5 August 2020
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर आंदोलन के अनुपस्थित नेताओं को याद किया। वीएचपी के दिवंगत नेता अशोक सिंघल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह आज यहां होते तो कितना अच्छा होता। उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया था। आज आडवाणी जी भी अपने घर पर बैठे यह क्षण देख रहे होंगे। उन्होंने कहा कि समय ऐसा चल रहा है कि बहुत से लोग इस अवसर पर नहीं आ सके।
भागवत ने कहा कि आज जो यहां जो मौजूद है वह मन से और जो नहीं है वह सूक्ष्म रूप से राम मंदिर निर्माण की शुरुआत का आनंद उठा रहा है। इतने सारे लोगों ने मंदिर के लिए बलिदान दिया था। उनमें से कई लोग शारीरिक रूप से यहां नहीं हो सकते थे। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे हैं जो यहां नहीं आ सकते हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्हें आना चाहिए था लेकिन स्थिति के कारण आमंत्रित नहीं किया जा सका। भागवत ने इस दौरान पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि आडवाणी घर में बैठे यह क्षण देख रहे होंगे। इस अवसर पर कई लोग अयोध्या नहीं आ सके क्योंकि समय ही ऐसा चल रहा है।
सब राम के और राम सबके, कोई अपवाद नहीं: भागवत
दिवंगत अशोक सिंघल को लेकर उन्होंने कहा कि अगर वह आज यहां तो कितना अच्छा होता लेकिन राम की जो इच्छा होती है वही होता है। राम मंदिर के शिलान्यास के बाद भागवत ने कहा कि हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखने वाले लोग हैं और यह एक नए भारत की शुरुआत है। पुरुषार्थ का भाव हमारे रग-रग में है और भगवान राम का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सब राम के हैं और सबमें राम हैं। यह सभी भारतवासियों के लिए है। इसमें कोई अपवाद नहीं है।
Óपहले मन मंदिर पूरा होना चाहिएÓ
भागवत ने कहा कि हमारे हृदय में भी राम का बसेरा होना चाहिए इसलिए सभी द्वेष, विकार, भेदों को तिलांजलि देकर संपूर्ण जगत को अपनाने की क्षमता रखने वाला मनुष्य बनना चाहिए। भागवत ने कहा कि अब भव्य राम मंदिर बनेगा और मंदिर के पूर्ण होने से पहले हमारा मन मंदिर पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए समान विचारधारा के संगठनों ने लगभग 30 साल तक संघर्ष किया।
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