अब वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बजट के बाहर से भी राशि का इंतजाम करेगी। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों और विभाग से कहा है कि वे इस बात पर विचार करें कि किस तरह बजट के अलावा भी वित्तीय संसाधन जुटाए जा सकते हैं।
दरअसल, कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश को स्वयं और केंद्र के करों से होने मिलने वाली राशि में कमी आई है। इसका असर बजट पर भी पड़ा है। लोक निर्माण, जल संसाधन, चिकित्सा शिक्षा सहित आठ विभागों को छोड़कर किसी को भी प्रतिमाह स्वीकृत बजट का 10 फीसद से ज्यादा हिस्सा खर्च करने की अनुमति नहीं है। पिछले साल की आर्थिक मंदी और इस साल कोरोना संकट से प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा और राज्य करों से होने वाली आमदनी को मिलाकर करीब 28 हजार करोड़ रुपये की क्षति हो चुकी है। इसके मद्देनजर ही सरकार ने वर्ष 2020-21 का बजट 28 हजार करोड़ रुपये घटाकर दो लाख पांच हजार करोड़ रुपये कर दिया है।
उधर, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ सरकार को कई छूट देनी पड़ी हैं। इसका असर भी खजाने पर पड़ा है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभागों से बजट के बाहर से वित्तीय संसाधन जुटाने के विकल्पों पर विचार करने के लिए कहा है। वित्त विभाग इस दिशा में पिछले साल से काम कर रहा है।
मौजूदा स्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे वैकल्पिक वित्तीय व्यवस्था के लिए जल्द ही वरिष्ठ अधिकारियों की समिति बनाएंगे।
फिलहाल सरकार ने कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के एरियर की आखिरी किस्त, वार्षिक वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते में वृद्धि का भुगतान रोक दिया है।
इसको लेकर कर्मचारी संगठन लामबंद होने लगे हैं। बजट देने के साथ लगाई रोक भी कोरोना संकट के कारण विधानसभा का सत्र नहीं हुआ और सरकार को अध्यादेश के माध्यम से चालू वित्त वर्ष 2020-21 का बजट लागू करना पड़ा।
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