कोरोना का पता लगाने के लिए अब तक जितनी भी तरह की जांच हो रही है, जिनमें स्वाब का सैंपल लिया जा रहा है, उनमें कोरोना पाजिटिव तो पता चलता है लेकिन यह नहीं पता चल पाता कि फेफड़े में कितना इंफेक्शन फैल गया है। कोरोना मरीजों को सांस लेने में दिक्कत की वजह फेफड़े में इंफेक्शन ही है। इसका पता नहीं चलने से मरीजों की हालत और गंभीर होती जाती है। डाक्टरों का मानना है कि सीटी स्कैन मशीन से जांच होगी तो फेफड़े का इंफेक्शन तुरंत पता चल जाएगा। इससे मरीज कितना गंभीर है, यह भी पता चलेगा और इलाज आसान होगा।
वर्तमान में आरटीपीसीआर, रैपिड एंटीजन किट व ट्रू नॉट मशीन से कोरोना की जांच हो रही है। इसमें आरटीपीसीआर को जांच के लिए सबसे प्रमाणिक माना गया है। प्रदेश में कोरोना मरीजों की लगातार मौत ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश में कोरोना से 219 व रायपुर में 117 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना कोर कमेटी की बैठक में विशेषज्ञों ने इस पर सुझाव दिया है कि कोरोना की सबसे प्रमाणिक रिपोर्ट के लिए फेफड़े का सीटी स्कैन जांच की जाए। सीटी स्कैन से पता चल जाता है कि फेफड़े में कहां धब्बे हैं, यानी निमोनिया कितना दुष्प्रभाव डाल चुका है। जांच रिपोर्ट को एक से पांच नंबर तक ग्रेडिंग की जाएगी। इससे मरीज की गंभीरता का पता चलेगा।
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