019 में अयोध्या-आंबेडकर नगर सीमा पर स्थित छोटे से शहर रामपुर माया में हुई थी। अयोध्या में रामजन्मभूमि से मुश्किल से 25 किमी दूर।

आज से ठीक 29 साल पहले राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1991 में उन्होंने एक फोटोग्राफर से बात करते हुए कहा था कि जिस दिन राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा, वह वापस आएंगे। सोशल मीडिया पर 1991 की मोदी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की वायरल हो रही तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर महेंद्र त्रिपाठी ने यह खुलासा किया। त्रिपाठी उस दिन को याद करते हुए बताते हैं, ‘ मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ अप्रैल 1991 में अयोध्या आए थे और उन्होंने विवादित क्षेत्र का दौरा किया था।Ó 5 अगस्त ही वह दिन है जब मोदी अयोध्या वापस आने का वादा पूरा करने वाले हैं। वो दिन निकट है…

//

28 साल पहले मुरली मनोहर जोशी के साथ नरेंद्र मोदी ने भी लाल चौक पर फहराया था तिरंगा

श्रीनगर के लालचौक पर 28 साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तिरंगा फहराया था। मोदी उस वक्त वह जोशी की उस टीम के सदस्य थे जो घनघोर आतंकवाद के उस दौर में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने पहुंची थी। हालांकि इसके बाद बीते 28 सालों में लालचौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका।

1992 में सियासत के केंद्र में था लालचौक

 1992 में लालचौक पर पहली बार कश्मीर में अलगाववादियों, आतंकियों और मुख्यधारा की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों, राष्ट्रवादियों और सुरक्षाबलों के लिए पहली बार प्रतिष्ठा का सवाल बना था। भारतीय जनता पार्टी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा शुरु करते हुए 26 जनवरी 1992 को उसे लालचौक में तिरंगा फहराते हुए संपन्न करने का एलान किया था।

भाजपा के इस एलान के बाद पूरी रियासत में स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण हो गई। कश्मीर में स्थिति विस्फोटक थी। आतंकी और अलगाववादियों ने खुलेआम एलान किया था कि तिरंगा नहीं फहराने दिया जाएगा। भाजपा की एकता यात्रा पूरी होने से पहले ही आतंकियों ने पुलिस मुख्यालय मे ग्रेनेड धमाका किया था, जिसमें तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जेएन सक्सेना जख्मी हुए थे।

///

वादा पूरा- राम माधव ने पीएम मोदी की धारा 370 के विरोध की पुरानी तस्वीर ट्वीट किया

अगस्त ५ २०१९- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले की घोषणा की, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया, भाजपा महासचिव राम माधव ने ट्विटर पर यह सुझाव दिया कि यह कदम पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी।

राम माधव ने ट्विटर पर एक पुरानी तस्वीर पोस्ट की जिसमें दिखाया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 370 को रद्द करने के विरोध में बैठे हैं और “वादा पूरा हुआ”।

फोटो में दिखाया गया है कि नरेंद्र मोदी एक प्रदर्शन स्थल पर एक बैनर के साथ बैठा है, जिसमें लिखा है “370 हटो, अतनकवड़ मितो, देश बचाओ (370 हटाओ, आतंकवाद खत्म करो, देश बचाओ”)

धारा 370 को रद्द करना भाजपा के मुख्य एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इसने अपनी रैंक और फाइल के साथ हमेशा एक भावनात्मक अराजकता का सामना किया है क्योंकि पार्टी के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1953 में जम्मू और कश्मीर जेल में राज्य की विशेष स्थिति का विरोध करने और इसकी मांग करने के लिए मर गए थे। संघ के साथ पूर्ण एकीकरण।

धारा 370 को खत्म करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करते हुए, मुकर्जी ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी उपस्थिति को बाहरी लोगों के रूप में अवैध माना गया था, फिर इसे दर्ज करने के लिए परमिट की आवश्यकता थी।

मुकर्जी का नारा “इक देस में विधन, करो और करो निधान चलो” (एक देश में दो गठन नहीं हो सकते, दो प्रधान मंत्री और दो राष्ट्रीय प्रतीक लंबे समय से पार्टी के लिए एक रैली रो रहे हैं।

उनके “बलिदान” का उल्लेख एक के बाद एक भाजपा नेताओं द्वारा किया गया था क्योंकि उन्होंने राज्यसभा में अमित शाह द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद बात की थी।

एक अन्य भाजपा नेता बीएल संतोष ने शाह की घोषणा के बाद अपने ट्वीट में पार्टी के कैडर की भावनाओं को व्यक्त किया, “आज कुछ नहीं होगा लेकिन मेरी और कई आंखों में आंसू आ जाएंगे। (जिस दिन हम सभी प्त ्रह्म्ह्लद्बष्द्यद्ग३७०८द्मह्म्ड्डश्चश्चद्गस्रके लिए जीना चाहते थे। धन्या धन्या) “

//*/

मोदी विरोध के चलते अब राम-द्रोह

‘2 मई 1951 को पंडित नेहरू ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को खत लिखा और कहा कि सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम सरकारी नहीं है और भारत सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हमें कोई भी ऐसी चीज नहीं करनी चाहिए जो एक सेक्युलर स्टेट के हमारे रास्ते में आड़े आए। यही हमारे संविधान का आधार है। इसलिए देश के सेक्युलर कैरेक्टर को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज से सरकार अपने को दूर करती है।Ó

 संविधान की मूल प्रति में अगर आप देखें तो हमारे पास तीन शब्द नहीं हैं। वे समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता हैं। इन शब्दों को 42 वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा हमारे संविधान की आत्मा को हथौड़ा देने के लिए परिभाषित किए बिना डाला गया है । पं. नेहरू द्वारा कला 370 के समावेश के बारे में भी यही कहा जा सकता है।

Ñ/www.lokshakti.in/x~yvv

///

आडवाणी और मोदी की राम रथयात्रा 1990 में अयोध्या पहुंची

https://www.youtube.com/watch?v=MvhAV0G5SUs
Crowds in thousands gather as L.K Advani arrives in Ayodhya as the final destination of his political and religious rally when he was president of BJP. Advani is received with chants and flowers as his vehicle rides through a sea of people on the streets of Ayodhya. The devotees wave saffron flags, brandishing bows and Trishuls. Ayodhya has been a hot-bed of religious tensions since the famous Ram Rath Yatra and following the demolition of Babri Masjid.