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पंजाब और हरियाणा में बासमती चावल और पंजाब की फुलकारी को जीआई टैग

देश के विभिन्न राज्यों के कई प्रतिमाओं को जीआई-टैग मिला हुआ है। पंजाब में भी ऐसे दो उत्पाद मिले हैं जिनमें जीआई-टैग शामिल है। पंजाब और हरियाणा के कृषि मॉडल में बासमती चावल और पंजाब की फुलकारी को जीआई टैग मिला है।

पंजाब की फुलकारी दुनिया में मशहूर है। यह फुलकारी हाथों से तैयार की जाती है। फुलकारी में सुई वैग से एम्ब्रॉयडरी कर इसे खूबसूरत बनाया जाता है।

फुलकारी, एक पारंपरिक पेस्ट्री है और इसे फैशन उद्योग में एक बड़ी जगह मिली है। जिस कपड़े पर फुलकारी की रोटी की जाती थी, उसके हाथों से बना खद्दर (सादा कपड़ा) होता है। पंजाब में पटियाला सलवार सूट और फुलकारी कढ़ाई के बिना पंजाबी कल्चर अधूरा-सा रह जाता है।

बासमती चावल

हरियाणा और पंजाब के कृषि मॉडल में बासमती चावल को जी-टैग मिला हुआ है। बासमती शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बनता है। वस और मैप। वास यीज़ सुगंध और मैप यीज़ गहराई। यह चावल अपनी खीर के रस के लिए जाना जाता है।

यही कारण है कि बासमती चावल को नरम और स्वादिष्ट चावल कहा जाता है। लोग बासमती चावल खाना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं, भारत बासमती चावल का सबसे ज्यादा सेवन करने वाला देश है। एरो केटेर राइस की किताब में यह दावा किया गया है कि हडप्पा-मोहनजोदडो की खुदाई में यह साक्ष्य मिला।

क्या होता है जीआई टैग

जीआई टैग की फुल फॉर्म भौगोलिक संकेत है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के अनुसार, जीआई टैग एक लेबल है। इसके तहत किसी भी क्षेत्र में किसी भी उत्पाद को एक विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है।

भारत में किसी भी इलाके की वस्तु को उसके गुण और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उस स्थान का टैग दिया जाता है।