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छोटे खनिज लीज-क्वारी लाइसेंस धारकों को बड़ी राहत

राजस्थान समाचार: खान विभाग द्वारा जिला वैज्ञानिक समिति से पर्यावरण उद्यम के लिए प्राप्त 5 हेक्टेयर तक की लीज और क्वारी लाइसेंस वाली खानों के पर्यावरण उद्यम के लिए सभी 23 हजार से अधिक पत्रावलियों के लिए पर्यावरण उद्यम के लिए पात्र एक सप्ताह में ही पर्यावरण पोर्टल पर अपलोड किए गए कर कार्यकुशलता एवं इच्छाशक्ति की नई जोड़ी। अब राज्य में एसोसिएटेड एसोसिएट्स में आवश्यक सामग्री की कमी हो गई है।

खान सचिव आनंदी ने बताया कि नेशनल ग्रीनल ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पर्यावरण वाले खानधारकों को राज्य सांख्यिकी एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेंमेंट एसोसिएट्स द्वारा एक साल में पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के निर्देश दिए गए थे। एनजीटी के अर्थशास्त्र के अनुसार जिला स्तर से पर्यावरण उद्यम को एक वर्ष की अवधि के लिए उद्यम से प्राप्त किया गया है। 28 अप्रैल, 2024 तक राज्य पर्यावरण उद्यम से पर्यावरण उद्यम को एक वर्ष की अवधि के लिए मान्यता दी गई है। लगभग 10 महीने तक एनजीटी के ऑर्डर ऑफर में प्रगति नहीं हुई, राज्य के 5 हेक्टेयर तक के करीब 25 हजार लीज और क्वारी लाइसेंस वाले खानों में खनन कार्य बंद हो गया और लाखों लोगों पर प्रत्यक्ष और प्रमुख रोजगार का संकट आ गया।

उल्लेखित प्रकरण सामने आया है कि मानविकी विभाग ने करीब 25 हजार खानों को राज्य के स्वामित्व वाले इनपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरण उद्यम की पहल की है। इसके लिए विज्ञान विभाग द्वारा पर्यावरण पोर्टल पर पत्रावलियां अपलोड की गई हैं, साथ ही वन एवं पर्यावरण विभाग की समिति पर राज्य स्तर पर शिया से समन्वय स्थापित करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।

विज्ञान निदेशक भगवती प्रसाद कलाल ने राज्य में 15 जनवरी, 2016 से 13 सितंबर, 2018 तक 25121 तक इस तरह के खानों को जिला नामांकित समिति द्वारा पर्यावरण उद्यम जारी किया गया था। एनजीटी ने जयन्त कुमार के प्रकरण में निर्णय पारी करते हुए इस तरह की सभी प्रतिभागियों का पुनर्मूल्यांकन राज्य मान्यता समिति द्वारा जाने के निर्देश दिए गए हैं।

25121 में 606 वर्ष पूर्व प्राप्त पर्यावरण विशेषज्ञ ने इसे जिला वैज्ञानिक समिति से स्वीकार कर लिया है। 1237 किन्हीं स्थलों से अनुपलब्ध होने के बाद शेष लगभग सभी राज्य सरकारी प्राधिकरणों को ऑन-लाइन परिवेश पोर्टल पर अपलोड किया गया है। एनजीटी के अनुरूप में राज्य स्तर से पर्यावरण समन्वय के लिए सहयोग की आवश्यकता है।

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