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छत्तीसगढ़ में 24 घंटे में पहली बार 8 मौतें, कुल मरीज 10000 पार, रायपुर मेयर के PSO और कैमरामैन भी संक्रमित

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छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला मरीज 18 मार्च को मिला और मंगलवार को केवल 140 दिन में मरीजों की संख्या 10 हजार को पार करती हुई 10111 पर पहुंच गई। कोरोना के मामले में राजधानी और प्रदेश में जुलाई का महीना फिलहाल सबसे भारी पड़ा है। इस एक माह में ही प्रदेश में 6332 कोरोना मरीज मिले और इसी वजह से प्रदेश में दोबारा लॉकडाउन करना पड़ा, जो अब तक जारी है। दूसरी ओर 24 घंटे में पहली बार सर्वाधिक 8 मरीजों की जान कोरोना से गई है। रायपुर में मोहबाबाजार, गुढ़ियारी व एक अन्य इलाके में मरीज की मौत हुई है। इसके अलावा बिलासपुर से 3, दुर्ग व बिलासपुर से एक-एक मरीज की मृत्यु हुई है।
प्रदेश में 18 मार्च को कोरोना का पहला केस राजधानी में मिला था। तब से अब तक प्रदेश में मार्च में केवल 9, अप्रैल में 32, मई में 459 मरीज मिले। जून में 2360, जुलाई में 6332 कोरोना के मरीजों की पहचान हुई है। प्रदेश में मरीज मिलने का सबसे पीक समय जुलाई रहा, जिसमें जून से तीन गुना मरीज मिले हैं। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि मार्च, अप्रैल व मई में केवल 500 मरीज थे। जून, जुलाई व अगस्त में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है और थोक में मरीज मिल रहे हैं।
राजधानी में एक दिन में 246 मरीज जुलाई में ही
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन में छूट के बाद लोग घर से बाहर निकलने व घूमने के लिए स्वतंत्र हो गए। बाजारों में भी भीड़ बढ़ी, लेकिन लोगों ने जरूरी ऐहतियात नहीं बरती। इसका कारण ये हुआ कि प्रदेश में 7 जुलाई से अब तक 100 से अधिकतम 446 मरीज मिले हैं। जुलाई में ही मरीज मिलने का औसत एक दिन में 204 रहा है। राजधानी में भी कोरोना विस्फोट 23 जुलाई से शुरू हुआ, जब पहली बार मरीजों की संख्या दो सौ से ऊपर हो गई। इसके अगले दिन ही 246 मरीज मिल गए, जो एक दिन में अब तक की सर्वाधिक संख्या है। राजधानी में 31 मई तक केवल 15 मरीज थे, जो अब बढ़कर 3288 हो गए हैं। इसमें 1135 एक्टिव केस हैं।

18 की मौत सिर्फ कोरोना से शेष 52 को दूसरी बीमारी भी
कोरोना से मौतों की बात की जाए तो प्रदेश में 29 मई को पहली जान गई थी। अब तक 70 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें 18 लोग ऐसे हैं, जिनकी मौत केवल कोरोना से हुई। जबकि 52 ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना के साथ दूसरी बीमारियां भी थीं। रायपुर में अब तक 34 लोगों की जान गई है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। चेस्ट एक्सपर्ट डॉ. आरके पंडा व सीनियर फिजिशियन डॉ. सुरेश चंद्रवंशी के अनुसार अगर मरीज पहले से दूसरी बीमारियों जैसे डायबिटीज, हायपरटेंशन, हार्ट, लीवर व किडनी, टीबी से पीड़ित हैं तो उनके लिए रिस्क बढ़ जाता है। सामान्य लोगों की तुलना में उनकी मौत तीन गुना से ज्यादा होती है।

रायपुर में 157 संक्रमित
रायपुर मेयर के पीएसओ और कैमरामैन समेत 373 नए केस
रायपुर में मंगलवार को 157 समेत प्रदेश में 373 काेरोना के नए मरीज मिले हैं। मेयर एजाज ढेबर के पीएसओ व कैमरामैन को कोरोना हो गया है। इसके बाद मेयर क्वारेंटाइन हो गए हैं। पहले भी उनकी मां, भाई व भाभी भी काेरोना से संक्रमित हो चुकी हैं। तब मेयर की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। उधर सेंट्रल जेल के एक प्रहरी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। नए केस में दुर्ग से 42, बस्तर से 37, बलरामपुर व कोंडागांव से 25-25, सूरजपुर से 9, रायगढ़ से 6, राजनांदगांव व महासमुंद से 5-5, बिलासपुर व कांकेर से 4-4, कवर्धा, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा व कोरिया से 2-2, धमतरी, जशपुर, नारायणपुर व बीजापुर से 1-1 मरीज मिले हैं। देर रात 9 मरीज मिले थे। रायपुर के जिन तीन लोगों की मौत हुई है, उनमें गुढ़ियारी की 55 वर्षीय महिला को सांस लेने में तकलीफ के बाद अंबेडकर अस्पताल में 3 अगस्त को भर्ती किया गया था।

उसे निमोनिया था और कुछ घंटे बाद उसकी मौत हो गई। महोबाबाजार के 69 वर्षीय व्यक्ति को 31 जुलाई को एम्स में भर्ती किया गया था। राजधानी के एक 35 वर्षीय युवक को 31 जुलाई को एम्स में भर्ती किया गया था। मंगलवार की दोपहर उसकी मौत हो गई। बिलासपुर में जिनकी मौत हुई, उनमें सेंट्रल जेल की 90 वर्षीय कैदी, 58 व 71 वर्षीय व्यक्ति है। कैदी की सिम्स पहुंचने के पहले मौत हो गई थी।जबकि 58 वर्षीय व्यक्ति निमोनिया से पीड़ित था। 75 वर्षीय व्यक्ति को डायबिटीज के साथ सांस लेने में तकलीफ थी। राजधानी में कोराेना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। सेंट्रल जेल में पहले भी प्रहरी संक्रमित हो चुका है। अंबेडकर अस्पताल के कैंसर व पीडियाट्रिक विभाग के डाॅक्टर संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह का ट्रेंड चल रहा है, इससे मरीज बढ़ने की आशंका है। 22 जुलाई से 6 अगस्त तक लॉकडाउन है। हालांकि इस दौरान पहले जैसे मरीज मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन का असर बाद में दिखेगा। ये तय कि इस दौरान एक-दूसरे में संक्रमण कम हुआ है। जो नए मरीज आ रहे हैं, वे पहले से संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने के कारण बीमार हो रहे हैं।