छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग (पीएससी) की वर्ष 2003 से लेकर 2019 तक की परीक्षाएं विवादों के घेरे में रही हैं। इस दौरान आठ परीक्षाएं हुईं। सभी परीक्षाएं विवाद के कारण हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सर्वाधिक विवाद वर्ष 2003 में हुई परीक्षा को लेकर है। इसमें हाई कोर्ट ने चयन सूची को रद कर नए सिरे से मेरिट सूची बनाने और पदस्थापना का आदेश जारी किया था। इस पर अमल होने की स्थिति में आधा दर्जन डिप्टी कलेक्टर निचले संवर्ग में चले जाते, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। वर्ष 2005 और 2008 में सिविल जज की भर्ती परीक्षा भी विवादों में है। दोनों ही मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। वर्ष 2019 की परीक्षा में मॉडल आंसर को लेकर विवाद है।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि वर्ष 2003 पीएससी मेंस के सभी वैकल्पिक विषयों की री-स्केलिंग की जाए। साथ ही मानव विज्ञान के पेपर की जांच मापदंड के आधार पर हो। इस फैसले के बाद चयनित 147 अधिकारी सीधे प्रभावित हो रहे थे। हाई कोर्ट के फैसले को डिप्टी कलेक्टर पद्मिनी भोई, संजय चंदन त्रिपाठी समेत आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
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