तस्वीर देखने में शायद उतनी खूबसूरत न लगे, लेकिन इसके मायने बड़े हैं, क्योंकि ये तस्वीर उस जज्बे को दिखाती है, जिसमें कोरोना के दौर में बच्चे पढ़ने बैठे हैं और टीचर्स उन्हें पढ़ाने के लिए उनके घर तक पहुंची हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ में पढ़ई तुंहर दुआर के नाम से एक योजना चल रही है, जिसका मकसद है कि टीचर्स बच्चों को उनके घर जाकर पढ़ाने की कोशिश करें। ये तस्वीर राजधानी के पुरैना और हीरापुर इलाके की है, जहां मिडिल स्कूल पुरैना की शिक्षिका कविता आचार्य मंगलवार को 7वीं के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रही हैं। वे रिक्शा को बस्ती और मोहल्ले में ले जाती हैं और बच्चों को लाउडस्पीकर से पढ़ाती हैं। उनकी ओपन क्लास में 35-40 बच्चे शामिल होते हैं। जो अलग-अलग जगह बैठे होते हैं। वह एक दिन अंग्रेजी और दूसरे दिन गणित विषय पढ़ाती हैं। कविता ने बताया कि ऑनलाइन क्लास में 10-12 बच्चे ही जुड़ते थे, क्योंकि कई बच्चों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है, लेकिन ओपन क्लास में ज्यादा बच्चे शामिल होते हैं।
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