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झारखंड में राष्ट्रपति शासन भाजपा की मांग पर पूर्वोत्तर गरम

बी जे पी :- झारखंड में राष्ट्रपति शासन की भाजपा की मांग पर सीतामढी गरमा गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जहां राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य में संवैधानिक संवैधानिक बहाली होने का आरोप लगाया है, वहीं आंध्र प्रदेश गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी झामुमो ने भाजपा को सीधे चुनाव मैदान में उतरने की सलाह दी है। चुनौती दी है. झामुमो ने कहा कि बीजेपी के नेता केंद्रीय जांच-पड़ताल के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। बीजेपी ने कहा, राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग एवं दस्तावेजों की जांच वर्ष 2022 से लेकर अब तक राज्य सरकार को लेकर कई पत्र लिखे गए हैं, लेकिन राज्य सरकार और उनके सहयोगियों में स्मारकों और निवेशकों को नुकसान हो रहा है। ।।

झारखंड सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय में लूट के मामलों में उच्च सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है ताकि ऐसे दसियों से अधिक मामलों को ठीक किया जा सके। जांच को लेकर कोई उत्तर नहीं दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई है, विशेष रूप से उन मामलों में जहां शिक्षकों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों के साथ कई साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं। इधर मरांडी की इस मांग पर पलटवार करते हुए झामुमो के वकील और प्रवक्ता विनोद पांडे ने कहा है कि बीजेपी के नेता केंद्र में विचारधारा के प्रवक्ता घूम रहे हैं। बीजेपी चुनाव में जनता ने दोषी ठहराया था. बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी के विरोध में वोट मांगकर चुनाव जीता और बीजेपी भी इसमें शामिल हो गई।

वे रोज़ राज्य सरकार को अपदस्थ करने का सपना देख रहे हैं। उनके राष्ट्रपति शासन के दस्तावेज़ यह साबित करते हैं कि संवैधानिक प्रक्रिया में उनका विश्वास नहीं है। एक साल में राज्य में चुनाव होने वाले हैं। जनता की अदालत में वे दो-दो हाथ कर लें। इससे उन्हें अपनी झलक का पता चल जाएगा। बाबूलाल मरांडी जब से भाजपा में गए थे तबसे वे मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। उन्हें माइकल्स फ़ोबिया है, इसलिए वे राज्य का दौरा कर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा के संवैधानिक सिद्धांत अपने हित में हैं। भाजपा की चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने का मंसुबा कभी सफल नहीं होगा। (आईएएनएस)