फिलहाल कोरोना के चलते मंदिर में सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है। वैसे तो यहां हर बुधवार मेले सा नजारा रहता है। गणेशोत्सव के दौरान भी यहां मेले की परंपरा रही है। यह मंदिर स्वयंभू गणेश प्रतिमा वाले देश के चार प्रमुख मंदिरों में शामिल है। तीन अन्य मंदिर रणथंभौर (राजस्थान), उज्जैन और सिद्धपुर (गुजरात) में हैं। विक्रमादित्य कालीन इस मंदिर में गणेश प्रतिमा आधी भूमि में धंसी हुई है। नाभि से शीश तक का हिस्सा ही ऊपर है।
मंदिर में चिंतामन सिद्ध गणेश की रोज चार आरती होती हैं। पहली आरती सुबह, दूसरी दोपहर 12 बजे, तीसरी शाम को और रात 11 बजे शयन आरती की जाती है। यहां गणेशजी को मोदक और बूंदी के लड्डू का भोग मुख्य रूप से लगाया जाता है। बुधवार को विशेष शृंगार व महाआरती होती है। गणेश चतुर्थी पर भंडारा होता है, जो इस साल नहीं होगा। मंदिर में चिंतामन सिद्ध गणेश की रोज चार आरती होती हैं। पहली आरती सुबह, दूसरी दोपहर 12 बजे, तीसरी शाम को और रात 11 बजे शयन आरती की जाती है। यहां गणेशजी को मोदक और बूंदी के लड्डू का भोग मुख्य रूप से लगाया जाता है। बुधवार को विशेष शृंगार व महाआरती होती है। गणेश चतुर्थी पर भंडारा होता है, जो इस साल नहीं होगा।
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