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छत्तीसगढ़ में मंगलवार 25 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले विधायकों को एक अजीब डर सता रहा है।

 कोरोना संक्रमण को देखते हुए विधानसभा ने तय किया है कि परिसर में प्रवेश से पहले सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। यह टेस्ट विधायकों के डर का कारण बन गया है। करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को यह डर है कि जांच में वो पॉजिटिव आ गए तो फिर क्या होगा। हालांकि अधिकांश में कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन विधायकों का यह भी कहना है कि 60 फीसद मामलों में बिना लक्षण के भी पॉजिटिव पाया गया है।

एक विधायक ने नईदुनिया को बताया कि अगर कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं तो उनको अस्पताल में भर्ती होना होगा। साथ ही अस्पताल से छूटने के बाद 14 दिन तक होम क्वारंटाइन भी रहना होगा। ऐसे में उनका पूरा कामकाज प्रभावित हो जाएगा। विधायकों के इस डर के बारे में जब विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत को पता चला, तो उन्होंने साफ किया कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। जब जनप्रतिनिधि ही कोरोना से डरने लगेगा तो आम आदमी का बचाव कैसे करेंगे। अध्यक्ष महंत ने तय किया कि परिसर में प्रवेश से पहले सिर्फ उन्हीं विधायकों का परीक्षण किया जाएगा। विधायकों के डर को खत्म करने के लिए डॉ महंत ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि वह कोरोना बचाव किट तैयार करें और सदन की कार्यवाही के दौरान विधायकों को उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही सदन में चाय की जगह अब काढ़ा पिलाया जाएगा, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।