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निजी अस्पतालों के वार्ड फाइव स्टार होटल के कमरों से भी महंगे हो गए हैं।

कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के कारण सरकारी अस्पतालों में मरीजों की तादात बढ़ती जा रही है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भार कम करने के लिए प्रशासन ने निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती कर उपचार के निर्देश दिए थे। शहर के करीब आधा दर्जन निजी अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया शुरू है लेकिन उपचार में आई महंगाई मरीजों को सदमा दे रही है। कुछ निजी अस्पतालों ने जो रेट लिस्ट तय की है उसके अनुसार कोरोना मरीजों को उपचार के लिए रोजाना 10 से 30 हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं। इस महंगाई से अनजान कुछ मरीज बेहतर उपचार की आस में निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं लेकिन खर्च का पता चलने के बाद उनके हाथ पांव फूलने लगते हैं। कोरोना से स्वस्थ हुए एक मरीज ने बताया कि सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां व्यवस्थाएं दुरुस्त न मिलने के कारण उन्होंने सुखसागर मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाने की मंशा जाहिर की, जिसके बाद उन्हें रेफर कर दिया गया। वहां भी अव्यवस्था सामने आने के बाद वे निजी अस्पताल पहुंचे। निजी अस्पताल में उपचार की प्रक्रिया में कोई अंतर समझ में नहीं आया लेकिन उपचार में घर की पूरी जमापूंजी खर्च हो गई।