चंद्र ग्रहण
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शरद पूर्णिमा पर्व पर शनिवार को चंद्र ग्रहण एवं पूजा व्रत को लेकर इस बार लोगों में संशय बना हुआ है। साल के अंतिम खग्रास चंद्रग्रहण को लेकर लोगों में कौतूहल बना हुआ है। ग्रहण को लेकर कुछ राशियों पर अच्छा तो कुछ राशियों पर गलत प्रभाव पड़ेगा। एएमयू समेत कई स्थानों पर खगोलीय घटना को देखने के लिए खगोलविदों ने ब्राह्मण्ड में होने वाली विभिन्न अद्भुत घटनाओं के अध्ययन करने की भी तैयारी की है।
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भारत में दिखने वाले इस चंद्रग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। चंद्र ग्रहण में व्रत एवं अर्घ्य देना चाहिए या नहीं इसको लेकर वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण के सूतक सांय 04:05 बजे से प्रारंभ होंगे। ग्रहण काल रात्रि 01:05 मिनट से प्रारंभ होगा 01: 44 मिनट पर मध्य काल और इसका मोक्ष रात्रि 02:23 मिनट तक रहेगा।
ऐसे में पूर्णिमा व्रत रखने वाले लोग चंद्र ग्रहण के उपरांत अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रसाद के रूप में बनने वाली खीर को लेकर ग्रहण के संक्रमण काल में इस बार चंद्रमा की चांदनी में प्रसाद रखना उपयुक्त नहीं है। अतः सांयकालीन बेला में सूतक लगने से पूर्व प्रसाद बनाकर कुशा एवं तुलसी पत्र डालकर रख दें, जिसको ग्रहण के उपरांत चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन सुबह प्रसाद में ले सकते हैं।
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