रायपुर, भादो के कृष्ण पक्ष की छठी तिथि पर षष्ठी पर्व मनाने की परंपरा है। इस पर्व को गांव-गांव में कमरछठ के नाम से जाना जाता है। इस बार नौ अगस्त को षष्ठी पर्व मनाया जाएगा। षष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। पूजा-अर्चना में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाने का खासा महत्व है। लॉकडाउन के बाद शुक्रवार को बाजार खुलते ही पसहर चावल खरीदने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन करके व्रत तोड़ती हैं। महिलाएं भूमि को लीपकर छोटा सा गड्ढा खोदकर तालाब का आकार दें। तालाब में मुरबेरी, ताग तथा पलाटा की शाखा बांधकर इससे बनाई गई हरछठ को गाड़ें। पूजा में चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का तथा मूंग चढ़ाने के बाद सूखी धूल, हरी कुजरिया, होली की राख, होली पर भुने हुए चने तथा जौ की बाली चढ़ाएं।
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