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कांग्रे्रस- केजरीवाल-कम्युनिस्ट Nexus Delhi riots

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23 aug 2020

दिल्ली दंगों में तीन टंगड़ी कांगे्रस-कम्युनिस्ट-केजरीवाल पर आरोप लगते रहे हैं।  Delhi riots Chargesheet 24 अदालत ने कहा, ताहिर हुसैन के उकसावे पर मुस्लिमों ने हिंदुओं पर किया पथराव! लेकिन ‘ताहिर हुसैन को बचाने में जुटी AAP, अब तक नहीं दी देशद्रोह का केस चलाने की मँजूरी

दिल्ली दंगा: कोर्ट ने माना- ताहिर हुसैन ने मुस्लिमों को हिंसा के लिए भड़काया था

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है। अदालत ने सभी आरोपियों को आगे सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 28 अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया है।

अभिव्यक्ति के ठेकेदार उक्त तीन टिकट महाविकट की पोल आज खुल चुकी है :

एक पुस्तक से डरा पंचमक्कार गिरोह! लेखक और प्रकाशक पर हुआ हमलावर!

प्रकाशक Bloomsbury India ने पुस्तक वापस लेने का लिया फैसला।

उक्त मुहीम में कम्युनिस्ट और आप पार्टी के  बुद्धूजीवियों के अलावा राहुल गांधी के दाहिने हाथ साकेत गोखले का भी हाथ है। यहॉ यह उल्लेखनीय है कि यह साकेत गोखले राहुल गांधी के ही निर्देश पर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर भूमिपूजन रूकवान का असफल प्रयास कर चुके हैं।

Bloomsbury India ने पुस्तक वापस लेने का लिया फैसला

एक पुस्तक से डरा टुकड़े-टुकड़े गैंग! लेखक और प्रकाशक पर हुआ हमलावर!

दिल्ली दंगे! जी हाँ वही दिल्ली दंगे जिन्होनें हमारे देश की पहचान पर एक वार किया. राष्ट्रपति ट्रम्प के आगमन पर दिल्ली को खून से नहलाने की साज़िश हुई.वह एक ऐसा आन्दोलन था जो इस देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर हमला था. वही शाहीन बाग़, जिसे प्रयोग कहा जा सकता है कि कैसे एक देश की सर्वोच्च संस्था द्वारा सर्वसम्मति से पारित विधेयक को बंधक बनाकर ख़ारिज किया जा रहा था.

indiaspeaksdaily ने इस सन्दर्भ में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.

यह वही शाहीन बाग़ था जिस प्रयोग को सफल बनाने के बाद Bloomsbury Publishing India से इस आन्दोलन के पक्ष में एक पुस्तक आई Shaheen Bagh, From a Protest to a Movement, जिसे जिया उस सलाम और उज़मा औसफ ने लिखा था. और जिसमें इस आन्दोलन की एक एक बात कि कैसे एक विरोध प्रदर्शन एक आन्दोलन बन गया.

Bloomsbury Publishing India उस समय लिब्रल्स की नजर में उदार प्रकाशक था. मगर क्या प्रकाशक केवल एक ही विचार प्रकाशित करे? यह सवाल उभर कर आया है! सवाल इसलिए क्योंकि आज शाम को ब्लूम्सबरी एक किताब की ई-लांचिंग करने जा रहा है और वह किताब है दिल्ली दंगों के षड्यंत्रों की बखिया उधेड़ती हुई रिपोर्ट! किताब है Delhi Riots Untold Story 2020! और उसके विमोचन में शामिल हैं, विवेक अग्निहोत्री, जिन्होनें अर्बन नक्सल्स लिखकर पूरे नेक्सस के विषय में बताया था कि यह कैसे काम करता है! और ऑप इंडिया की नुपुर शर्मा, मगर सबसे ज्यादा जिस नाम को लेकर पूरा रुदाली गैंग भडका हुआ है वह है कपिल मिश्रा!

रिपोर्ट में बताया गया है :जी हाँ, वही कपिल मिश्रा जिनके खिलाफ पूरे गैंग ने एडी चोटी का जोर लगा दिया था, कि दिल्ली दंगे कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान के बाद शुरू हुए! मगर यह पूरा का पूरा गैंग इस बात को भूल जाता है कि न्यायालय ने कपिल मिश्रा के बयानों को भड़काऊ नहीं माना है.

शाहीन बाग़ में हिन्दुओं के खिलाफ दिए गए सारे बयान और सारे कदम यदि उस प्रकाशक के पास से आते हैं तो सेक्युलर हैं मगर दिल्ली दंगों में पब्लिक डोमेन में मौजूद और दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के आधार पर कोई किताब आती है तो #ShameOnBloomsbury. यह शेम ऑन ब्लूम्सबरी क्यों? ट्विटर के साथ साथ फेसबुक पर यह अभियान चला रखा है, Shame On Bloomsbury? आखिर किस बात की शर्म? क्या अब यह मक्कार और रुदाली गैंग अपनी हेकड़ी प्रकाशकों पर भी चलाएगा?

indiaspeaksdaily ने इस विषय में प्रकाशक का पक्ष जानना चाहा तो उनका कहना है कि हमारे पास जो भी प्रस्ताव आता है, पहले हम उसकी लीगैलिटी जांचते हैं, हमारी लीगल टीम उसे पढ़ती है, फिर हम देखते हैं कि जो भी हमारे पास प्रपोजल आया है क्या उससे जुडी हुई चीज़ें पब्लिक डोमेन में हैं या नहीं? क्या तथ्यों के साथ उनके दावे के दस्तावेज़ हैं या नहीं और जब यह सब होता है तो हम उस किताब को प्रकाशित करते हैं.

आगे उन्होंने कहा कि यह जो भी हो रहा है, और प्रकाशक का नाम खींचा जा रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे पहले हम शाहीन बाग़ पर भी किताब ला चुके हैं और उस समय जो इस आन्दोलन के विरोधी थे, उन्होंने जरा भी विरोध नहीं किया था. एक तरह से यह प्रभावित करने की कोशिश है, मगर यह उचित नहीं है.

ट्विटर पर इसका विरोध करने वाले में पाकिस्तानी झंडा लगाए हैंडल हैं

 Documenting Oppression Against Kashmiris (DOAK) ????

@IRJK_soon

What a shame you are @BloomsburyIndia @BloomsburyPub

#ShameOnBloomsbury

Saket Gokhale @SaketGokhale

Publisher @BloomsburyIndia is releasing a book which seeks to blame minorities for the Delhi Pogrom.

Nupur Sharma of OpIndia & CRIMINAL KAPIL MISHRA OF BJP are guests of honor at the release.

An int’l publishing house openly pushes sanghi communal agenda.

#BoycottBloomsbury

तो संकेत गोखले जैसा ‘लाल लंपट’ है। पूर्व में यह संकेत गोखले ट्वीटर पर राष्ट्रपति तक के लिए अपमानजनक शब्द ट्वीट कर चुका है। मुसोलिनी और स्टालिन जैसे खूनी विचारधारा का पोषण यह संकेत गोखले घनघोर कम्युनिस्ट है। खुद को फासिस्ट विरोधी लिखता है, लेकिन नाजी हिटलर के सहयोगी तानाशाह स्टालिन का वैचारिक भक्त है।

Saket Gokhale @SaketGokhale

Publisher @BloomsburyIndia is releasing a book which seeks to blame minorities for the Delhi Pogrom.

Nupur Sharma of OpIndia & CRIMINAL KAPIL MISHRA OF BJP are guests of honor at the release.

An int’l publishing house openly pushes sanghi communal agenda.

#BoycottBloomsbury

6:24 PM • Aug 21, 2020

संकेत गोखले फर्जी खबरें फैलाने वाले द वायर गिरोह का सदस्य है, और उसकी फर्जी रिपोर्ट को टवीट कर Bloomsbury Publishing India पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटा है। यह वही The Wire है, जिस पर फर्जी खबरों के लिए विभिन्न अदालतों में न जाने कितने मुकदमे चल रहे हैं।

Saket Gokhale @SaketGokhale

A communal “fact-finding report” full of disinformation on the Delhi pogrom was accepted by @AmitShah in June.

This report is now being published by @BloomsburyIndia as a book without any fact-check or verification.

Bloomsbury – u r complicit in endorsing & justifying a pogrom.

 10:32 AM • Aug 22, 2020

indiaspeaksdaily ने  अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है : दलित वर्ग से आने वाले और देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे राष्ट्रपति के लिए जिसके मन में सम्मान न हो वह लाल सलामी देश और देश की संवैधानिक संस्थाओं के प्रति अपनी कुंठा जब तक ट्वीटर पर निकालता रहता है।

ऐसे ही वामपंथी लेखक स्टेनली जॉनी हैं जो Bloomsbury Publishing के लेखक हैं, और वह इस बात से खफा हैं कि आखिर वह यह रिपोर्टनुमा किताब प्रकाशित ही क्यों कर रही है, जिसमें फेकन्यूज़ फैक्ट्री ‘ऑपइंडिया’ की नूपुर शर्मा हैं? जब स्टेनली जॉनी यह लिखते हैं तो वह अपने पूर्व नियोक्ता The Hindu की उन सभी फेक न्यूज़ को भूल जाते हैं जो यह समाचार पत्र लगातार इस सरकार के खिलाफ चलाता रहा है और राफेल पर जो फेक रिपोर्ट उसने चलाईं थीं, जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय तक ने नकार दिया!

लेफ्टवर्डबुक्स की सुधाव्ना देशपांडे ने इन्स्टाग्राम पर एक पोस्ट की है जिसमें वह कह रही हैं कि इस किताब के हाथ खून से सने हैं! सभी एक सुर में कह रहे हैं यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, तो क्या इन लोगों को न्याय भी अपनी मर्जी का चाहिए? इस पूरे गिरोह को न्यायालय पर भी विश्वास नहीं है?

खूनी कम्युनिस्टों का प्रवक्ता प्रकाशन Tulika Books है, जिसने अपनी खूनी विचारधारा के अनुरूप ही खून से सना पोस्टर ट्वीट किया है।

Tulika Books Delhi

@Tulikabooksdel

#ShameOnBloomsbury #ShameOnBloomsburyIndia  11:39 AM • Aug 22, 2020

इसी प्रकार वाम विचारधारा का झंडा उठाने वाले कुछ हिंदी के लेखक भी हैं जो इस विवेक अग्निहोत्री और कपिल मिश्रा के नाम पर सुलग रहे हैं. विवेक अग्निहोत्री का नाम लेकर सत्यानन्द निरुपम लिखते हैं कि कपिल मिश्रा और विवेक अग्निहोत्री का नाम जब से एक बौद्धिक आयोजन के ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ लिस्ट में देखा है, तब से यही सोच रहा हूँ कि नफ़रत फैलाना भी क्या अब बौद्धिक काम है? घृणा के प्रचारक क्या अब समाज के विचारक हो जाएंगे?

इनसे पूछा जाना चाहिए कि अंतत: घृणा का प्रचारक कौन है? कपिल मिश्रा को अपना पक्ष न रखने देने वाले प्रगतिशील कब से हो गए? विवेक अग्निहोत्री ने ऐसा क्या कर दिया है?

दरअसल अब कुछ मुखर स्वरों ने इनकी नींदें उड़ा दी हैं, जो एजेंडा अब तक यह चला रहे थे, उस एजेंडा पर न केवल सवाल उठ रहे हैं, बल्कि सच्ची रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं.

DelhiRiotsUntoldStory 2020 एक ऐसा दस्तावेज है जो उस झूठ से पर्दा उठाएगा जिस झूठ को हर साल, हर दंगे के बाद यह प्रकाशित करते हुए आए थे. दंगों में केवल हिन्दू ही दंगाई होता है, यह झूठे हर साल परोसते हुए आए थे, जबकि हर दंगों में शुरुआत कौन करता है, यह आज पूरा विश्व देख रहा है, ब्लैक लाइव्स मैटर्स के मामले में अमरीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक हिंसा का नंगा नाच वामी-इस्लामी विचारधारा ने ही किया है!

आज छोटा छोटा ही सही प्रयास हो रहा है और यह प्रयास उन्हें डरा रहा है, तभी जो प्रकाशक Shaheen Bagh: From a Protest to a Movement प्रकाशित करते समय उनके लिए सेक्युलर है प्रिय है, वह दिल्ली रायट्स 2020, जो पूरी तरह तथ्य परक है, लिखते समय अछूत हो जाता है, वह घृणा और हिंसा से इतना भर बैठे हैं कि #ShameOnBloomsbury का ट्रेंड चला रहे हैं.

विद्यार्थियों के मध्य हिंसा का कॉपीराईट रखने वाली AISA – और वह भी जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज की आयसा लिखती है Delhi Riots Untold Story 2020 को हेटप्रोजेक्ट्स बताती है. इसे हिटलर गोब्बेल की घृणा का मॉडल बता रही है.

कांग्रेस की सोशल मीडिया की नेशनल कन्वेनर हसिबा अमीन लिखती हैं,

Hasiba | حسيبة ????

@HasibaAmin

Dear Bloomsbury, so you have decided to help set the RW communal agenda and to be agents of alt-history about a well documented POGROM by presenting a fictional story as the “real story”. Here’s the thing – history won’t be very kind to you.

#ShameOnBloomsbury

1:22 PM • Aug 22, 2020

 यहाँ पर वह कांग्रेस की उसी परम्परा को दोहरा रही हैं जिसमें वह अपने वैचारिक विरोधियों को समाप्त कर देते हैं!

कम्युनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर दीपांकर इसे संघी संस्करण कह रहे हैं, वह यह नहीं देख रहे ही लिखने वाली मोनिका अरोड़ा उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं एवं प्रेरणा मल्होत्रा एक प्रोफेसर!

और ऐसे में नफरत से भरी कम्युनिस्ट कविता कृष्णण कैसे न नफरत उड़ेलती? वह तो समाज में आग लगाने में सबसे आगे रहने वाली ‘लाल झंडबदार’ रही हैं। वह एक के बाद एक ट्वीट कर अपने अंदर की जहर उल्टी करती चली गई हैं।

आम आदमी पार्टी की राजनीति के समर्थक भाग्यवंत @BhagywantD तो विवेकअग्निहोत्री, नुपुर शर्मा, कपिल मिश्रा, मोनिका अरोड़ा, प्रेरणा मल्होत्रा और श्री भूपिंदर यादव को अपशब्द भी कह रहे हैं.

unapologetic muslim के रूप में अपनी पहचान बताने वाले वामपंथी लिखते हैं कि हमें इस किताब का विरोध करना ही चाहिए. यह इस देश का दुर्भाग्य है कि unapologetic muslim हिन्दुओं के पक्ष में कभी खड़ा नहीं होगा! पर अब इस सिलेक्टिव आज़ादी पर बोलना ही होगा! और जनता सब देख रही है, वह समय आने पर एक बार फिर जबाव देगी! यह तय है!

****

तक कि ब्लूम्सबरी इंडिया ने उदारवादी, कांग्रेस समर्थकों और इस्लामवादियों की उग्र भीड़ के दबाव में रहते हुए दावा किया कि यह मुक्त भाषण का समर्थन करता है।

ब्लूम्सबरी इंडिया ने मोनिका अरोरा, सोनाली चीतलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की लेखकों की पुस्तक ots दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी ’के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है। एक बयान में, प्रकाशन हाउस ने अपने निर्णय के कारणों में से एक के रूप में ‘लेखकों द्वारा हमारे ज्ञान के बिना आयोजित एक आभासी पूर्व-प्रकाशन लॉन्च का हवाला दिया।

ब्लूम्सबरी इंडिया ने कहा कि उन्होंने किताब को जारी करने की योजना बनाई थी, सितंबर 2020 में लेखकों द्वारा किए गए जांच और साक्षात्कार के आधार पर एक तथ्यात्मक खाता, लेकिन उन्होंने अपने फैसले को रद्द कर दिया है।

akankshakumar

@ akanksha_kumar3

अगस्त २२, २०२०

ब्रेकिंग: ब्लूम्सबरी इंडिया ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ पुस्तक का प्रकाशन वापस ले रही है। पब्लिशिंग हाउस कल के विवाद के बाद एक ताजा बयान जारी करता है। @newslaundry @nlhindi

akankshakumar

@ akanksha_kumar3

ब्लूम्सबरी इंडिया का कथन (1 / n): ‘ब्लूम्सबरी इंडिया ने दिल्ली दंगे 2020 को जारी करने की योजना बनाई थी: द अनटोल्ड स्टोरी सितंबर में एक किताब में फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट दे रही है, जो जांच और साक्षात्कार के आधार पर आयोजित की गई थी। लेखकों। ‘

3:52 PM • 22 अगस्त, 2020

Akankshakumar @ akanksh_kumar3

पुस्तक को वापस लेने का निर्णय सोशल मीडिया पर प्रमुख ‘बुद्धिजीवियों ’के नेतृत्व वाली वामपंथी उग्र भीड़ के बाद आया, जिसने निर्णय लेने के लिए प्रकाशन गृह पर दबाव डाला। आक्रोश भीड़ के आयोजकों में विवादास्पद अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अन्य प्रतिष्ठित ‘पत्रकारों’ और ‘बुद्धिजीवियों’ जैसे व्यक्तित्व शामिल थे

 मीना कंदासामी || இளவேனில்

@meenakandasamy #ShameOnBloomsburyIndia

आप यह दावा करके अपने हाथ नहीं धो सकते हैं कि आप इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं कर रहे हैं। यह तथ्य कि दंगा भड़काने के मुख्य सूत्रधार, कपिल मिश्रा, मुसलमानों और दलितों के खिलाफ हिंसा की माँग करने वाले व्यक्ति ने पुस्तक को फासीवादी रूप से प्रदर्शित किया है

मीना कंदासामी || இளவேனில்

@meenakandasamy

@BloomsburyIndia दिल्ली दंगा 2020 पर एक किताब जारी कर रहा है — और लगता है कि गेस्ट ऑफ ऑनर्स कौन हैं:

KAPIL MISHRA, हेट-मोंगर और ब्रेन-चाइल्ड ऑफ़ गॉली मारन सौलोन को (हरामी को गोली मारो) नारा, जिसने स्पष्ट रूप से मुसलमानों और दलितों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया।

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भूमिपूजन पर कांग्रेसी का विरोध और 5 और 15 अगस्त पर आतंकी साया

31/july/2020   जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को 5 अगस्त को एक साल पूरा हो रहा है। 5 अगस्त को ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ….

https//13.234.238.17440445/

कांंग्रेस का हाथ एंटी इंडिया लॉबी के साथ क्यों ?

27/July/2020 Editorial >> >>  राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच, राहुल गांधी ने  कहा, भारत का लोकतंत्र संविधान के आधार पर लोगों की आवाज के साथ चलेगा। ङ्कह्य कांग्रेस

https//13.234.238.174/40071/

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Delhi riots Chargesheet 24 अदालत ने कहा, ताहिर हुसैन के उकसावे पर मुस्लिमों ने हिंदुओं पर किया पथराव! लेकिन केजरीवाल सरकार हुसैन को बचाने पर अड़ी!

 

‘ताहिर हुसैन को बचाने में जुटी AAP, अब तक नहीं दी देशद्रोह का केस चलाने की मँजूरी

दिल्ली दंगा: कोर्ट ने माना- ताहिर हुसैन ने मुस्लिमों को हिंसा के लिए भड़काया था

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है। अदालत ने सभी आरोपियों को आगे सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 28 अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया है।

अंकित शर्मा की हत्या के मामले में पुलिस ने 50 पृष्टों का आरोपपत्र दायर किया है, जिसमें नौ अन्य लोगों के साथ हुसैन को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है। उस पर दंगा, अपराध के समय भड़काते हुए उपस्थित रहने, आगजनी की सामग्रियाँ इस्तेमाल करने, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित कई मामले दर्ज किए हैं। कहा गया कि ताहिर हुसैन ने वहां के निवासियों के मन में डर का माहौल बनाया।

हालाँकि, कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मामले में मंजूरी नहीं दी है।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि चूंकि मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और मामले में किसी देरी से वह मकसद पूरा नहीं होगा, जिसके लिए दंगा मामलों की सुनवाई की खातिर विशेष अदालतें बनाई गई हैं। ऐसे में अदालत अन्य सभी अपराधों का संज्ञान लेने को उचित समझती है। जज ने कहा कि मेरा विचार है कि आरोपियों द्वारा किए गए अपराधों का संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सभी आरोपियों को 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करने का निर्देश दिया।

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@ANI

संजय सिंह, AAP: ताहिर हुसैन पहले ही अपना बयान दे चुके हैं जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने हिंसा के दौरान अपने घर में भीड़ को घुसने के बारे में पुलिस और मीडिया को सारी जानकारी दी। उसने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। पुलिस 8 घंटे देरी से आई और उसे और उसके परिवार को उसके घर से बचाया। (2/2)

@ANI

संजय सिंह, AAP पर आरोप है कि AAP पार्षद ताहिर हुसैन इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में शामिल थे: पहले दिन से AAP कह रही है कि कोई भी व्यक्ति हो, किसी भी पार्टी या धर्म से हो, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए अगर दोषी है (1/2)

11:33 AM · 27 फरवरी, 2020

चार्जशीट में कहा गया है कि ताहिर हुसैन चांद बाग पुलिया की तरफ से भीड़ को लेकर आगे बढ़े. फिर इन सबने अंकित शर्मा को पकड़ा. और उसके बाद अंकित की ह्त्या हुई।

नई दिल्ली.  दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के आधार पर कोर्ट ने कहा है कि आम आदमी पाटी से बर्खास्त पार्षद ताहिर हुसैन  ने भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया. बता दें कि ताहिर पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्टाफ अंकित शर्मा की हत्या  का भी आरोप है. कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के कथित उकसावे पर मुस्लिम हिंसक हो गए और हिंदू समुदाय पर पथराव शुरू कर दिया था. दिल्ली के दंगे  इस साल फरवरी में हुए थे. कोर्ट ने इस दंगे के सभी आरोपियों को 28 अगस्त या फिर उससे पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिऱ होने को कहा है.

ताहिर ने फैलाया दंगा!

कोर्ट ने कहा कि पूर्वी दिल्ली में सुनियोजित तरीके से दंगे भड़काए गए और इस दंगे की अगुवाई ताहिर हुसैन कर रहे थे. अदालत ने ये भी कहा कि आरोपी ताहिर हुसैन ने दंगाइयों को अपनी छत का इस्तेमाल करने दिया. इसके अलावा उन्होंने अपने छत पर हिंसा फैलाने के लिए सामान भी दिए ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हो सकें और दूसरे समुदाय के जानमाल का नुकसान हो. अदालत ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया आरोपी ताहिर हुसैन अपने घर से और 24 और 25 फरवरी को चांद बाग पुलिया के पास मस्जिद से भी भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे.Ó

ताहिर हुसैन के घर की छत पर पेट्रोल बम, पत्थरों का मिला जखीरा

 ताहिर ने अपने समुदाय को उकसाया – अदालत ने कहा कि हुसैन ने कथित तौर अपने समुदाय को उकसाया और यह दावा करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धर्म के आधार पर कट्टरता को बढ़ावा दिया कि हिंदुओं ने कई मुसलमानों को मार डाला है. बता दें कि अंकित शर्मा की हत्या से संबंधित मामले में आरोपपत्र 50 पन्नों में है और इसमें नौ अन्य लोगों के साथ हुसैन को मुख्य आरोपी बनाया गया है. अन्य आरोपियों में अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम, सलमान, नजीम, कासिम, समीर खान शामिल हैं. सभी आरोपी जेल में हैं.

अंकित के शरीर पर 51 घाव के निशान

चार्जशीट में कहा गया है कि ताहिर हुसैन चांद बाग पुलिया की तरफ से भीड़ को लेकर आगे बढ़े. फिर इन सबने अंकित शर्मा को पकड़ा. इसके बाद उन्हें ताहिर के घर के पास ले कर गए. धारदार हथियार से हमला किया गया. हत्या के बाद अंकित शर्मा के शव को पास के नाले में फेंक दिया गया. ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चला है कि उनके शरीर पर 51 घाव के निशान थे. आरोप पत्र में कहा गया है कि इस हत्या से वहां के निवासियों के मन में एक डर पैदा करने की कोशिश की गई.

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