हर व्यक्ति को अपनी गाड़ी से खास लगाव होता है, कोई भी अपनी गाड़ी पर एक भी स्क्रैच नहीं देखना चाहता। लेकिन कुछ शरारती तत्व जानबूझकर गाड़ी पर अपनी कलाकारी दिखा जाते हैं, कोई चाबी तो कोई नुकीली चीज से स्क्रैच लगा जाता है तो कई बार रश ड्राइविंग करने वाले बाइकर्स गाड़ी में स्क्रैच मार कर निकल जाते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी गाड़ी के कलर को चिंतित हैं और सालों साल नए जैसा रखना चाहते हैं ताकि उसके खूबसूरती बरकरार रहे तो उसपर पीपीएफ यानी पेंट प्रोटेक्शन फिल्म लगवा सकते हैं। इसके फायदे और नुकसान जानने के लिए हमने एक्सपर्ट राहुल श्योरान से बात की, जिन्होंने हमारे साथ पीपीएफ कोटिंग के बारे अहम जानकारियां साझा कीं… पीपीएफ लगवाने में लगभग 2 से 3 दिन का समय लगता है। क्योंकि गाड़ी के डोर-हैंडल्स, साइड मिरर्स, क्लेडिंग, बैज जैसी चीजों को पहले निकाला जाता है। कई गाड़ियों में हेडलाइट-टेललाइट्स पर भी पीपीएफ किया जाता है लेकिन कई गाड़ियों की हेडलाइट्स-टेललाइट्स काफी जिग-जैग होती है, ऐसे में उन पर फिल्म नहीं लग पाती। वैसे डोर हैंडल्स पर कभी भी पीपीएफ नहीं लगाया जाता। कुछ लोग जल्दी के चक्कर में गाड़ी के पार्ट्स खोलने से कतराते हैं, ऐसे में प्रॉपर फिनिशिंग नहीं आ पाती।
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