Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

नरक में बार-बार तेज आवाज के साथ फट रही धरती, जमींदोज हो घूमती जिंदगियां

धरती फटना :- डैज्ड कोयलांचल में तेज आवाज के साथ पृथ्वी दर्शन की घटनाओं का निर्देशन नहीं हो रहा। जिंदगियां दीवारों में डेस्टिनेशन हो रही हैं। पिछले प्रारूप-दो दशकों में कई मकान, मंदिर-मस्जिद जमींदोज हो चुके हैं। रेल डिवाइडर से लेकर सड़कें तक धंस रही हैं। असल में, पिछले गंतव्य सौ साल से एलसीडी के अंधेधुंध खनन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। रविवार को मृतक के केंदुआ गोनू मंदिर मंदिर क्षेत्र के धोबी कुली बस्ती में फटी धरती में तीन महिलाओं का एक साथ जन्म हुआ। 17-18 किले के अवशेषों के ऑपरेशन के बाद उनके अवशेषों के अवशेष ऐसी क्षत-विक्षत स्थिति में बरामद हुए कि उनकी पहचान तक नहीं हो पाई। 14 अगस्त को मृतक के जोगता थाना क्षेत्र के 11 नंबर प्लांट में तेज आवाज के साथ जमीन पर बड़ा धमाका हुआ, जिसमें एक परिवार के तीन लोग जमीन के अंदर समा गए।

स्थानीय लोगों को तीर्थयात्रा से बाहर निकलने में बड़ी मुश्किल हुई। हॉस्पिटल में लंबे समय तक इलाज के बाद उनकी जान तो चली गई, लेकिन शरीर पर अब भी जख्म के कई निशान हैं। 11 सितंबर को गोविंदपुर क्षेत्र के आकाश किनारी बस्तियों में भू-धंसन की एक बड़ी घटना में सात मकान जमींदोज हो गए, जबकि एक मकान से ज्यादातर मकानों में तोड़फोड़ की गई। गनीमत यह रही कि इस हादसे में कोई हादसा नहीं हुआ। निरसा जिले के ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (आईसीएल) के मुगमा क्षेत्र में भू-धनसान की बड़ी घटना घटी। यहां लगभग 200 मीटर की गहराई में जमीन पांच फीट धंस गई थी। जुलाई 2021 में केंडुआडीह में अचानक जमीन पर धंसने से एक युवक से बातचीत की गई। बाद में उसे बड़ी मुश्किल से बाहर जाना पड़ा।

18 फरवरी 2021 को झरिया के बीसीसीएल लोदना क्षेत्र अंतर्गत घनुधी मोहरी बांध के 10 साल के बच्चे के साथ गोफ में समा गया था। उसकी जान भी बहुत मुश्किल से बचई जा सकी थी। साल 2017 में तो झरिया के फुलारीबाग में जमीन के दिग्गज से मशहूर हुए स्टारडम खान और उनके आठवें साल के बेटे रहीम जमीन के अंदर समा गए थे। उदाहरण के तौर पर आउट आउट नहीं जा सका। 100 वर्ष से भी अधिक समय में डीज़ल जिले के कोयला क्षेत्र में भूगर्भ में आग लग गई है। इस कारण अग्नि प्रभावित क्षेत्र में अचानक धरती फटती रहती है। इससे गोफ या फ़ाउन फ़ारेनहाइट है। फैक्ट्री की खदानें आग की लौ से धधक रही हैं। एक तरफ आग की लपटें आकाश को चूमने को बेताब हैं तो दूसरी तरफ जलते हुए कैथेड्रल के ज्वालामुखी ने एक बड़े इलाके को अपने आगोश में ले रखा है। यही नहीं, धधकते 1864 मिलियन टन टनल को बचाना भी एक चुनौती है। हालाँकि, काउंटलैंड के बीच यहां खनन जारी है। यहां के पुराने लोग मूर्तिकार हैं कि साल 1916 में गलती से की गई खनन से यहां आग लग गई। टैब तरंग दैर्ध्य का उत्पादन किया गया था। यह प्रक्रिया अवैज्ञानिक थी।

फिर भी इसकी आजादी के बाद प्राइवेट कोयला खदानों को जारी करने की प्रक्रिया जारी रखी गई। इससे आग गर्म हो गई। आग के कारण झरिया और आसपास के खदानों में 45 फीसदी कोयला जमीन के अंदर ही रह गया। वहीं, अंदर के तापमान ने ग्रेड की आग को और बढ़ा दिया। वर्ष 1916 में भौरा कोलियरी में आग लगने का पहला प्रमाण मिला था। इसके बाद वर्ष 1986 में पहली बार आग का सर्वेक्षण किया गया। सर्वे में 17 किमी वर्ग क्षेत्र की धरती के नीचे आग लगी हुई मिली। धरती के नीचे 45 प्रतिशत से अधिक की आग धीरे-धीरे-धीरे और बढ़ती चली गई। इस आग को मैन्सिंस के तरंगे के रास्ते से हवाएं चलती रहीं और आग धधकती रही। आग से बचाव के लिए खदानों में रेत भर दी गई लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। इसके बाद 2006 में डाकिन ने डाका में आग की स्थिति का सर्वेक्षण किया। इस बार 3.01 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में आग मिली।

बीसीसीएल के सामने इन जल रही कोयलों ​​को चुनौती की चुनौती थी। टैब ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के माध्यम से फायर प्रोजेक्ट में खनन की योजना बनाई गई। योजना पर काम हुआ। 2012 में पुन: सर्वेक्षण हुआ तो 0.83 वर्ग किमी जलते क्षेत्र में आग कम मिली। इसके बाद धरती पर ईसाइयों की घटनाएं बढ़ गईं, क्योंकि आग की वजह से धरती के अवशेषों से खाली सुरों में गैस भर गई है। ये गैस स्कैनर भी है। जब गैस का दबाव बढ़ता है, तो धरती फटती है और जान एवं माल का नुकसान होता है। ये सब हुआ पूर्व में कोयला खनन के दौरान बने निर्माण का कारण। कोयला उत्खनन के बाद खाली जगह में बालू भरा जाता है, लेकिन बालू में भी दरार पड़ गई। धरती के नीचे की आग में कितनों ने अरबों-खरबों के वारे-न्यारे किए। के शंकरपुर, लिलोरी पथरा, काजरपट्टी, बालू गद्दी समेत कई महासागरों के घरों की दीवारों से हमेशा के लिए स्मोकी नारियल रहता है। ये क्वॉलिटी कभी भी लड़की हो सकती हैं। यहां जमीन धंसने या फिर क्रिमिनल की आपदा हमेशा बनी रहती है। लोगों का भरोसा अब सरकार और सिस्टम से चुकाया गया है। (आईएएनएस)