ड्यूटी के लिए तैनात ये रायफल वूमेन पूरी तरह से मुस्तैद हैं। असम राइफल्स की इन महिला सैनिकों को तैनाती से पहले पूरी ट्रेनिंग दी गई है। खासतौर पर इस इलाके में बोले जाने वाली भाषा और यहां के रहन सहन को लेकर भी उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। तंगधार, सेना के 28 डिवीज़न के तहत आता है। इस डिवीज़न के जीओसी मेजर जनरल एडीएस औजला का मानना है कि पीओके से लगती उत्तर कश्मीर में जो कमियां थीं, उन्हें पूरा करने के लिए महिला सैनिकों को यहां तैनात किया गया है।
गौरतलब है कि लाइन ऑफ कंट्रोल के पास तंगधार और तिथवाल इलाक़े में भारत के करीब 40 गांव हैं। LOC के पास इस गांवों से होकर ही सबसे ज्यादा घुसपैठ के रास्ते है। इन इलाकों में सर्दियों से पहले से घुसपैठ का सबसे अच्छा समय है। ऐसे में सेना किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती हैं, इसलिए महिला सैनिकों की तैनाती की गई है।पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और ड्रग्स व जाली नोटों की तस्करी को रोकने के लिए एलओसी पर पहली बार रायफल वुमेन की तैनाती की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक महिला सैनिकों की तैनाती एलओसी से मात्र 10 से 12 किमी की दूरी पर की गई है। जिस स्थान पर महिला सैनिकों की तैनाती की गई है, वह स्थान करीब 10 हज़ार की फुट ऊंचाई पर स्थित है। फिलहाल इसमें असम रायफल्स की महिला सैनिक को तैनात किया गया है। ये महिला सैनिक उत्तर-पूर्व में म्यांमार की सीमा पर कई गंभीर ऑपरेशन में अपना कारनामा दिखा चुकी है।
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