03 aug 2020
राम मंदिर के भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास ने बताया कि “5 अगस्त को प्रधानमंत्री भूमि पूजन के लिए आ रहे हैं। उन्होंने तय किया है कि पहले वो हनुमानगढ़ी में दर्शन करेंगे। यहां विशेष पूजा की व्यवस्था रहेगी।” महंत राजू दास ने बताया कि “हमें 7 मिनट दिए गए हैं इसमें प्रधानमंत्री का आना-जाना शामिल है, करीब 3 मिनट पूजा में लगेंगे।”
उक्त कार्यक्रम की नकल करते हुए कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन से एक दिन पहले मंगलवार को वह अपने आवास पर ‘हनुमान चालीसाÓ का पाठ करेंगे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि कमलनाथ के आवास पर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ होगा।ÓÓ उन्होंने कहा, ”कमलनाथ हनुमानजी के बड़े भक्त हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि वे भी मंगलवार को अपने घरों पर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
इसी प्रकार से दिग्विजय सिंह भी अपने आपको सच्चा हिन्दू बताते रहते हैं।
चुनाव के समय राहुल गांधी भी जेनऊधारी ब्राम्हण बन जाते हैं और अपनी दादी के अनुसार अपना गौत्र अपने दादी के आधार पर भी बताते रहे हैं। जबकि हिन्दू धर्म की पद्धति के अनुसार बाप-दादे के आधार पर गोत्र बताया जाता है। प्रियंका वाड्रा प्रियंका गांधी भी बन जाती हैं और अपने आपको इंदिरा गांधी की पौत्री हूं यह गर्व से कहती है। इस पर तंज कसते हुए दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि वे फिरोज का नाम लेने में क्यों हिचकती हैं?
कांग्रेस के प्रवक्ता सूरजेवाला ने चुनाव के समय क्रिस्चियन सोनिया गांधी को शिवभक्त भी करार दे दिया था ।
इसी संदर्भ में यह स्मरण दिलाना आवश्यक है कि सोनिया जी के ही निर्देश पर क्रिस्चियन अंबिका सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम मिथक हैं, काल्पनिक हैं, ऐतिहासिक नहीं हैं। उन्हीं के निर्देश पर रामसेतु को भी विध्वंस करने की योजना बन रही थी।
उक्त सब तथ्यों पर नजर डालने के बाद जनता को यह समझना आवश्यक है कि असली राम भक्त कौन है और नकली राम भक्त कौन?
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असली-नक़ली
कल की दौलत, आज की खुशियाँ
उन की महफि़ल, अपनी गलियाँ
असली क्या है, नकली क्या है, पूछो दिल से मेरे
तोड़ के झूठे नाते रिश्ते, आया मैं दिलवालों में
सच कहता हूँ चोर थे ज़्यादा दौलत के रखवालों में
उस दुनिया ने बात ना पूछी, इस दुनिया ने प्यार दिया
बैठा मन के राजमहल में सपनों का संसार दिया
आसमानपर रहनेवालो धरती को तो पहचानो
फूल इसी मिट्टी में महके तुम मानो या न मानो
हनुमान कहानी : हनुमान के सीने में श्री राम और सीता
जब उपहार की बारी हनुमान की आई 7 प्रभु ने उन्हें मोतियों की अनमोल माला दी 7 सभी के सामने हनुमान ने माला के हर मोती को कान से लगाते और थोड देते 7
रूप में माता सीता ने हनुमानजी से पूछ लिया की क्या तुम्हारे रोम रोम में श्री राम है 7 सारे दरबार के सामने तब हनुमान जी ने अपना सीना चीर के दिखा दिया की उनके मन में श्री राम और माँ सीता विराजते है 7 ऐसे अनन्य भक्त न कभी हुए है न ही होंगे ….
सारथी के रूप में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को एक और सलाह दी थी, ”हे धनुर्धारी अर्जुन! मेरे प्रिय हनुमान का आह्वान करो। वह महावीर हैं, अजेय हैं और धर्म के प्रतीक हैं। उन्हें अपने रथ की ध्वजा पर आरूढ़ होने के लिए उनका आह्वान करो।ÓÓ
पीतांबरधारी चक्रधर भगवान कृष्ण महाभारत युद्ध में सारथी की भूमिका में थे। उन्होंने अपनी यह भूमिका स्वयं चयन की थी। अपने सुदर्शन चक्र से समस्त सृष्टि को क्षण भर में मु_ी भर राख बनाकर उड़ा देने वाले या फिर समस्त सृष्टि के पालनकर्ता भगवान कृष्ण महाभारत में अपने प्रिय सखा धनुर्धारी अर्जुन के सारथी बने थे। इस बात से अर्जुन को बड़ा ही अटपटा लग रहा था कि उसके प्रिय सखा कृष्ण रथ को हांकेंगे। सारथी की भूमिका ही नहीं, बल्कि महाभारत रूपी महायुद्ध की पटकथा भी उन्हीं के द्वारा लिखी गई थी और युद्ध से पूर्व ही अधर्म का अंत एवं धर्म की विजय वह सुनिश्चित कर चुके थे। उसके बाद भी उनका सारथी की भूमिका को चुनना अर्जुन को असहज कर देने वाला था।
भगवान कृष्ण सारथी के संपूर्ण कर्म कर रहे थे। एक सारथी की तरह वह सर्वप्रथम पांडुपुत्र अर्जुन को रथ में सम्मान के साथ चढ़ाने के साथ फिर आरूढ़ होते थे और अर्जुन के आदेश की प्रतीक्षा करते थे। हालांकि अर्जुन उन्हीं के आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन के अनुरूप चलते थे, परंतु भगवान कृष्ण अपने इस अभिनय का संपूर्ण समर्पण के साथ निर्वहन करते थे।
युद्ध के अंत में वह पहले अर्जुन को उतार कर ही उतरते थे। भगवान कृष्ण अर्जुन से युद्ध के पूर्व बोले थे, ”हे परंतप अर्जुन! युद्ध की विजय सुनिश्चित करने के लिए भगवती दुर्गा से आशीष लेना उपयुक्त एवं उचित रहेगा। भगवती दुर्गा के आशीर्वाद के पश्चात ही युद्ध प्रारंभ करना चाहिए।ÓÓ
सारथी के रूप में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को एक और सलाह दी थी, ”हे धनुर्धारी अर्जुन! मेरे प्रिय हनुमान का आह्वान करो। वह महावीर हैं, अजेय हैं और धर्म के प्रतीक हैं। उन्हें अपने रथ की ध्वजा पर आरूढ़ होने के लिए उनका आह्वान करो।ÓÓ
अर्जुन ने यही किया था। सारथी की भूमिका में ही भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाओं ने बीच परम रहस्यमयी गीता का गान किया था।ÓÓ
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पीएम मोदी राम मंदिर भूमि पूजन से पहले करेंगे अयोध्या में हनुमान जी के निशान का पूजन
अयोध्या में भगवान राम ने हनुमान जी को रहने के लिए दिया था ये स्थान, दर्शन करने से दूर होते हैं सभी कष्ट
अयोध्या में 5 अगस्त, बुधवार को भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया जाएगा। इस दिन का कई वर्षों से इंतजार किया जा रहा था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। अयोध्या भगवान राम की पावन जन्मभूमि है। आज हम आपको उस स्थान के बारे में बताएंगे जो भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद अपने प्रिय भक्त हनुमान जी को रहने के लिए दिया था। हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं। आइए जानते हैं उस स्थान के बारे में…
राम मंदिर के भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास ने बताया कि “5 अगस्त को प्रधानमंत्री भूमि पूजन के लिए आ रहे हैं। उन्होंने तय किया है कि पहले वो हनुमानगढ़ी में दर्शन करेंगे। यहां विशेष पूजा की व्यवस्था रहेगी।” महंत राजू दास ने बताया कि “हमें 7 मिनट दिए गए हैं इसमें प्रधानमंत्री का आना-जाना शामिल है, करीब 3 मिनट पूजा में लगेंगे।”
हनुमानगढ़ी भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी का भव्य मंदिर है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वही स्थान है जो भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद हनुमान जी को रहने के लिए दिया था। हनुमानगढ़ी हनुमान जी के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या आने पर सबसे पहले हनुमानगढ़ी में हनुमान जी के दर्शन करने होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस समय भगवान राम ने हनुमान जी को ये स्थान भेंट किया था उसी समय ये अधिकार भी दिया था कि जो भी भक्त अयोध्या आएंगे वो सबसे पहले हनुमानगढ़ी में हनुमान जी का दर्शन- पूजन करेंगे।
हनुमान जी के दर्शन के लिए 76 सीढिय़ा पार करनी होती हैं। यहां पर स्थित हनुमान जी की प्रतिमा हमेशा फूल- मालाओं से सुशोभित रहती है। मंदिर की दीवारों में हनुमान चालीसा की चौपाइयां सुशोभित हैं। हनुमान जी के इस पावन स्थान में अलग ही शांति की अनुभूति होती है। भक्तजन मंदिर परिसर में बैठकर राम नाम का सुमिरन और सुंदर कांड का पाठ भी किया करते हैं।
हनुमान गढ़ी में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां दर्शन करने और हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की कृपा से जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
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आरएसएस द्वारा वाडरा के मुरादाबाद फार्म में चलाए जा रहे स्कूल में गांधीवाद को शर्मिंदगी होती है 30 मार्च, 1998
१० मार्च १९९८ को इंडिया टूडे में प्रकाशित समाचार के अनुसार :
संघ द्वारा वाड्रा के मुरादाबाद फार्म में चलाये जा रहे स्कूल से गांधी परिवार को क्यों होती है शर्मिदगी?
जनवरी 2002 में रॉबर्ट ने अखबार में विज्ञापन देकर ऐलान किया था कि उनका पिता और भाई रिचर्ड से कोई जुड़ाव नहीं है. अगर वे लोग रॉबर्ट के करीबी होकर कोई लाभ लेना चाहते हैं तो इसमें साथ न दें. रॉबर्ट की ओर से वकील अरुण भारद्वाज ने नोटिस जारी किया था.
ईडी के अपने तर्क हैं. रॉबर्ट की मां स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर रही हैं. ये कंपनी बीकानेर लैंड डील में शामिल थी. कंपनी ने 69 हेक्टेयर जमीन 72 लाख में खरीदी थी और 5.15 करोड़ में बेच दी थी.
मौरीन मूल रूप से स्कॉटलैंड की हैं. मौरीन के पति स्वर्गीय राजेंद्र वाड्रा मुरादाबाद के रहने वाले थे और पीतल के सामानों का व्यापार करते थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बाद में दोनों अलग हो गए थे.
राजिंदर वाड्रा के बड़े भाई ओम प्रकाश वाड्रा ने 1995 में आरएसएस को स्कूल दान दिया था। ओम प्रकाश जीवन पर्यंत स्कूल के चेयरमैन रहे। ‘इसे [विद्यालय का दान] राजनीतिक कदम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। वाड्रा कहते हैं कि मेरे बेटे ने एक दुर्घटना में अपने बेटों की समय से पहले मौत के बाद संपत्ति दान कर दी थी। चुनावों को देखते हुए, कांग्रेस को आरएसएस के साथ वाड्रा परिवार के संबंधों को समझाना मुश्किल होगा।
यह स्कूल का नाम ओम प्रकाश के दो बेटों, संजय और मनु के नाम पर रखने के लिए सहमत हुआ, जो 1982 और 1988 में अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे।
स्कूल के अलावा, उन्होंने विवेकानंद चैरिटेबल ट्रस्ट को एक मेडिकल डिस्पेंसरी दान की है, जो स्कूल के समान परिसर में भी है।
ट्रस्ट एक हृदय अनुसंधान केंद्र भी चलाता है, जिसे ओम प्रकाश ने सात अन्य लोगों के साथ शुरू किया था। वह याद करते हैं कि केंद्र के लिए जमीन हासिल करना कोई समस्या नहीं थी क्योंकि जब अधिग्रहण किया गया था तब एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। “राजीव गांधी ने हमारी मदद की,” ओम प्रकाश कहते हैं, जो प्रधानमंत्री राहत कोष में नियमित योगदानकर्ता हैं। “मैं हर साल 51,000 रुपये का चेक भेजता हूं, चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो।”
रस्वती वंदना दिन में दो बार बजती है। सुबह 9.30 बजे और सूर्यास्त के समय जब मुरादाबाद के संजय मनु वडेरा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के लॉन में चार से 14 साल की उम्र के बच्चे इक_ा होते हैं।
स्कूल दिल्ली की सीमा से 160 किलोमीटर दूर है या 10 जनपथ से दूर है
सोनिया ने भाजपा पर “धार्मिक कट्टरवाद से प्रेरित” और “देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने” का आरोप लगाया, मुरादाबाद में वंदना शुरू हुई और बच्चे अपने शिक्षकों के साथ जप करते रहे, “हम हमारी आखिरी सांस तक हिंदू हैं ‘Ó।
वडेरा स्कूल अपने शिक्षकों में हिंदुत्व के उत्थान के लिए प्रेरित कर रहा है, जिनमें से सभी आरएसएस के प्रचारक हैं, और उसके छात्रों को तीन साल पहले स्थापित किया गया था। खैर परिवार के लड़के रॉबर्ट ने पिछले साल फरवरी में प्रियंका से शादी की।
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अमर सिंह ने संघ को दान किया था अपना 12 करोड़ का पुश्तैनी आलीशान बंगला
मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने बताया कि 6 अगस्त 2019 दिन था वक्त था जब अमर सिंह ने अपना गेस्ट हाउस आजमगढ़ में सेवा भारती को दान कर दिया था। उसी के उद्घाटन अवसर पर बतौर प्रांतीय सह मंत्री सेवा भारती गोरक्ष प्रांत मैं भी सम्मिलत हुआ था। अमर सिंह के फार्म हाउस में ताला लगा रहता था। दो मंजिला संगमरमर मोजेक लगा हुआ गेस्ट हाउस में जब भी ही वह रुकते थे।
एसी, फ्रीज, कूलर, हाई पावर जनरेटर, शानदार फर्नीचर, बेड सब कुछ सुसज्जित था। रास्ट्रीय सेवा संघ से संलग्न रास्ट्रीय सेवा भारती की शाखा सेवा भारती गोरक्ष प्रांत को उन्होंने समाज सेवा के लिए दान कर दिया। सेवा भारती के कार्यों से बहुत ही प्रभावित थे। उन्होंने खुद आगे बढ़ कर कहा था कि सेवा भारती के लिए वह कुछ करना चाहते हैं। जब मैंने उस गेस्ट हाउस को देखा तो अचंभित रह गया। इतना शानदार गेस्ट हाउस कोई दान कर सकता है। मैंने गेस्टहाउस में घूमकर देखा था। कमरे किसी फाइवस्टार होटल से कम नहीं दिख रहे थे। इतना ही नहीं इसके बाद भी उन्होंने 50 लाख रुपये देने की बात कही थी।
आजमगढ़ की माटी के लाल लालगंज के तरवां तहसील के निवासी राज्यसभा सांसद अमर सिंह के निधन से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है। जनपद में जिसने भी ये खबर सुनी स्तब्ध रह गया। उनका पिछले छह माह से सिंगापुर में इलाज चल रहा था। किडनी रोग से ग्रसित थे और किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। करीब डेढ़ साल पहले अमर सिंह अपनी पैतृक संपत्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (क्रस्स्) के नाम करने के लिए आजमगढ़ पहुंचे थे।
22 फरवरी 2019 को राज्य सभा सांसद अमर सिंह ने अपनी संपत्ति को आरएसएस के नाम रजिस्ट्री लालगंज तहसील में की थी। पहले उक्त जमीन को आरएसएस को लीज पर देने की बात चल रही थी, लेकिन अमर सिंह ने अपनी 12 करोड़ की संपत्ति को हमेशा के लिए आरएसएस को देने का फैसला किया। मकान और जमीन की संघ के नाम पर रजिस्ट्री की थी। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में अमर सिंह ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के साथ ही आजम खां और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा था।
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