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राम मंदिर सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रीय एकता और वसुधैव कुटुंबकम का प्रतीक

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06 aug 2020

आडवाणी-जोशी के सारथी रहे मोदी तारीख  ५ को कृष्ण की भूमिका में : इसकी विस्तृत चर्चा  २ अगस्त २०२० लोकशक्ति के संपादकीय में हम कर चुके हैं।

भाजपा के मुख्य एजेंडे के दो महत्वपूर्ण वादे रहे हैं : १. धारा ३७० को रद्द करना और दूसरा अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण।

मोदी सरकार ने भाजपा के उक्त दोनों वादों को ऐतिहासिक तारीख ५ को पूरा कर दिया है। अगस्त ५ २०१९- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले की घोषणा की थी।

आज ५ अगस्त २०२० को भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने हनुमान जी का दर्शन कर उनसे आदेश लेकर रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ करने हेतु भूमिपूजन किया।

भूमिपूजन के उपरांत शुरू हुआ श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य।

पंजाब केसरी में एक समाचार का शीर्षक है :  भूमिपूजन कर pm ने न सिर्फ मंदिर की बल्कि हिन्दू राष्ट्र की भी आधारशिला रखी है: ओवैसी।

अयोध्या में राममंदिर भूमिपूजन को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जो उक्त टिप्पणी की है उसकी समीक्षा इस संपादकीय में हम कर रहे हैं।

ओवैसी और उस प्रकार के विचार रखने वाले  अन्य नेताओं को १९९५ में सुप्रीम कोर्ट के दिये गये फैसले का अध्ययन करना चाहिये।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने दिसंबर 1995 में फैसला दिया था कि चुनाव में हिंदुत्व का इस्तेमाल गलत नहीं है क्योंकि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि एक जीवन शैली है. जस्टिस जेएस वर्मा की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला दिया था. कोर्ट ने कहा था, ‘हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों के जीवन पद्धति की ओर इशारा करता है. इसे सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता, जो अपनी आस्था की वजह से हिंदू धर्म को मानते हैं.Ó सुप्रीम कोर्ट का यह आर्डर इस लींक द्वारा पढ़ा जा सकता है  –http://13.234.238.174/23499/

इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि संविधान की मूलप्रति में भगवान राम सीता का चित्र रहा है।

 >> २१ जुलाई २०२० के लोकशक्ति के संपादकीय में हमने सेक्युलरिज्म शब्द की चर्चा करते हुए यह स्पष्ट कर चुके हैं कि संविधान की मूल प्रति में अगर आप देखें तो हमारे पास तीन शब्द नहीं हैं। वे समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता हैं। इन शब्दों को 42 वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा हमारे संविधान की आत्मा को हथौड़ा देने के लिए परिभाषित किए बिना डाला गया है । पं. नेहरू द्वारा कला 370 के समावेश के बारे में भी यही कहा जा सकता है।

आश्चर्य इस बात का है कि धर्म निरपेक्ष अर्थात सेक्युलरिज्म शब्द को संविधान में संशोधन कर जोड़ तो दिया गया कांग्रेस शासनकाल में परंतु उसकी परिभाषा जानबुझकर नहीं दी गई। यही कारण है कि कांग्रेस हिन्दुओं के विरूद्ध वोटबैंक पॉलिटिक्स का नाटक खेलकर सेक्युलरिज्म के नाम पर अपनी वोटबैंक पॉलिटिक्स की रोटी सेंकती रही है। इसी प्रकार से दलित शब्द न ही संविधान में है और न ही उसकी व्याख्या है। बावजूद इसका दुरपयोग तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिये कांग्रेस करती रही है और कर रही है।

हमारे देश में कई शब्द ऐसे हैं, जिनका अंग्रेजीकरण नहीं हो सकता. वहीं कुछ अंग्रेजी के शब्द ऐसे हैं, जिन्हें हम हिन्दी में ठीक तरह से अनुवादित नहीं कर सकते. अंग्रेजी का सेक्युलर शब्द है, जिसका अनुवाद धर्मनिरपेक्ष के तौर पर किया जाता है. लेकिन धर्म या पंथनिरपेक्षता, यह सेक्युलर शब्द का हिन्दी पर्याय नहीं हो सकता. सेक्युलर शब्द की अवधारणा विदेशी है, इसलिए इस शब्द का सोच-समझ कर प्रयोग करना चाहिए. ठीक उसी तरह से धर्म के लिए अंग्रेजी भाषा में रिलिजन शब्द का प्रयोग किया जाता है. लेकिन रिलिजन और धर्म, दोनों अलग-अलग शब्द हैं. देश की संसद के अहम हिस्से के रूप में स्थापित लोकसभा में ‘धर्म चक्र प्रवर्तनायÓ का प्रयोग किया गया है. इस का चयन संविधान निर्माताओं ने किया है. धर्म चक्र का उपासना पद्धति से कोई संबंध नहीं है.

संविधान निर्माताओं की नजर में धर्म की अवधारणा व्यापक थी. इसलिए धर्म को रिलीजन कहना ठीक नहीं होगा. मीडिया में अक्सर उपयोग होने वाला राष्ट्रवाद शब्द भी पश्चिमी देशों से आया है. यूरोप और पश्चिम के देशों का राष्ट्रवाद और भारत का राष्ट्रीयत्व दोनों पूर्णत: भिन्न हैं. लेकिन फिर भी हम राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग करते हैं. ऐसे गलत शब्द के प्रयोग से हमें बचना चाहिए.

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अपना भारत देश पंथ निरपेक्ष है धर्म निरपेक्ष नहीं : अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा, इस देश को सेक्युलरिज्म के एंगल से नहीं देखना चाहिए. संयोग से हमारा देश पंथ निरपेक्ष है, धर्म निरपेक्ष नहीं है. संविधान में जो संशोधन हुआ है वह पंथ निरपेक्षता का है.प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी का नहीं होता, पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है.

राममंदिर भूमिपूजन के उपरांत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत  जी ने अपने संबोधन में महत्वपूर्ण बात कही है कि   राम मंदिर के शिलान्यास के बाद भागवत ने कहा कि हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखने वाले लोग हैं और यह एक नए भारत की शुरुआत है। पुरुषार्थ का भाव हमारे रग-रग में है और भगवान राम का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सब राम के हैं और सबमें राम हैं। यह सभी भारतवासियों के लिए है। इसमें कोई अपवाद नहीं है।

पहले मन मंदिर पूरा होना चाहिए

भागवत ने कहा कि हमारे हृदय में भी राम का बसेरा होना चाहिए इसलिए सभी द्वेष, विकार, भेदों को तिलांजलि देकर संपूर्ण जगत को अपनाने की क्षमता रखने वाला मनुष्य बनना चाहिए।

उक्त अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के भाषण के कुछ अंश भी इसी संदर्भ में इस संपादकीय के नीचे अलग से दिये गये हैं।

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्पणी की है :राम मंदिर सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रीय एकता और वसुधैव कुटुंबकम के प्रतीक के रूप में स्थापित होगा. माननीय न्यायालय के फैसले, आम सहमति और जन भावना के अनुरूप यह कार्य आज परिणति रूप ले रहा है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो भगवान राम के नाम का वंदन करते हैं। राम मंदिर को भारतीय संस्कृति की ”समृद्ध विरासतÓÓ का द्योतक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा। ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिरÓ का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रामायण इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और नेपाल में प्रसिद्ध और पूजनीय है।

मोदी ने कहा कि भगवान राम का जिक्र ईरान और चीन तक में पाया गया है और ”राम कथाÓÓ कई देशों में प्रचलित है। उन्होंने कहा, ”दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं। वहां के नागरिक खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविनÓ रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायण हैं। राम आज भी वहां पूजनीय हैं।ÓÓ प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार कंबोडिया में ‘रमकेर रामायणÓ, लाओ में ‘फ्रा लाक फ्रा लामÓ रामायण, मलेशिया में ‘हिकायत सेरी रामÓ तो थाईलैंड में ‘रामाकेनÓ रामायण है। उन्होंने कहा, ”आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा राम कथाओं का विवरण मिलेगा।ÓÓ

मोदी ने कहा कि श्रीलंका में रामायण की कथा ”जानकी हरणÓÓ के नाम से सुनाई जाती है और नेपाल का तो राम से आत्मीय संबंध माता जानकी से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ”ऐसे ही दुनिया के और न जाने कितने देश हैं, कितने छोर हैं, जहां की आस्था में या अतीत में, राम किसी न किसी रूप में रचे बसे हैं। आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है।ÓÓ मोदी ने उम्मीद जताई कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी। उन्होंने कहा, ”आखिर राम सबके हैं, सब में हैं।ÓÓ

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संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम-सीता का चित्र, कानून मंत्री ने शेयर की तस्वीर

‘भारत के संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों से जुड़े अध्याय के आरम्भ में एक स्केच है जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी का है। आज संविधान की इस मूल भावना को आप सभी से शेयर करने का मन हुआ। प्जयश्रीराम

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राम सबके हैं, सब में हैं- अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 20 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया, इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। आज पूरा भारत, राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है। मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी। आखिर राम सबके हैं, सब में हैं।

आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 20 बड़ी बातें-

1. कन्याकुमारी से क्षीर भवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्षद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत राममय है।

2. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।

3. बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।

4. राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढिय़ों ने अखंड, अविरत, एकनिष्ठ प्रयास किए हैं। आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।

5. राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था।

6. राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं।

7. राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।

8. राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं। राम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमान जी की ही है।

9. राम मंदिर के निर्माण की यह प्रक्रिया राष्ट्र को जोडऩे का उपक्रम है। यह महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोडऩे का, नर को नारायण से जोडऩे का, लोक को आस्था से जोडऩे का, वर्तमान को अतीत से जोडऩे का, और स्व को संस्कार से जोडऩे का।

10. आज के ये ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक, दिग-दिगन्त तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे। आज का यह दिन करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। आज का यह दिन सत्य, अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है।

11. जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान राम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला, उसी तरह आज देशभर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का यह पुण्य-कार्य प्रारंभ हुआ है।

12. श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था, जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

13. जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं। भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं।

14. अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकताÓ के सूत्र हैं।

15. श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना। इसीलिए श्रीराम संपूर्ण हैं। इसलिए ही वो हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं।

16. दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक, खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविनÓ रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहां पूजनीय हैं।

17. मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला यह भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा और अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा।

18. राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं। राम हमें समय के साथ बढऩा सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं।

19. राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, राम आधुनिकता के पक्षधर हैं। उनकी इन्हीं प्रेरणाओं और आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।

20. श्रीराम की ही नीति है- “भय बिनु होइ न प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।

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योध्या में रचा गया इतिहास: प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर रखी भव्य श्रीराम मंदिर की नींव

 प्रधानमंत्री मोदी ने जय श्रीराम और हर-हर महादेव की गूंज के बीच ठीक 12 बजकर 44 मिनट के मुहूर्त पर श्रीराम मंदिर की शिला रखी। भूमि पूजन में उन्होंने चांदी की 9 शिलाओं का पूजन किया। इन्हीं शिलाओं के ऊपर रामलला विराजमान होंगे।

मंत्रोच्चर के बीच भूमि पूजन का पूरा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। भूमि पूजन कार्यक्रम करीब 48 मिनट चला। भूमि पूजन और शिला पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने साक्षात दंडवत कर देश की तरक्की और कोरोना के नाश का वरदान प्रभु श्रीराम से मांगा।

प्रधानमंत्री मोदी पारंपरिक हल्के पीले रंग का कुर्ता, सफेद धोती और भगवा रंग के गमझे में थे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत करीब 175 लोग इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बने।

कोरोना महामारी के कारण यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा गया। भूमि पूजन के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया।

प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक दौरे की शुरूआत हनुमानगढ़ी के दर्शन कर की। यहां मंदिर के मुख्य पुजारी ने उन्हें चांदी की मुकुट और वस्त्र भेंट किए। इसके बाद उन्होने श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दर्शन किए और आरती उतारी। यहां उन्होंने साष्टांग दंडवत होकर रामलला के दर्शन किए।

नरेन्द्र मोदी श्रीरामजन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के दर्शन करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री है। वैसे उनसे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहते अयोध्या पहुंचे थे, लेकिन कोई भी भूमि विवाद की वजह से इस जगह पर नहीं गया।

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मोहन भागवत बोले- आडवाणी घर पर देख रहे होंगे ऐतिहासिक क्षण, सिंघलजी होते तो..

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर आंदोलन के अनुपस्थित नेताओं को याद किया। वीएचपी के दिवंगत नेता अशोक सिंघल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह आज यहां होते तो कितना अच्छा होता। उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया था। आज आडवाणी जी भी अपने घर पर बैठे यह क्षण देख रहे होंगे। उन्होंने कहा कि समय ऐसा चल रहा है कि बहुत से लोग इस अवसर पर नहीं आ सके।

भागवत ने कहा कि आज जो यहां जो मौजूद है वह मन से और जो नहीं है वह सूक्ष्म रूप से राम मंदिर निर्माण की शुरुआत का आनंद उठा रहा है। इतने सारे लोगों ने मंदिर के लिए बलिदान दिया था। उनमें से कई लोग शारीरिक रूप से यहां नहीं हो सकते थे। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे हैं जो यहां नहीं आ सकते हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्हें आना चाहिए था लेकिन स्थिति के कारण आमंत्रित नहीं किया जा सका। भागवत ने इस दौरान पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि आडवाणी घर में बैठे यह क्षण देख रहे होंगे। इस अवसर पर कई लोग अयोध्या नहीं आ सके क्योंकि समय ही ऐसा चल रहा है।

सब राम के और राम सबके, कोई अपवाद नहीं: भागवत

दिवंगत अशोक सिंघल को लेकर उन्होंने कहा कि अगर वह आज यहां तो कितना अच्छा होता लेकिन राम की जो इच्छा होती है वही होता है। राम मंदिर के शिलान्यास के बाद भागवत ने कहा कि हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखने वाले लोग हैं और यह एक नए भारत की शुरुआत है। पुरुषार्थ का भाव हमारे रग-रग में है और भगवान राम का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सब राम के हैं और सबमें राम हैं। यह सभी भारतवासियों के लिए है। इसमें कोई अपवाद नहीं है।

Óपहले मन मंदिर पूरा होना चाहिएÓ

भागवत ने कहा कि हमारे हृदय में भी राम का बसेरा होना चाहिए इसलिए सभी द्वेष, विकार, भेदों को तिलांजलि देकर संपूर्ण जगत को अपनाने की क्षमता रखने वाला मनुष्य बनना चाहिए। भागवत ने कहा कि अब भव्य राम मंदिर बनेगा और मंदिर के पूर्ण होने से पहले हमारा मन मंदिर पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए समान विचारधारा के संगठनों ने लगभग 30 साल तक संघर्ष किया।

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राम मंदिर भूमि पूजन -शिलान्यास के बाद सीएम योगी ने मनाई ‘दिवालीÓ

राम मंदिर के लिए भूमिपूजन के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम केवल मन्दिर निर्माण का कार्यक्रम नहीं है बल्कि राम मंदिर का निर्माण राष्ट्र में रामराज की शुरुआत भी करेगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पांच सदी के बाद आज 135 करोड़ भारतवासियों का संकल्प पूरा हो रहा है। देश में लोकतांत्रिक तरीकों के साथ ही मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस घड़ी की प्रतीक्षा में कई पीढिय़ां गुजर चुकी हैं।

सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूझबूझ और प्रयासों के कारण आज संकल्प पूरा हो रहा है। हमने तीन साल पहले अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम शुरू किया था, आज उसकी सिद्धी हो रही है। यूपी सीएम ने कहा कि सरकार की ओर से पहले रामायण सर्किट का काम शुरू किया गया, साथ ही अयोध्या में विकास कार्य हो रहा है। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो संकल्प 6 साल पहले लेकर चले थे वो आज पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की लोकतांत्रिक शक्ति और यहां की न्यायपालिका ने दुनिया को दिखा दिया है कि विवाद के मुद्दों को शांतिपूर्वक, लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से सुलझाया जा सकता है।