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Editorial:जिन्ना का जिन्न और नेहरू का भूत वर्तमान कांग्रेस पर सवार

27 August 2020

राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से स्तीफा देते समय यह कहा था कि उसने २०१९ के लोकसभा चुनाव में उसके पूर्व और उसके बाद में भी अकेले ही आरएसएस और नरेन्द्र मोदी का मुकाबला किया है। उन्होंने इन्हें फॉसीस्ट बताया। लोकतंत्र के हत्यारे बताया। 

अब आज के समाचार के अनुसार

इन दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण काफी चर्चा में हैं। जहां राहुल गांधी अपनी ही पार्टी में घिरे हुए हैं, वहीं प्रशांत भूषण अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया इस समय दोनों का फैन बन चुकी है। पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार ‘डॉनÓ में लिखे एक कॉलम में प्रशांत भूषण और राहुल गांधी की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें साथ मिल कर काम करने की सलाह दी गई है।

इसका विवरण अगल से पृष्ठ 5 में है।

>>  वर्तमान में गुलामनबी आजाद की स्थिति वैसी हो गई है जैसी कि स्वतंत्रता के पूर्व कांग्रेस के अध्यक्ष १९४६ में चुनने के समय मौलाना आजाद की हो गई थी। इसका उल्लेख भी इसी संपादकीय पृष्ठ में

>>  गांधी ने नेहरू को पीएम के लिए चुना,सरदार पटेल-मौलाना आजाद को नहीं, ऐसा क्यों? इस शीर्षक से दिये गये लेख में है।

>> इसी लेख से यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जो स्थिति अभी कपिल सिब्बल तथा अन्य नेताओं की है वही स्थिति   १९४६ में वल्लभ भाई पटेल, आचार्य कृपलानी तथा अन्य नेताओं की भी थी।

अब कांग्रेस के २३ नेताओं ने जो सोनिया गांधी को पत्र लिखा उन नेताओं को राहुल गांधी ेने गद्दार बताया। अर्थात पार्टी विरोधी बताया। अर्थात जयचंद बताया। इस पर कांग्रेस पार्टी के अंदर ही महाभारत मची हुई है।

जिस संघ को राहुल गांधी फासीस्ट बता रहे हैं उस संस्था ने तो जनसंघ वर्तमान की भाजपा को जन्म दिया ऐसा कहा ही जाता है। अब परिवारवाद किस पार्टी में है और लोकतंत्र की हत्यारी कौन है यह तो सहज ही समझा जा सकता है।

डॉक्टर हेगड़ेवार जी भी स्वतंत्रता के पूर्व कुछ वर्षों तक कांग्रेस में ही थे परंतु बाद में उन्होंने जब देखा कि कांग्रेस में लोकतंंत्र नहीं है तो वे सक्रिय  राजनीति से बाहर आ गये और स्वस्थ लोकतंत्र के लिये समर्पित शक्तितंत्र तैय्यार करने में जुट गये।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ महात्मा गांधी का विरोधी नहीं है। संघ के प्रात: स्मरण में भी अन्य महापुरूषों के साथ महात्मा गांधी का भी नाम श्रद्धापूवर्क लिया जाता है। संघ के स्वयंसेवक के नाते मैं भी प्रात: स्मरण में गांधी जी का श्रद्धापूवर्क स्मरण करता हूं। परंतु उन्हें भगवान नहीं मानता।

संघ ने व्यक्ति की जगह में भगवत ध्वज को ही गुरू माना है। व्यक्ति में दोष हो सकते हैं पर भगवान और भगवाध्वज में नहीं।

पीएम मोदी जी भी महात्मा गांधी का श्रद्धापूर्वक नाम ही नहीं लेते हैं बल्कि जितना उन्होंने गुणगान महात्मा गांधी का अपने प्रधानमंत्रित्व काल में किया है उसका १० प्रतिशत भी कांग्रेस ने यूपीए शासनकाल में या उसके पूर्व नहीं किया है।

इस संपादकीय का शीर्षक है :  ‘जिन्ना का जिन्न और नेहरू का भूत वर्तमान कांग्रेस पर सवार।Ó स्वतंत्रता के पूर्व मुस्लिम लीग की स्थापना के पूर्व मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति से ही मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। इसकी स्थापना और इसका पोषण करने वाले जिन्ना,मो.इकबाल आदि कनवर्टेड हिन्दू परिवार से संबंध रखते थे। आज भी इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

मेरे कुछ व्यक्तिगत विचार हैं। संभव है वे संघ या संघ विरोधियों को अरूचिकर लगे। इसके लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूं।

महात्मा गांधी बहुत ही महान थे। परंतु उनकी महानता के पीछे एक रहस्य छिपा हुआ है जिस पर डाक्ट्रेट करने वालों को रिसर्च करनी होगी।

१९२९ और १९३६ और उसके बाद १९४६ में महात्मा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोटकर अपना वीटो चलाया था पंडित नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिये। इसका भी विश£ेषण इसी संपादकीय पृष्ठ में अलग से किया गया है।

नेहरू का रूह अभी भी कांग्रेस में जो नेहरू गांधी परिवार के अंध भक्त हैं चापलूस हैं उन पर भूत के समान सवार है। पंडित नेहरू किस प्रकार से महात्मा गांधी के कृपापात्र बने इसका भी विश£ेषण अलग से किया है।

अभी जो कांग्रेस में महाभारत चल रहा है लगभग वही स्थिति १९४६ में कांग्रेस के अध्यक्ष चुनने के समय हुई थी।  उसका कारण भी यही है कि जिस प्रकार से महात्मा गांधी का नेहरू के प्रति लगाव था वही लगाव (संतान मोह) सोनिया गांधी में भी है। महात्मा गांधी जैसे ही कांगे्रस के वर्तमान नेताओं की अंधभक्ति सोनिया गांधी के प्रति है।

जिस प्रकार से स्वतंत्रता के काल में महात्मा गांधी के प्रति अधंभक्ति और महात्मा गांधी का नेहरू के प्रति अंधविश्वास से देश को नुकसान हुआ था वही स्थिति अभी भी सोनिया भक्ति के कारण से है।

इसी से हम समझ सकते हैं कि नेहरू का सत्तालोलुप परिवारवादी रूह और जिन्ना का अलगाववादी जिन्न कांग्रेस पर अभी भी हावी है।

मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति जो कांग्रेस की रही है उसका ही परिणाम है कि मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी और देश का विभाजन भी हुआ।

अभी भी जो मुस्लिम लीग है केरल में उसकी सहायता से राहुल गांधी वायनाड से सांसद बने हैं।

कांग्रेस के तुष्टीकरण के विरूद्ध पीएम मोदी का मंत्र है सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास।

तुर्की के प्रेसीडेंट ने जो कुछ समय पहले कहा था अपनी पत्नी की उपस्थिति में कि औरते सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिये होती हैं। अब उसी के साथी जाकिर नाईक ने भी यह कहा है कि भारत की आबादी ४० प्रतिशत अब मुस्लिम हो गई है। अतएव शीघ्र ही अब भारत इस्लामिक राष्ट्र बन जायेगा।

यदि वास्तव में पीएम मोदी अपने और अपनी  सरकार के ध्येय मंत्र को साकार करना चाहते हैं तो उन्हेें इन सब तथ्यों को समझकर यदि सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास ही मंत्र है तो फिर यूनिफार्म सिविल कोड को यथा शीघ्र लाना होगा ?

जनसंख्या का असंतुलन जो हो रहा है उस पर अंकुश क्यों नहीं? ज्यादा बच्चे वालों पर चाहे वह कोई भी पंथ या धर्म के अनुयायी हों उन पर अंकुश लगना चाहिये।