रेलवे ने निजी संचालकों के लिए प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों को लेकर एक मसौदा जारी किया है, जिसके अनुसार अगर उनके द्वारा संचालित रेलगाड़ियां देरी से चलती हैं अथवा गंतव्य पर समय से पहले पहुंचती हैं तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। बुधवार को जारी मसौदे में कहा गया कि निजी ट्रेन संचालकों को वर्ष में 95 प्रतिशत तक समय का पालन करना होगा। मसौदे के अनुसार, संचालकों को प्राप्त राजस्व के बारे में गलत जानकारी देने पर अथवा ट्रेन रद करने के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर जुर्माना देना होगा। मसौदे के अनुसार, अगर रेलगाड़ी को गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट से ज्यादा की देरी होती है तो इसे समय का पालन करने में विफलता माना जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी वजह से ट्रेन गंतव्य तक वक्त पर नहीं पहुंचती है तो रेलवे उसकी रकम अदा करेगा। संचालक की तरफ से रेल सेवा रद करने की हालत में वह हर्जाने के तौर पर उस रेलगाड़ी के लिए रेलवे को एक चौथाई ढुलाई शुल्क देगा। वहीं, यदि रेलवे की तरफ से रेल सेवा रद की जाती है तो रेलवे संचालक को उतना ही शुल्क देगा। यदि खराब मौसम, मवेशी का ट्रेन के नीचे आ जाना, किसी मनुष्य का रेलगाड़ी के नीचे आने, कानून व्यवस्था, सार्वजनिक प्रदर्शन, आपराधिक गतिविधि, दुर्घटना जैसे कारणों से किसी ट्रेन की समय की पाबंदी प्रभावित होती है तो किसी को भी हर्जाना नहीं देना होगा।
रेलवे ने प्रस्तावित निजी रेलगाड़ियों के किराये के लिए नियामक बनाने की संभावना से इन्कार करते हुए कहा कि भारतीय परिवहन परिदृश्य में प्रतिस्पर्धा के जरिये किराये में वृद्धि के खतरे से निपटा जाना चाहिए। रेलवे द्वारा सार्वजनिक मसौदे में कहा गया कि इस योजना के जरिये 150 ट्रेनों का परिचालन निजी परिचालकों द्वारा किया जाएगा। इसमें किराया नियामक बनाने का प्रावधान नहीं है।
दस्तावेज में कहा गया कि किसी भी तरह के आर्थिंक नियमन से परियोजना के राजस्व पर असर पड़ेगा। भारतीय परिवहन परिदृश्य प्रतिस्पर्धी है और बाजार में पर्याप्त स्पर्धा है। उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने पहले कहा था कि मंत्रालय भविष्य में नियामक प्राधिकरण बनाने पर विचार कर रहा है। मसौदे में कहा गया कि विभिन्न संस्थाओं और उनके कार्यों को नियंत्रित करने के लिए भविष्य में देश में रेल नियामक संस्था बनाने की संभावना है।
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