इस फंड की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में करीब 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज के अंतर्गत की थी. फंड का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित ढांचे के विकास के लिए किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में विकास के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत एक लाख करोड़ रुपये की फाइनेंस (वित्तपोषण) सुविधा की शुरुआत की है. क्या है यह एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड? किसान और संस्थाएं कैसे उठाएं पाएंगे इसका फायदा? आइए जानते हैं.
इस फंड की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में करीब 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज के अंतर्गत की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इसकी शुरुआत की.
फंड के जरिए किए जाने वाले कार्यों में कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, कलेक्शन सेंटर और प्रोसेसिंग यूनिट, परख केंद्र, ग्रेडिंग, पैकेजिंग यूनिट, ई-प्लेटफॉर्म जैसी इकाइयों की स्थापना की जाएगी जिससे फसल के बुनियादी ढांचे का विकास होगा. उत्पादन के बाद फसलों के प्रबंधन से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास में भी इससे सहायता मिलेगी.
किसानों के लिए खेतों के आसपास के क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में कोल्ड चेन और कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए इसकी घोषणा की गई है.
इसके तहत कई तरह के प्रोजेक्ट्स को मीडियम और लॉन्ग टर्म की फाइनेंस सुविधा यानी कि कर्ज या निवेश मुहैया कराया जाएगा.
इस योजना के तहत 3 फीसदी प्रति वर्ष की कर्जमाफी तथा दो करोड़ रुपये तक कर्ज के लिए सीजीटीएमएसई स्कीम के तहत लोन गारंटी कवरेज़ के साथ कर्ज के रूप में बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा एक लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जाएंगे. इस एक लाख करोड़ रुपये के फंड की मदद से बैंक और वित्तीय संस्थाओं, प्राथमिक कृषि कर्ज सोसाइटियों (PACS), किसानों, मार्केटिंग सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), स्वयं सहायता समूहों (SHG), संयुक्त जवाबदेही समूह (JLG), बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप्स और केन्द्रीय/राज्य एजेंसियों या सार्वजनिक-निजी साझेदारी परियोजना प्रायोजित स्थानीय निकायों की मदद की जाएगी.
इस फंड की मॉनिटरिंग एक ऑनलाइन मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (MIS) के द्वारा होगी. इसके द्वारा ही सभी पात्र लोग लोन के लिए आवेदन कर सकेंगे. इस सिस्टम के द्वारा राष्ट्रीय, राज्य और जिले के स्तर पर मॉनिटरिंग होगी ताकि रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सके.
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